
संदीप त्यागी
देश में भाजपा के चाणक्य नरेंद्र मोदी व अमित शाह के बाद उत्तर प्रदेश में सुनील बंसल को भाजपा का चाणक्य माना जाता है, बंसल अपने सरल स्वभाव मिलनसार व्यक्तित्व की वजह से देश भर में भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो गये हैं। राजस्थान के कोटपुतली गांव में 20 सितंबर 1969 में जन्मे सुनील बंसल ने सक्रिय राजनीति की शुरुआत राजस्थान यूनिवर्सिटी में महामंत्री का चुनाव में विजयी होकर की थी। मात्र 20 साल की उम्र में छात्र राजनीति की चुनावी जंग में उतरने वाले सुनील बंसल ने अपने जीवन के पहले ही चुनाव में अपने कुशल चुनावी मैनेजमेंट से जीत हासिल करके बड़े-बड़े राजनेताओं का ध्यान आकर्षित करने का कार्य किया था। छात्र जीवन में मिली इस एक जीत ने ही सुनील बंसल को संगठन एवं चुनावी प्रबंधन को सिखा दिया था। 1 साल बाद वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी जब राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा लेकर निकले थे तो उस समय तक सुनील बंसल आरएसएस के प्रचारक बन चुके थे। साल 1990 से संघ में काम करते हुए सुनील बंसल पूरी तरह से उसी में रम गए थे, बीच में उन्होंने बहुत सारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। वर्ष 2010 में उन्होंने ‘यूथ अगेंस्ट करप्शन’ के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर जिम्मेदारी का निर्वहन किया था। लेकिन बंसल उस वक्त देश की राजनीति में सुर्खियों में आये थे, जब वर्ष 2014 में भाजपा में उस समय के महासचिव व उत्तर प्रदेश के प्रभारी अमित शाह के सहयोगी के तौर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश में संगठन का काम करना शुरू किया था। जिस वक्त तत्कालीन पार्टी नेतृत्व के द्वारा अमित शाह को यूपी का प्रभारी बनाया गया था, तो उन्होंने यूपी में बूथ मैनेजमेंट का जिम्मा सुनील बंसल को सौंपा था। उस वक्त सुनील बंसल ने अपनी नेतृत्व क्षमता राजनीतिक कौशल और एक बेहद कुशल संगठन शिल्पी होने का परिचय दिया था और यूपी में भाजपा को 80 में से 73 सीटों पर जीत दिलवाने का कार्य किया था।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रचंड विजय मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में आये परिणामों के आधार पर भारतीय राजनीति के चाणक्य अमित शाह ने सुनील बंसल की कुशल संगठनकर्ता वाली क्षमता को भांपकर उन्हें वर्ष 2014 में ही उत्तर प्रदेश का संगठन मंत्री बनाया था। उस समय नया दायित्व मिलते ही बंसल लोकसभा चुनावों के जीत के जश्न में आराम ना करके आगामी यूपी विधानसभा चुनावों की तैयारी करने व संगठन को चुस्तदुरुस्त करने में रातदिन एक करके जुट गए थे। बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सपा सरकार को चुनावों में हरा कर भाजपा की सरकार बनाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया था। केंद्रीय स्तर पर अमित शाह रणनीति बनाते और उसे उत्तर प्रदेश में धरातल पर उतारने का काम बाखूबी सुनील बंसल संगठन के माध्यम से कुशलतापूर्वक करते थे। उस समय यूपी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए सुनील बंसल ने यूपी में जातीय समीकरणों को नजदीक से समझकर और भाजपा के मुख्य वोटर स्वर्ण समाज को जोड़े रखते हुए ही, प्रदेश में बूथ लेवल तक दलित, ओबीसी और महिलाओं को सीधे पार्टी की गतिविधियों से जोड़ने का कार्य किया था। पूरे प्रदेश में सुनील बंसल ने विस्तारक नियुक्त किए और उनको बाकायदा प्रशिक्षण दिया था। इन सभी विस्तारकों का कार्य लोगों के बीच जाकर संगठन का विस्तार और प्रचार-प्रसार करना और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों को आम जनमानस को समझाना था। उनकी इसी रणनीति के चलते ही यूपी में भाजपा की 2 करोड़ से ज्यादा सदस्यता हुई थी और वर्ष 2017 में प्रचंड बहुमत से भाजपा की राज्य में सरकार बनी। सुनील बंसल की कार्यशैली पर अमित शाह को इतना अधिक भरोसा था कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में उन्हें भेजा गया और उस रणनीति का नतीजा यह हुआ कि महाराष्ट्र में पहली बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हाल के माह में बंसल को बंगाल के विधानसभा चुनावों में बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी थी, वहां पर भी उन्होंने अपनी रणनीति व कार्यशैली से भाजपा को जबरदस्त सफलता दिलाने का कार्य किया था और एकबार फिर अपनी चुनावी रणनीति को सही साबित किया।
वैसे आपको बता दें कि सुनील बंसल का पूरा परिवार आरएसएस से जुड़ा रहा है, बंसल ने जयपुर में स्कूलिंग की है, उस दौरान वो हॉस्टल में रहा करते थे और तभी से उन्हें राजनीति से विशेष लगाव था, स्कूल के दिनों से ही आरएसएस की शाखाओं में जाने वाले बंसल बहुत जल्द ही शाखा के मुख्य शिक्षक बन गये थे। 51 साल के बंसल 1986 में एबीवीपी से जुड़े थे और फिर 1989 में घरबार छोड़कर आरएसएस में पूर्णकालिक तौर पर शामिल हो गए थे। बंसल संघ कार्यालय में रहकर 1993 से 1996 तक उदयपुर में संघ का काम देखा करते थे, इसके बाद वह 2007 में राजस्थान भाजपा के संगठन मंत्री बने, क्षेत्रीय संगठन मंत्री, राष्ट्र सह-संग़ठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री जैसे पदों से होते हुए वर्ष 2014 में उन्हें भाजपा में भेजा गया था। उत्तर प्रदेश में जिम्मेदारी मिलते ही बंसल ने पार्टी के लिए कमज़ोर इलाकों और उनमें सुधार के लिए सुझाव की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। सुनील बंसल ने चुनावों के मद्देनजर लखनऊ में वार रूम में एक कॉल सेंटर भी बनाया था जो कि 24 घंटे काम करता था और किसी भी विधानसभा में इलाके के बूथ कार्यकर्ता तक को सन्देश तुरंत इस कॉल सेंटर के माध्यम से पहुंचाया जाता था और काम पूरा होने तक कॉल सेंटर ही रिपोर्ट बना कर सुनील बंसल को देता था, सुनील बंसल ने अपने इसी माइक्रो मैनेजमेंट के जरिये यूपी में हर स्तर के चुनावों में भाजपा को बड़ी जीत दिलाने का कार्य लगातार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वर्तमान में गृहमंत्री अमित शाह के निर्देशन में पहले वर्ष 2014 का लोकसभा फिर वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी कारगर रणनीति से जीत हासिल करने के बाद से सुनील बंसल को उत्तर प्रदेश की सियासत में चाणक्य कहा जाता है। उत्तर प्रदेश की सियासत के रग-रग से वाफिक हो चुके सुनील बंसल अब वर्ष 2022 के आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को जीत दिलाने के लिए रणनीति बनाने में व्यस्त हैं और आज सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय भी विपक्ष के पास सुनील बंसल की चुनावी रणनीतियों का कोई तोड़ नहीं है।