वर्तमान नेपाल के समक्ष चुनौतियां एवं समाधान

डॉ.बालमुकुंद पांडे 

सन् 1997 से सन् 2012 के मध्य पैदा हुए लोगों को ‘ जेन जी’ या ‘ जेनरेशन ज़ूमर ‘ कहा जाता है। यह पीढ़ी उस  दौर में पैदा हुई  जब इंटरनेट का प्रभाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था। ये युवा बड़े होकर सामाजिक प्लेटफार्मों पर  अत्यधिक सक्रिय होकर अपने करियर, पेशा , अन्य व्यवहार, एवं व्यक्तित्व के आयाम का उन्नयन करके अपने उज्ज्वल भविष्य को सकारात्मक स्वरूप देने में सक्रिय रहे।

हालिया  आंदोलन में नेपाल का प्रत्येक व्यक्ति एवं प्रत्येक  वर्ग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष स्तर पर जुड़ा है। इस आंदोलन में नेपाल के राजनीतिक दलों के नेताओं का भी समर्थन है। यह सोशल मीडिया ज्यादातर संयुक्त राज्य अमेरिका एवं चीन के हैं।  केपी ओली जो चीन के काफी करीब थे एवं चीन से उनके संबंध भी  बहुत मधुर थे , उन्होंने 6 से 7 महीने पहले  इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म को अनिवार्य पंजीकरण  करवाने के कानून पारित किए। इसके पीछे सरकार का मकसद कर (टैक्स) में फायदे से था। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण के कारण युवाओं में सरकार एवं नौकरशाही के प्रति  तीव्र आक्रोश व असंतोष उत्पन्न हो गया जो हिंसक क्रांति(Coupd etat) का स्वरूप ग्रहण कर लिया । लेखक नेपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के तौर पर काम किए है और नेपाल के सामयिक विषयों में गंभीर पकड़  रखते है। इनका  मानना है कि,” बाहर से देखने वालों को लग सकता है कि इस क्रांति से सत्ता  का अचानक पतन हुआ है जबकि इसके पीछे युवाओं के मन में बहुत महीने पहले भ्रष्टाचार विरोधी जनाक्रोश था । सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध वर्तमान कारण है “।

नेपाल में राजनीतिक भ्रष्टाचार उच्चतम स्तर पर था। युवाओं में सरकार एवं राजनीतिक नेतृत्व के प्रति विक्षोभ उच्चतम स्तर का था। ‘ नेपोकिड्स’ का जीवन संभ्रांत वर्ग का हो चुका था। नेपाल की जनता को राजशाही से असंतोष व निराशा होने के कारण गणतांत्रिक गणराज्य को अपने राजनीतिक व संवैधानिक व्यवस्था  में अंगीकार किए एवं निर्वाचित सरकार( लोकतांत्रिक सरकार ) को वरण किए। दुर्भाग्य से निर्वाचित होकर सत्ता तक पहुंचे प्रतिनिधि सत्ता संघर्ष में लिप्त हो गए। निर्वाचित प्रतिनिधियों के सरकार बनाने के परिणाम स्वरूप ‘ संसाधन’ एवं ‘ संवैधानिक शक्ति ‘ का प्रयोग व्यक्तिगत उत्थान के लिए करने लगे । सोशल प्लेटफॉर्म समकालीन में ऐसा त्वरित माध्यम हो चुका है कि सूचनाओं का संप्रेषण शीघ्र हो जा रहा है। इन  कारणों से नेपाल के प्रत्येक एवं प्रमुख वर्ग में असमानता, असंतोष एवं अविश्वास का वातावरण उत्पन्न कर हो चुका था । इस क्रांति में ‘ जेन जी’ के सभी वर्गों ने सरकार के विरुद्ध बलात हिंसक मार्ग को अपनाया।

‘ जेन जी ‘ आंदोलन के साथ दिक्कत यह भी हैं कि उनके साथ कोई अनुभवी नेता नहीं है। उनकी अपनी विचारधारा नहीं है एवं इनका व्यवस्थित संगठन नहीं है। किसी भी आंदोलन की सफलता के लिए संगठन ,विचारधारा, एवं नेतृत्व की अति आवश्यकता होती है । नेता के अभाव में’ जेन जी’ लामबंद नहीं हो सके। उनकी कुछ मांगे थी और यह मांगे भी एक आवाज के रूप में नहीं आ रही थी। लोग अलग-अलग मांगे कर रहे थे। आंदोलन के लिए नेता  का नेतृत्व अति आवश्यक है। नेता के अभाव में आंदोलन बिखरा हुआ नजर आता है। यह आंदोलन कुछ दिनों में भीडतंत्र (Mobocracy) में बदल चुकी थी।

नेपाल में भ्रष्टाचार के कारण आर्थिक संकट एवं बेरोजगारी बढ़ चुकी थी. 2023 में नेपाल में गरीबी 20. 27% थी जिसमें 20% से अधिक आबादी दैनिक न्यूनतम 1.9 अमेरिकी डॉलर (1.9$से कम) खर्च करती है। सन् 2025 में नेपाल को निम्न – मध्यम वाला देश माना जाता था। बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2024 के अनुसार, नेपाल में 0.085 बहुआयामी  गरीबी सूचकांक मूल्य है जो यह दर्शाता है कि नेपाल की आबादी गरीबी, अभाव ,एवं कष्ट में अपना जीवन व्यतीत कर रही है। यह आंदोलन सत्ता पर काबिज राजनीतिक नेताओं के परिवारों व परिजनों की ऐसों आराम जिंदगी और उसकी तुलना में नेपाली युवाओं का कठिनाई का जीवन का परिणाम है। बेरोजगारी के कारण प्रत्येक सप्ताह नेपाल से 2000 युवा  विदेश जा रहे हैं। विदेश में काम करके जो धनराशि  अपने घर वालों को भेजते हैं, वह सकल घरेलू उत्पाद का 26% है। नेपाल की पूर्व सरकार ने इसको अवसर की तरह देखा है। विदेश से आ रही  धनराशि की वजह से सरकारी कोष  में फॉरेन एक्सचेंज बढ़ रहा था,  इसलिए पूर्व सरकार युवाओं के लिए अच्छा करने के लिए भी तैयार नहीं थी। पूर्ववर्ती सरकार ज्यादा से ज्यादा युवाओं को विदेश भेजने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी। इस असंतोष  ने ‘ जेन जी ‘ आंदोलन के लिए उर्वरा भूमि तैयार की थी।

नेपाल में भ्रष्टाचार सबसे उच्चतम स्तर पर था । ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 2024, भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में, जिसमें  180 देशों में नेपाल को 34 अंक प्राप्त हुआ था, जो भ्रष्टाचार का उच्चतर स्तर है। नेपाल में भ्रष्टाचार की समस्या गहरी एवं बहुआयामी है। देश के राजनीतिक व्यवस्था में  राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा है। सरकारें बार-बार बदलती रही हैं। लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था की स्थिरता नीतियों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नीतियों में निरंतरता ना होने के कारण जवाबदेही  और उत्तरदायित्व का अभाव  होता है, जिससे नीतियों का क्रियान्वयन नहीं हो पता है और विकास कार्य अवरूद्ध हो जाते हैं । विकास के कार्यों में निरंतरता  का अभाव व स्थिर सरकार का ना होना नेपाल की राजनीतिक व्यवस्था में विरोध का मार्ग बनाया है।

यह आंदोलन भ्रष्टाचार एवं कुशासन के खिलाफ था । व्यवस्था के विरोध में होना व्यवस्था के प्रति अविश्वास है। सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार की खबरें लगातार आने लगी थी।  युवाओं का सामना भ्रष्टाचार, कुशासन ,  एवं बेरोजगारी से हो रहा था। नेपाल की यह  पीढ़ी “टेक्नोसेवी “( तकनीकी रूप से सक्षम) होने की वजह से वह वैश्विक व्यवस्था के प्रति सजग, आसपास की बदल रही दुनिया एवं अन्य देशों में बदल रहे वातावरण एवं अन्य देशों में युवाओं के लिए खुल रहे अवसरों को समझ रहे थे। इसके विपरीत नेपाल में युवाओं को आर्थिक अवसर नहीं मिल रहा था जिससे उनके भीतर विक्षोभ पैदा होने लगे एवं व्यवस्था के प्रति असंतोष बढ़ने लगा था।

भारत नेपाल प्राकृतिक मित्र हैं। नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता व शासन में शासकीय अस्थिरता को उत्पन्न करती है जिसका फायदा अराजक तत्व, विद्रोही समूह, सीमा पर अपराधी एवं राज्येतर  कर्ता (Non state actor) उठा सकते हैं । भारत एवं नेपाल के बीच खुली सीमा है इसलिए विधि एवं व्यवस्था में शासकीय अस्थिरता भारत के आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। इससे सीमा पर तस्करी, मानव तस्करी एवं आतंकवादी घुसपैठ को बढ़ा सकती है। राजनीतिक संकट के कारण नेपाल में भारतीय निवेश, पारस्परिक व्यापार एवं आपूर्ति श्रृंखलाएं प्रभावित कर सकती हैं। भारत के लिए नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता परस्पर माधुर्य संबंधों में मंदक है जो क्षेत्रीय स्थिरता,अखंडता एवं राष्ट्रीयता के लिए नुकसानदेह है।

नेपाल दक्षिण एशिया का “बफर राज्य ” है जो शांति, स्थिरता, एकता एवं  भू – भागीय संरचनात्मक एकता , एवं राजनीतिक एकता के उन्नयन के लिए अति आवश्यक देश है। नेपाल में राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक, आर्थिक ,राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संबंधों के लिए आवश्यक है। राजनीतिक एवं प्रशासकीय  स्तर पर सुशासन की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। नेपाल में’ विधि के शासन ‘ को क्रियान्वित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सभी नागरिकों के  मानव अधिकारों  को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की आवश्यकता है। विधि के शासन को प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता है। नीति – निर्माण एवं क्रियान्वयन प्रक्रिया में नागरिकों की सहभागिता को सुनिश्चित करना सुशासन के लिए आवश्यक है। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए प्रभावी नियंत्रण की आवश्यकता है। नेपाल सरकार को एक ऐसा आधारभूत संरचना का निर्माण करना चाहिए जिससे नेपाली युवा रोजगार प्राप्त कर सकें। युवाओं को प्रतिभा पलायन के बजाय स्वदेश में रोजगार प्राप्त हो सके।

व्यवस्था व प्रशासन में पारदर्शिता से नागरिक समाज मजबूत होता है। शासकीय अंगों में पारदर्शिता के लिए सूचना के अधिकार का क्रियान्वयन ,सरकार को  पारदर्शी, जवाबदेह एवं नागरिक उन्मुख होना चाहिए। इससे शासकीय नीतियों का कुशल क्रियान्वयन हो, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण हो, सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार एवं नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए कुशल प्रभावी एवं समान उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना चाहिए। सुशासन के लिए  जनोन्मुखी बजट, बजट का सही क्रियान्वयन, विधि का शासन एवं  राजनीतिक व  प्रशासकीय नेतृत्व में ईमानदारी के अव्यय होना अति आवश्यक है। इन सभी का क्रियान्वयन करके व्यवस्था में विश्वास एवं उत्तरदायित्व  का भावना लाई जा सकती है 

वर्तमान में नेपाल को ‘ संतुलित विदेश नीति’ को अपनाना चाहिए। संतुलित विदेश नीति का आशय पड़ोसी देशों एवं वैश्विक स्तर पर मधुर संबंध बनाए रखना जिससे राष्ट्र – राज्यों के मध्य राष्ट्रीय हितों एवं राजनीतिक संबंधों का क्रियान्वयन हो सके। इससे राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा जा सकता है। राष्ट्रीय हितों के संतुलन से शक्तियों में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।

 नेपाल दक्षिण एशिया में एक ऐसा देश है जो अपने उदार नीतियों, लोकतांत्रिक मूल्यों, आदर्शों एवं हिंदुत्व के प्रति झुकाव के लिए जाना जाता है। नेपाल का दक्षिण एशिया में बहुत ही सार्थक व अर्थोपाय  भूमिका है। समकालीन में नेपाल की राजनीतिक स्थिरता पड़ोसी देशों के लिए आवश्यक है।

डॉ.बालमुकुंद पांडे 

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