समाज मैंने मंजिल को तलाशा मुझे बदज़ात मिले May 27, 2010 / December 23, 2011 by पंकज झा | 1 Comment on मैंने मंजिल को तलाशा मुझे बदज़ात मिले – पंकज झा महिलाओं-बच्चियों के साथ किये जा रहे उत्पीड़न की शृंखला में टेनिस खिलाड़ी रही रुचिका गहरोत्रा का मामला एक बार और चर्चा में है. उन्नीस साल पहले हुए इस घटना में, जिसमें यौन-उत्पीड़न के विरुद्ध तीन साल तक लड़ने के बाद थक हार कर बच्ची ने आत्महत्या कर ली थी. अब जाकर इस […] Read more » Ruchika Gahrotra रुचिका गहरोत्रा
समाज ज़िन्दगी से भागते लोग May 24, 2010 / December 23, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 7 Comments on ज़िन्दगी से भागते लोग -फ़िरदौस ख़ान यह एक विडंबना ही है कि ‘जीवेम शरद् शतम्’ यानी हम सौ साल जिएं, इसकी कामना करने वाले समाज में मृत्यु को अंगीकार करने की आत्महंता प्रवृत्ति बढ़ रही है। आत्महत्या करने या सामूहिक आत्महत्या करने की दिल दहला देने वाली घटनाएं आए दिन देखने व सुनने को मिल रही हैं। कोई परीक्षा […] Read more » life ज़िन्दगी
समाज अविवाहित सहजीवन का विषाद ! विवाह का प्रसाद – हृदयनारायण दीक्षित May 19, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 7 Comments on अविवाहित सहजीवन का विषाद ! विवाह का प्रसाद – हृदयनारायण दीक्षित सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित सहजीवन को वैध ठहराया है। कोर्ट की अपनी सीमा है। उसने मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) की ही व्याख्या की है। उसने विवाह नामक संस्था को अवैध नहीं ठहराया लेकिन भारतीय शील, मर्यादा और संस्कृति के विरोधी बम हैं। टिप्पणीकार इसे आधुनिकता की जरूरत बता रहे हैं। लेकिन ऐसे अति आधुनिक (उनकी […] Read more » Marrige विवाह सहजीवन
समाज कश्मीरी हिंदुओं का सफाया – ऑपरेशन नम्बर दो May 11, 2010 / December 23, 2011 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 3 Comments on कश्मीरी हिंदुओं का सफाया – ऑपरेशन नम्बर दो -डॉ कुलदीप चंद अग्निहोत्री पिछले कुछ सौ सालों से मतांतरण के कारण कश्मीरी हिंदुओं की संख्या लगातार घटती जा रही है। अनेकानेक कारणों से अधिकांश कश्मीरी हिंदू इस्लाम मजहब में दीक्षित हो गए। लेकिन फिर भी कश्मीर घाटी में लगभग 4 लाख हिंदू बचे रहे जिन्होंने तमाम प्रलोभनों को ठुकराते हुए और शासकीय अत्याचारों को […] Read more » Kashmiri Hindu कश्मीरी हिन्दू
समाज मई दिवस पर विशेष – दादातंत्र, युद्धतंत्र और भोगतंत्र से तबाह मजदूरवर्ग May 1, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 4 Comments on मई दिवस पर विशेष – दादातंत्र, युद्धतंत्र और भोगतंत्र से तबाह मजदूरवर्ग -जगदीश्वर चतुर्वेदी मई दिवस को आज जिस उल्लास और जोशोखरोश के साथ मनाया जाना था वह जोशोखरोश गायब है। मजदूरवर्ग गंभीर संकट में है, यह संकट बहुआयामी है। आर्थिकमंदी में पूंजीपतियों को संकट से उबारने के लिए पैकेज दिए गए लेकिन इन पैकेजों का लाभ मजदूरों तक नहीं पहुँचा है। मंदी से पूंजीपतिवर्ग को कम […] Read more » May Diwas मई दिवस मजदूर
समाज कौन सुध लेगा मेहनतकशों की May 1, 2010 / December 24, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 1 Comment on कौन सुध लेगा मेहनतकशों की -फ़िरदौस ख़ान भारत में हर साल काम के दौरान हज़ारों मज़दूरों की मौत हो जाती है। सरकारी, अर्ध सरकारी या इसी तरह के अन्य संस्थानों में काम करते समय दुर्घटनाग्रस्त हुए लोगों या उनके आश्रितों को देर सवेर कुछ न कुछ मुआवज़ा तो मिल ही जाता है, लेकिन सबसे दयनीय हालत दिहाड़ी मज़दूरों की। पहले […] Read more » Labour Day मजदूर दिवस मेहनतकश
समाज अनुसूचित जनजातियों को मुख्यधारा में लाने का सवाल April 29, 2010 / December 24, 2011 by गिरीश पंकज | 5 Comments on अनुसूचित जनजातियों को मुख्यधारा में लाने का सवाल -गिरीश पंकज जिन लोगों को हमारा संविधान ”अनुसूचित जनजाति” कहता है, उन्हें बहुत से लोग ‘आदिवासी’ भी कह देते है. ऐसा कह कर अनजाने में ही हमलोग गैर संवैधानिक काम भी करते हैं, और अपने ही भाइयों से दूरियां बढ़ा लेते है. शहरी लोगों की बातों से अक्सर दंभ भी झलकता है, जब वे मसीहाई […] Read more » Sedule caste अनुसूचित जनजाति
समाज जातिवादी संघर्ष की ‘जड़ों’ पर होना चाहिए प्रहार April 29, 2010 / December 24, 2011 by निर्मल रानी | 4 Comments on जातिवादी संघर्ष की ‘जड़ों’ पर होना चाहिए प्रहार ‘म्हारा नंबर वन हरियाणा-जहां दूध-दही का खाना’ – जैसा गौरवपूर्ण गुणगान करने वाला हरियाणा राय भी कभी-कभी जातिवाद तथा वर्गवाद जैसे दुर्भाग्यपूर्ण संघर्ष की खबरों के कारण सुख़ियों में आ जाता है। पिछले दिनों राय के हांसी उपमंडल के मिर्चपुर गांव में एक बार फिर दलित समुदाय के लोगों को तथाकथित उच्चजाति के लोगों के […] Read more » Racism जातिवाद
समाज सिर्फ मनोरंजन नहीं है पोर्नोग्राफी April 22, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on सिर्फ मनोरंजन नहीं है पोर्नोग्राफी परसों एक पाठक ने पोर्न की हिमायत में कहा कि पोर्न तो महज मनोरंजन है। मैं इस तर्क से सहमत नहीं हूँ। पोर्न सिर्फ मनोरंजन नहीं है। पोर्न औरतों के खिलाफ नियोजित विचारधारात्मक कारपोरेट हमला है। पोर्न की विश्वव्यापी आंधी ऐसे समय में आयी है जब महिला आंदोलन नई ऊँचाईयों का स्पर्श कर रहा था। […] Read more » Sex पोर्नोग्राफी सेक्स
समाज दो जून की रोटी को मोहताज सांस्कृतिक दूत ये सपेरे April 20, 2010 / December 24, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | Leave a Comment भारत विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का देश है। प्राचीन संस्कृति के इन्हीं रंगों को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में बिखेरने में सपेरा जाति की अहम भूमिका रही है, लेकिन सांस्कृतिक दूत ये सपेरे सरकार, प्रशासन और समाज के उपेक्षित रवैये की वजह से दो जून की रोटी तक को मोहताज हैं। देश […] Read more » Sapera सपेरा
समाज पीटना क्रूरता नहीं, तो फिर क्या है क्रूरता? April 16, 2010 / December 24, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 1 Comment on पीटना क्रूरता नहीं, तो फिर क्या है क्रूरता? 1-सुप्रीम कोर्ट कहता है कि बहु को पीटना क्रूरता नहीं है, ऐसे में यह सवाल उठाना स्वाभाविक है कि इन हालातों में आरोपी को पुलिस द्वारा पीटना क्रूरता कैसे हो सकती है? और यदि क्रूरता की यही परिभाषा है तो फिर मानव अधिकार आयोग का क्या औचित्य रह जाता है? 2-जिस पुरुष को पीडिता के […] Read more » Cruelty क्रूरता
समाज कब तक ढोए जाते रहेंगे गुलामी के लबादे April 6, 2010 / December 24, 2011 by लिमटी खरे | 1 Comment on कब तक ढोए जाते रहेंगे गुलामी के लबादे देश के हृदय प्रदेश में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने एक एसी बहस को जन्म दे दिया है, जिसके बारे में उन्होंने शायद ही सोचा हो कि इस बहस की आज कितनी अधिक आवश्यक्ता है। जयराम रमेश ने उन्हें भोपाल पहनाए गए लबादे को उपनिवेशवाद का बर्बर प्रतीक चिन्ह कहकर उतार दिया। […] Read more » Jairam Ramesh जयराम रमेश दीक्षांत समारोह