समाज ‘सच का सामना’ या ‘भटकाव’ का July 27, 2009 / December 27, 2011 by राकेश उपाध्याय | 8 Comments on ‘सच का सामना’ या ‘भटकाव’ का क्या ये सचमुच ‘सच का सामना’ है? सच मानें तो ये तो उस भटकाव का सामना है जिसके कारण कितने ही लोग अपनी खूबसूरत पारिवारिक जिंदगी तबाह कर लेते हैं, ये भटकाव भारतीय परिवार संस्था के लिए बहुत ही त्रासदायक है। हमारा दुर्भाग्य है कि महज चंद रूपयों की खातिर हम इस भटकाव को सहज […] Read more » Sach ka samna सच का सामना
समाज बाजार जी! संभावनाएं यहां मत टंटोलिए -जयप्रकाश सिंह July 24, 2009 / December 27, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on बाजार जी! संभावनाएं यहां मत टंटोलिए -जयप्रकाश सिंह ‘घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही’ आजकल अधिकांश व्यक्तियों का सामना बाजार से हो जाता है। मेरा भी आमना-सामना उनके अगणित रूपों में से किसी न किसी के साथ प्रतिदिन होता रहता है। मिलने पर बकवासी बुद्धिजीवियों की तरह मैं भी उनसे बतियाने की कोशिश करता हूं। वे भी मुझे अन्य व्यवहारिक लोगों […] Read more » market बाजार
राजनीति समाज सार्वजनिक स्थान क्यों? July 23, 2009 / December 27, 2011 by अनिका अरोड़ा | 2 Comments on सार्वजनिक स्थान क्यों? पेशाबघर सभी स्थानों पर। शौचालय सार्वजनिक स्थान पर। प्याऊ सार्वजनिक स्थान पर। बारात की आवभगत सार्वजनिक स्थान पर। घर की टैरेस से लेकर दुकान की देहरी तक सार्वजनिक स्थान पर। भोज सार्वजनिक स्थान पर। मेला सार्वजनिक स्थान पर। धरना-प्रदर्शन सार्वजनिक स्थान पर। गाली-गलौज सार्वजनिक स्थान पर। मोबाइल, पर्स जैसी छोटी-मोटी चोरी सार्वजनिक स्थान पर। तो […] Read more » Public place सार्वजनिक स्थान
समाज पहचान – एक संघर्ष : Pehchaan – Ek Sangharsh July 19, 2009 / December 27, 2011 by इसरार अहमद | 6 Comments on पहचान – एक संघर्ष : Pehchaan – Ek Sangharsh जब से इस धरती पर चाहे इंसान हो या जानवर आया है वह अपनी पहचान के लिए हमेशा संघर्ष करता रहा है .अगर हम पुराण काल (पाषाण काल, पत्थर का युग) तब भी वे अपनी पहचान के लिए संघर्ष, जन्म से मरण तक हर जीवित वास्तु अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष पे संघर्ष करता […] Read more » Pehchaan – Ek Sangharsh पहचान – एक संघर्ष
समाज समलैंगिकता मानसिक रोग ही नहीं, समाज व प्रकृति के विरूद्ध अपराध भी July 11, 2009 / December 27, 2011 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 6 Comments on समलैंगिकता मानसिक रोग ही नहीं, समाज व प्रकृति के विरूद्ध अपराध भी देखा जाये तो हमारी वर्तमान सोच में बड़ी विसंगतियां हैं, बड़ी विकृतियां हैं, बड़ा विरोधाभास भी है। एक ओर तो हम अपनी संस्कृति, अपनी भारतीयता तथा अपने आदर्शों पर बड़ा गर्व करते हैं तो दूसरी ओर हम उदारवादी भी बनना चाहते हैं। Read more » Homosexuality समलैंगिकता
टॉप स्टोरी समाज आपने सुना, पशु-पक्षी भी गे /लेस्बियन होते हैं ……….. July 9, 2009 / December 27, 2011 by जयराम 'विप्लव' | 16 Comments on आपने सुना, पशु-पक्षी भी गे /लेस्बियन होते हैं ……….. समलैंगिकता के समर्थकों से बहस टेढी खीर है । महाभारत काल से लेकर वात्स्यायन के कामसूत्र तक का जिक्र झटके में हो जाए तो कोई भी साधारण आदमी घबरा कर इधर-उधर ताकता नजर आता है । Read more » Animal Birds पक्षी पशु
समाज सेक्स चर्चा (भाग -२) July 4, 2009 / October 10, 2009 by जयराम 'विप्लव' | 6 Comments on सेक्स चर्चा (भाग -२) सेक्स और समाज का सम्बन्ध ऐसा बन गया है जैसे समाज का काम सेक्स पर पहरा देने का है , सेक्स को मानव से दूर रखने का है . क्या वास्तव में समाज में सेक्स के लिए घृणा का भाव है ? क्या समाज आरम्भ से ऐसा था ? नहीं , ऐसा नहीं है . Read more » Sex and Society Sex in Indian Philosophy Sex in Life Spritualism Vatsyayan Kamsutra जयराम "विप्लव" सेक्स चर्चा
समाज प्यार – द अल्टिमेट च्वाइस June 24, 2009 / December 27, 2011 by इसरार अहमद | 10 Comments on प्यार – द अल्टिमेट च्वाइस प्यार है ना चौकाने वाला शब्द जो रिश्तो को दिखता है जो आपको-हमको और हम सब को जीने की राह दिखता है आज हो या अतीत नवीन हो या पुराण Read more » Love प्यार
समाज पांच राज्यों को मिले सतर्क रहने के निर्देश June 22, 2009 / December 27, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment माओवादी विद्रोहियों के दो दिनों के बंद के आह्वान के दौरान गृह मंत्रालय ने केंद्रीय और पूर्वी भारत के पाँच राज्यों को खासतौर पर सतर्क रहने के निर्देश दिए है। जिनमें पश्चिम बंगाल सहित बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा शामिल है। पश्चिम बंगाल के लालगढ़ और उसके आसपास के इलाक़ों को माओवादियों से मुक्त कराने […] Read more » Five states पांच राज्यों
आर्थिकी खेत-खलिहान समाज सार्थक पहल क्या इन ८ सवालों के जवाब हैं ……….. आज के आर्थिक विशेषज्ञों के पास : कनिष्क कश्यप June 10, 2009 / December 27, 2011 by कनिष्क कश्यप | 2 Comments on क्या इन ८ सवालों के जवाब हैं ……….. आज के आर्थिक विशेषज्ञों के पास : कनिष्क कश्यप क्या इन ८ सवालों के जवाब हैं, अगर हाँ ? तो हमें बताएं ! क्यों की पश्चिम के पिचासी संस्कृति का दिन-ब-दिन हावी होते जाना, हमारी अपनी कमजोरी और मानसिक दिवालियापन का सूचक तो नहीं ? बाज़ार शब्द अपनी शाब्दिक परिधि तक तो बड़ा हीं मोहक और प्रभावी लगता है, इससे बहार निकलते हीं यह मर्यादायों को […] Read more » Economic Expert आर्थिक विशेषज्ञ
समाज क्या हम परिवार को बचा पाएंगे ? June 8, 2009 / December 27, 2011 by जयराम 'विप्लव' | 2 Comments on क्या हम परिवार को बचा पाएंगे ? घर में शिशु संगोपन और शिशु संस्कार अत्यन्त उपेक्षित विषय बन गए हैं , जो आने वाली पीढी के लिए प्रतिकूल परिणामदायक होगी । आज की आधुनिक शिक्षा ने उपभोगवादी मानसिकता को इतना बढावा दिया है Read more » family परिवार
समाज सार्थक पहल जहां बसता है गांधी का भारत- संजीव कुमार June 3, 2009 / December 27, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on जहां बसता है गांधी का भारत- संजीव कुमार हिवरे बाजार, न केवल गांधी के सपने को साकार करता है बल्कि घने अंधेरे में रोशनी की किरण भी दिखाता है। क्या वह दिन आएगा जब देश के सात लाख गांवों में हिवरे बाजार की तरह अपना ग्राम स्वराज होगा? एक ऐसा गांव जिसपर व्यापक मंदी के इस दौर में का कोई असर नहीं है। […] Read more » Baspa बसता