लेख समाज साक्षात्कार दिव्यांगों की उपेक्षा मानवता पर कलंक December 4, 2024 / December 4, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस, 3 दिसंबर, 2024 पर विशेष -ः ललित गर्ग:-हर वर्ष 3 दिसंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकलांग व्यक्तियों को समर्पित है। वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा “विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष” के रूप में मनाया गया और वर्ष 1981 से अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाने की विधिवत शुरुआत हुई। साल […] Read more » Ignoring the disabled is a stigma on humanity. दिव्यांगों की उपेक्षा
लेख शख्सियत समाज साक्षात्कार महान पेशवा बालाजी विश्वनाथ December 3, 2024 / December 13, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment छत्रपति राजाराम के समय में पंच प्रतिनिधि का नवनिर्मित पद राजा का प्रतिनिधि होने के नाते पेशवा से ज्येष्ठ ठहराया गया था। पेशवा बालाजी विश्वनाथ 7वें पेशवा थे। इनके समय से यह पद वंश परंपरागत हो गया था। छत्रपति शाहूजी महाराज की सहमति भी इस पर रही थी। वंश व सेनापति का पद पेशवा का […] Read more » महान पेशवा बालाजी विश्वनाथ
लेख समाज साइलेंट किलर ‘ध्वनि प्रदूषण’ के आगोश में मानवजाति December 2, 2024 / December 2, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला ध्वनि प्रदूषण की समस्या भारत में आज एक बड़ी शहरी समस्या है, जो एक अदृश्य प्रदूषण है। सच तो यह है कि ध्वनि प्रदूषण एक साइलेंट किलर है। बढ़ती जनसंख्या, लगातार बढ़ते शहरीकरण, अंधाधुंध औधोगिकीकरण, लगातार बढ़ते ट्रैफिक, विकास के आयामों के कारण आज ध्वनि प्रदूषण की समस्या ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है। औधोगिक घरानों में मशीनों से होने वाला ध्वनि प्रदूषण,वाहनों के हॉर्न बजाने से होने वाला प्रदूषण, सड़क पर काम करने वाले लोगों द्वारा ड्रिलिंग करने से होना वाला प्रदूषण, डीजे, बैंड व लाउडस्पीकरों से होने वाला प्रदूषण तथा अन्य चीजों से पैदा होने वाला शोर हमारे शांत वातावरण में जहां एक ओर व्यवधान पैदा करता है वहीं दूसरी ओर जैसा कि विशेषज्ञ बताते हैं, ध्वनि प्रदूषण प्रजनन चक्र बाधित होने के साथ ही साथ प्रजातियों के विलुप्त होने को भी तेज करता है। आज प्लंबिंग, बॉयलर, जनरेटर, एयर कंडीशनर और पंखे, कूलर शोर का कारण बनते हैं।बायलर, टरबाइन, क्रशर तो बड़े कारक हैं ही, परिवहन के लगभग सभी साधन तेज ध्वनि पैदा कर, कोलाहल के साथ वायु प्रदूषण भी बढ़ाते हैं। विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों के पैदा होने वाला शोर भी बड़ा कारण है। इतना ही नहीं,बिना इन्सुलेशन वाली दीवारें और छतें पड़ोसी इकाइयों से आने वाले संगीत, आवाज़ें, कदमों और अन्य गतिविधियों को प्रकट करतीं हैं। विमान, ड्रिलिंग , विभिन्न आपातकालीन वाहन यथा एंबुलेंस, अग्निशमन यंत्र व गाड़ियां, पटाखों का फोड़ना भी शोर के कारण बनते हैं। मनोरंजन के साधन टीवी, रेडियो भी ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं। जेट विमान तो शोर के कारण हैं ही। विभिन्न धार्मिक, वैवाहिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्यक्रमों में भी ध्वनि विस्तारकों का प्रयोग शोर को बढ़ावा देता है। इतना ही नहीं बिजली कड़कने, ज्वालामुखी, भूकंप , विस्फोट अन्य कारण हैं। यहां तक कि वैक्यूम क्लीनर और विभिन्न रसोई उपकरण शोर पैदा करते हैं। आज के समय में विवाह शादियों में खानपान, डीजे डांस और नाइटलाइफ़, आउटडोर बार, रेस्तरां और छतों पर 100 डीबी से ज़्यादा शोर सुनने को मिलता है। सच तो यह है कि पब और क्लब शोर करते हैं। यहां तक कि मस्जिदों, मंदिरों, चर्चों और अन्य संस्थानों में भी आज निश्चत डेसिबल स्तरों से ऊपर शोर सुनने को मिलता है। इतना ही नहीं,पशु-पक्षियों तक की भूमिका भी बहुत बार शोर में होती है।उल्लेखनीय है कि ध्वनि प्रदूषण एक अवांछित ध्वनि है जो पशु (वन्य जीवों ) और मानव व्यवहार को प्रभावित कर सकती है, हालांकि यह भी एक तथ्य है कि सभी शोर प्रदूषण नहीं होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन 65 डेसिबल से ऊपर के शोर को प्रदूषण के रूप में वर्गीकृत करता है। 75 डेसिबल पर शोर हानिकारक है और 120 डेसिबल पर कष्टदायक है। शोर का उच्च स्तर मनुष्य और प्राणियों दोनों के ही स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।शोर का उच्च स्तर बच्चों और बुजुर्गों में टिनिटस या बहरापन पैदा कर सकता है। चिकित्सकों का मानना है कि 80 डीबी(डेसिबल) वाली ध्वनि कानों पर अपना प्रतिकूल असर डालती है। 120 डीबी की ध्वनि कान के पर्दों पर भीषण दर्द उत्पन्न कर देती है और यदि ध्वनि की तीव्रता 150 डीबी अथवा इससे अधिक हो जाए तो कान के पर्दे फट सकते हैं, जिससे व्यक्ति बहरा हो सकता है। गौरतलब है कि मानव कान अनुश्रव्य (20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति) और पराश्रव्य (20 हजार हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति) ध्वनि को सुनने में अक्षम होता है। आज लगातार शोर के संपर्क में रहने से मानव कान कमजोर होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनियाभर में लगभग डेढ़ अरब लोग इस समय कम सुनाई देने की अवस्था के साथ जीवन गुजार रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट दर्शाती है कि 2050 तक दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति यानी लगभग 25 प्रतिशत आबादी किसी न किसी हद तक श्रवण क्षमता में कमी की अवस्था के साथ जी रही होगी। अत्यधिक तेज, लगातार शोर के कारण श्वसन संबंधी उत्तेजना, नाड़ी का तेज चलना, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन, गैस्ट्राइटिस, कोलाइटिस और दिल का दौरा पड़ना आदि हो सकता है। शोर परेशानी, थकान, अवसाद, चिंता, आक्रामकता और उन्माद पैदा कर सकता है। यह हमारी एकाग्रता में कमी लाता है। अध्ययन में विशेष व्यवधान पैदा करता है। 45 डेसिबल से अधिक शोर नींद में खलल(अनिद्रा की शिकायत) डालता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 30 डेसिबल की सिफारिश करता है। बहरहाल, आंकड़े बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हर वर्ष योरोपीय संघ में ध्वनि प्रदूषण के कारण 12 हजार लोगों की असामयिक मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वायु प्रदूषण के बाद शोर स्वास्थ्य समस्याओं का दूसरा सबसे बड़ा पर्यावरणीय कारक है। शोर हमारे हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही हमारी जीवनशैली को भी प्रभावित करता है। अवांछित और अप्रिय शोर मनुष्य में तनाव, अवसाद लाता है और चिड़चिड़ापन पैदा करता है। यहां यह गौरतलब है कि वर्ष 2018 में जारी अपने दिशा-निर्देशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिन के समय ध्वनि प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों के लिए पृथक मापदंड जारी किये थे, जिसके अनुसार सड़क यातायात में दिन के समय शोर का स्तर 53 डेसिबल, रेल परिवहन में 54, हवाई जहाज और पवन चक्की चलने के दौरान 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए। आज लोग भले ही ध्वनि विस्तारकों को प्रतिष्ठा का प्रश्न मानने लगें हों लेकिन ये प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है। वर्ष 2005 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकरों पर आदेश देते हुए यह कहा था कि ऊंची आवाज़ सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकारों का हनन है। आज सार्वजनिक स्थलों पर रात दस बजे से सुबह छह बजे तक शोर मचाने वाले उपकरणों पर पाबंदी है लेकिन बावजूद इसके लोग ऐसा करते हैं। आज आबादी, अस्पताल और स्कूली क्षेत्र में प्रेशर हार्न बजाने,तेज पटाखों को छोड़ने पर रोक है।ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के अनुसार व्यावसायिक, शांत और आवासीय क्षेत्रों के लिए ध्वनि तीव्रता की सीमा तय है।औद्योगिक क्षेत्रों में दिन में 75 और रात न 70 डेसिबल की सीमा सुनिश्चित है। व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए दिन में 65 और रात में 55, आवासीय क्षेत्रों में दिन में 55 और रात में 45 तो शांत क्षेत्रों में दिन में 50 और रात में 40 डेसिबल तीव्रता की सीमा तय है। यह ठीक है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 (1) एक मौलिक अधिकार है, जो किसी को भी बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांति से इकट्ठा होने, भारत के किसी भी हिस्से में रहने आदि की स्वतंत्रता की गारंटी देता है लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि कोई भी अपने मौलिक अधिकारों का दुरूपयोग करे। जीवन को शांति और संयम के साथ जीने का अधिकार धरती के प्रत्येक प्राणी को है, इसलिए इस धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते हुए हमें यह चाहिए कि हम ऐसा कोई भी व्यवहार न करें जिससे दूसरों की ज़िंदगी में खलल, व्यवधान अथवा कोई परेशानियां पैदा हों। सुनील कुमार महला Read more » Mankind in the throes of 'noise pollution' the silent killer ध्वनि प्रदूषण
लेख समाज स्वास्थ्य-योग करोड़ों ज़िंदगी लीलता एड्स का लाल फंदा December 1, 2024 / December 2, 2024 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment एक दिसंबर एड्स निरोधक दिवस : डॉ० घनश्याम बादल एड्स दुनियाभर की सबसे घातक बीमारियों में है और इस बीमारी ने कई महामारियों से भी अधिक लोगों की जान ली है । दुनिया भर में इंसान का सबसे घातक दुश्मन है एड्स । आज भी एड्स लाइलाज़ है । हालांकि एड्स के वायरस का पता 1983 […] Read more » The red noose of AIDS एड्स
राजनीति शख्सियत समाज साक्षात्कार समतावादी समाज के पक्षधर थे महात्मा ज्योतिबा फूले November 29, 2024 / November 29, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डा.वीरेन्द्र भाटी मंगल महात्मा ज्योतिबा फुले भारत के महान व्यक्तित्वों में से एक थे। ये एक समाज सुधारक, लेखक, दार्शनिक, विचारक, क्रान्तिकारी के साथ साथ विविध प्रतिभाओं के धनी थे। इनको महात्मा फुले एवं जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने महाराष्ट्र मे सितम्बर 1873 में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का […] Read more » Mahatma Jyotiba Phule was in favor of an egalitarian society.
महिला-जगत लेख समाज बाल विवाह मुक्ति बेटियों को खुला आसमान देगा November 28, 2024 / November 28, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – देश में बाल विवाह की प्रथा को रोकने, बढ़ते बाल-विवाह से प्रभावित बच्चों के जीवन को इन त्रासद परम्परागत रूढ़ियों की बेड़ियों से मुक्ति दिलाने के लिये सरकार ने बाल-विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत करके एक सराहनीय एवं स्वागतयोग्य उपक्रम से हिम्मत और बदलाव की मिसाल कायम की है। यह […] Read more » bal vivah mukti child marriage Freedom from child marriage will give open sky to daughters बाल विवाह मुक्ति
राजनीति शख्सियत समाज शिवाजी द्वीतीय का राज्याभिषेक November 28, 2024 / December 13, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राजाराम की मृत्यु के बाद महारानी ने अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी द्वीतीय का राज्याभिषेक करवाया और स्वयं मराठा साम्राज्य की संरक्षिका बन गयीं। उस समय मराठा साम्राज्य का संरक्षक बनने का अर्थ था औरंगजेब जैसे बादशाह की शत्रुता मोल लेना। इस शत्रुता में राज्य भी जा सकता था और प्राण भी जा सकते थे। […] Read more » Coronation of Shivaji II
लेख शख्सियत समाज शिवाजी द्वितीय और महारानी ताराबाई November 27, 2024 / December 13, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment इससे पहले कि हम इस अध्याय के बारे में कुछ लिखें मैथिली शरण गुप्त की इन पंक्तियों रसास्वादन लेना उचित होगा- ‘हाँ! वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है।ऐसा पुरातन देश कोई विश्व में क्या और है?भगवान की भवभूतियों का यह प्रथम भंडार है।विधि ने किया नर सृष्टि का पहले यहीं विस्तार है।। राजनीति को […] Read more » Shivaji II and Maharani Tarabai शिवाजी द्वितीय और महारानी ताराबाई
बच्चों का पन्ना लेख समाज स्वास्थ्य-योग नशे का जाल ,बुरा हो रहा है हाल November 26, 2024 / November 26, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला पाकिस्तान, अफगानिस्तान आतंकवाद के साथ ही देश-दुनिया में नशे का ज़हर घोल रहे हैं। दुबई से नशा तस्कर, ड्रग्स माफिया भी भारत में आज सक्रिय हैं। पहले देश में पंजाब को नशे का बड़ा केंद्र माना जाता था लेकिन आज राजधानी दिल्ली, राजस्थान की शिक्षा नगरी कहलाने वाले सीकर और कोटा, हिमाचल […] Read more » नशे का जाल
लेख समाज कृतज्ञता-संस्कृति से संवरती है जिन्दगी November 26, 2024 / November 26, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment धन्यवाद दिवस- 28 नवम्बर, 2024– ललित गर्ग – हर साल नवंबर के चौथे गुरुवार को अमेरिका समेत कई देशों में थैंक्सगिविंग डे यानी धन्यवाद दिवस, कृतज्ञता दिवस मनाया जाता है। थैंक्सगिविंग आधिकारिक तौर पर छुट्टियों के मौसम की शुरुआत का प्रतीक होता है, जिसे जर्मनी, ब्राजील, कनाडा, जापान और अन्य देशों में भी मनाया जाता […] Read more » Life is improved by the culture of gratitude thanksgiving day धन्यवाद दिवस- 28 नवम्बर
बच्चों का पन्ना लेख समाज वर्चुअल ऑटिज्म है खतरनाक November 22, 2024 / November 22, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला आज की युवा पीढ़ी में वर्चुअल दुनिया के प्रति विशेष लगाव है और आज बच्चे अपनी पढ़ाई-लिखाई और अन्य कार्यों को छोड़कर दिन-रात फेसबुक-इंस्टाग्राम से चिपके रहते हैं। एक तरह से बच्चे आज वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार हो गए हैं लेकिन यह बच्चों के लिए ख़तरनाक है। दरअसल इससे बच्चों में […] Read more » वर्चुअल ऑटिज्म
लेख समाज साक्षात्कार उदास लोगों का देश बनना भारत की एक त्रासदी November 22, 2024 / November 22, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत उदास, निराश एवं थके हुए लोगों का देश बनता जा रहा है। हम प्रसन्न समाजों की सूची में अव्वल नहीं आ पा रहे हैं। आज अक्सर लोग थके हुए, उदास, निराश नज़र आते हैं, बहुत से लोग हैं जो रोज़मर्रा के काम करने में ही थक जाते हैं। उनका कुछ करने का […] Read more » उदास लोगों का देश