जन-जागरण महिला-जगत समाज कहां ले जाएगी उत्पीड़न की यह मानसिकता ? October 12, 2013 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment शैलेन्द्र चौहान ह्यूमन राइट्स वॉच के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार “भारत में बाल यौन उत्पीड़न घरों, स्कूलों तथा आवासीय देखभाल केंद्रों में आम बात है। दिल्ली बलात्कार कांड के बाद सरकार द्वारा कानूनी और नीतिगत सुधार सुझाने के लिए गठित की गई समिति ने पाया कि बाल सुरक्षा नीतियाँ “स्पष्ट रूप से […] Read more »
महिला-जगत नारी – आत्मा और छाया के मध्य October 10, 2013 / October 10, 2013 by अनिल सैनी ‘अनि’ | Leave a Comment युगों युगों की भारतीय संस्कृति जिसमें हर पीढी को ‘’ जहां नारी का वास होता है वहां देवता विराजते है ’’ पढाये जाने के बावजूद भी समाज ने नारी को सदैव माता, पुञी, बहन, पत्नि आदि रूपों में ही देखने का प्रयास किया है भारतीय समाज विशेषकर पुरूष वर्ग नारी को केवल नारी देखने के […] Read more »
महिला-जगत अन्यायी तब तक अन्याय करता है, जब तक कि उसे सहा जाए August 23, 2013 / August 23, 2013 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment शैलेन्द्र चौहान हम रोज ही समाचारों में पढ़ते और देखते हैं कि महिलाओं और युवतियों पर कहीं एसिड अटैक होता है कहीं बलात्कार और हत्याएं होती हैं और अनेकों परिवारों में या कार्यस्थलों पर वे लगातार उत्पीडित भी होती हैं। कभी कभार शोर भी होता है, लोग विरोध प्रकट करते हैं, मीडिया सक्रिय होता है […] Read more » महिलाओं और युवतियों पर कहीं एसिड अटैक
महिला-जगत समाज नारी – आदिशक्ति या कमोडीटी July 26, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | 5 Comments on नारी – आदिशक्ति या कमोडीटी पूरे विश्व के नारियों में एक होड़ सी मची है – अधिक-से अधिक सुन्दर और आधुनिक दीखने का। भारत में यह चूहादौड़ १५ वर्ष पहले ना के बराबर थी, लेकिन बढ़ते उपभोक्तावाद ने अपने देश में भी इस रेस को ऐसी गति दी है कि अब यह रुकने का नाम ही नहीं […] Read more » नारी - आदिशक्ति या कमोडीटी
महिला-जगत समाज तेजाबीकरण और स्त्री अस्मिता- डॉ. प्रेरणा चतुर्वेदी June 11, 2013 / June 11, 2013 by डॉ.प्रेरणा चतुर्वेदी | Leave a Comment भारत में जहां नारी को देवी की उपाधि दी गयी है। वहीं कितनी विडम्बना है कि स्त्री जाति के प्रति परिवार और समाज में लगातार अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। दुष्कर्म, ऑनर किलिंग, छेड़छाड़, मारपीट, महिलाओं की तस्करी, कन्या भ्रूणहत्या जैसे वर्षों से चले आ रहे थे तथा आज भी विद्यमान है। तमाम संवैधानिक […] Read more » . तेजाब तेजाबीकरण और स्त्री अस्मिता स्त्री अस्मिता
महिला-जगत विविधा बेटियों को देवी रूप में चरण स्पर्श करने की परंपरा June 6, 2013 / June 7, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment यदि कन्या को किसी व्यक्ति का पैर छू जाए तो तुरंत उस कन्या के (देवी रूप मानकर) चरण स्पर्श करने की परंपरा भारत में है। चरण छूने की यह परंपरा इसलिए है कि कन्या के शरीर से पैरों का स्पर्श होना ‘पाप’ माना जाता है। उस पाप से मुक्त होने के लिए ही व्यक्ति क्षमा […] Read more » भारत में बेटियों को देवी रूप में चरण स्पर्श करने की परंपरा
महिला-जगत भारत की नारी सदा वंदनीया रही है May 30, 2013 / July 19, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 14 Comments on भारत की नारी सदा वंदनीया रही है भारत में नारी सदा वंदनीया और पूज्यनीया रही है। कुछ लोगों का यह कहना कि भारत में नारी सदा उपेक्षा और तिरस्कार की पात्र रही है-सर्वदा भ्रामक दोषपूर्ण और अतार्किक है। परंतु इसमें दोष ऐसा मिथ्या आरोप लगाने वाले भारतीयों का नही है, क्योंकि उन्होंने अपने आदर्श विदेशी इतिहास लेखकों और विचारकों का उच्छिष्ट भोजन खाया है-जिसमें […] Read more » नारी सदा वंदनीया रही है
महिला-जगत क्या यह नारी होने की सजा है? May 14, 2013 / May 14, 2013 by श्वेता यादव | 1 Comment on क्या यह नारी होने की सजा है? तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन ! तू इस आँचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था । –मजाज़ की कलम से यह तो सभी मानते हैं कि लिखना एक अच्छी विधा है और सभी लोगों से (जो पढना-लिखना जानते है) उनसे यह उम्मीद की जाती है कि वो पढ़ें […] Read more »
महिला-जगत सिनेमा चरित्रहीन आदर्शवाद May 4, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment (संदर्भःपूरब-पच्छिम फिल्म) आदित्य कुमार गिरि भारतीय हिन्दी फिल्मों का विश्लेषण करने पर जो एक बात सामने आती है वह यह है कि इसका पूरा चरित्र स्त्री विरोधी है।यह अपने फलक पर स्त्री विरोधी मानसिकता को स्थापित किये हुए है।स्त्री की जो छवि वह प्रस्तुत करता है वह कहीं से भी एक लोकतांत्रिक समाज के लिए […] Read more »
महिला-जगत समाज किस नारी की बात हो रही है April 25, 2013 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | 2 Comments on किस नारी की बात हो रही है सिद्धार्थ मिश्र”स्वतंत्र” दिल्ली में हुए नृशंस बलात्कार कांड को अभी कुछ ही दिन बीते हैं कि दोबारा हुए इस जघन्य कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है । ऐसे में विभिन्न टीवी चैनल्स समेत अन्य संचार के समस्त माध्यमों पर गर्मागरम बहस होना लाजिमी भी था । विगत कई दिनों से चल […] Read more »
महिला-जगत स्त्री चेतन मन में होनी चाहिए, अवचेतन में नहीं – सारदा बनर्जी April 10, 2013 by सारदा बनर्जी | Leave a Comment आम तौर पर देखा गया है कि हिन्दी साहित्य में पुरुष कवियों के हमेशा अवचेतन में स्त्री आई है। स्त्री को लेकर कुंठित भाव व्यक्त होता आया है। स्त्री कवियों के चेतन भावबोध का हिस्सा न होकर अवचेतन में घर किए रहती है जो स्त्री के प्रति संकुचित और स्त्री को देखने का एक तरह […] Read more » स्त्री चेतन
महिला-जगत आख़िर ये स्त्री-उत्पीड़न कब बंद होगा ? – सारदा बनर्जी April 10, 2013 by सारदा बनर्जी | Leave a Comment क्या महज महिला दिवस को सेलिब्रेट करके, सलामी ठोककर या नमन करके या उस दिन स्त्री-सम्मान और स्त्री-महिमा की असंख्य बातें करके स्त्रियों का कोई भला हो सकता है? क्या यह ज़रुरी नहीं कि एक दिन नहीं हर दिन स्त्रियों का हो यानि स्त्रियों के पक्ष में हो, स्त्री की समानता के पक्ष में खड़ा […] Read more » स्त्री-उत्पीड़न