चारित्रिक अवमूल्यन जॉनसन को ले डूबा

0
683

-ललित गर्ग-

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की विदाई का कारण स्वच्छन्द, भ्रष्ट एवं अनैतिक राजनीति बना। समूची दुनिया के शासनकर्त्ताओं को एक सन्देश है बोरिस की इस बेकद्री से बेआबरु होकर विदा होना। किस तरह कांड-दर-कांड का सिलसिला चला और जॉनसन ने 2019 के चुनावों में जो राजनीतिक प्रतिष्ठा अर्जित की थी, वह धीरे-धीरे  राजनीतिक अहंकार एवं अनैतिक कृत्यों के कारण गायब होती गई। उन्हें जो व्यापक जनादेश मिला था, उसका फायदा वह नहीं उठा पाए, क्योंकि जो अनुशासन, चरित्र की प्रतिष्ठा, संयम एवं मूल्यों का सृजन उनके प्रशासन में होना चाहिए था, वह कमोबेश नदारद रहा। जिस तेजतर्रार तेवर के साथ जॉनसन ने ब्रेग्जिट अभियान को अपने हाथों में लिया था और उसके बाद 2019 के आम चुनाव में जीत हासिल की थी, उस तेवर को वह बरकरार नहीं रख पाए। इसी वजह से विगत कुछ महीनों से उनकी कंजर्वेटिव पार्टी को लगातार झटके लगते आ रहे थे और नौबत यहां तक आ गई कि अनेक मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया।
अपनी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और डिप्टी चीफ व्हिप के पद पर नियुक्त किए क्रिस पिंचर पर लगे आरोपों के चलते बोरिस जॉनसन को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा है। विपक्ष के लगातार बढ़ते दबाव और कंजरवेटिव पार्टी में उनके खिलाफ उठती आवाजों के बीच उनके वित्त मंत्री ऋषि सुनक सहित 50 मंत्रियों और सांसदों के इस्तीफे के बाद जॉनसन को अपना पद छोड़ना ही पड़ा। हाऊस ऑफ कॉमन्स में मोबाइल फोन में अश्लील वीडियो देखने को लेकर कंजरवेटिव पार्टी के एक सांसद को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। ब्रिटेन की सरकार पहले कोरोना महामारी के दौरान शराब पार्टी को लेकर फंसी थी और अब वह एक सैक्स स्कैंडल को लेकर फंसी है। कोरोना महामारी के दौरान पाबंदियों के बावजूद प्रधानमंत्री आवास में दारू पार्टियां की जाती रहीं, जिसमें खुद बोरिस जानसन भी शामिल  होते रहे। अश्लील, भोगवादी एवं दारु पार्टियों के मदहोश में उन्मुक्त बोरिस एवं उनकी पार्टी के नेता भूल गये कि वे जिन जिम्मेदार पदों पर आसीन है, वहां बैठकर यह सब करना कितना गलत, अनैतिक एवं स्वच्छंद है। 30 जून को ब्रिटेन के समाचार पत्र द सन ने एक रिपोर्ट छापी जिसमें दावा किया गया था कि सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी के सांसद क्रिस पिंचर ने लंदन के  एक प्राइवेट क्लब में दो मर्दों को आपत्तिजनक तरीके से छुआ। हाल ही के वर्षों में पिंचर के कथित यौन दुर्व्यवहार से जुड़े अनेक मामले सामने आए। यह खुलासे होने के बाद पिंचर ने सरकार के सचेतक पद से इस्तीफा देकर जांच में सहयोग का वादा किया।
दुनिया की सभी शासन-कर्त्ताओं से वहां के नागरिक अपेक्षा करते हैं कि उनके शासक ईमानदार हो, चरित्रसम्पन्न हो, नशामुक्त हो एवं अपने पद की गरिमा को कायम रखने वाले हो। ब्रिटेन के नागरिक भी यही उम्मीद करते रहे कि सरकार एक सही, योग्य, जिम्मेदार और गम्भीर तरीके से काम करे। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था, वहां की सरकार सही ढंग से काम नहीं कर रही थी। राजनीतिक क्षेत्रों में इन बातों की चर्चा लम्बे समय से गर्मायी रही। भारतीय उद्योगपति नारायणमूर्ति के दामाद ऋषि सुनक  ने बोरिस जानसन के माफी मांगने के बावजूद उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया? ऋषि सुनक ने कहा है कि जो कुछ हुआ उसके खिलाफ यह जरूरी था। ब्रिटेन में ही नहीं, हमारेे भारत में भी ऐसे ही कुछ कारणों से पिछले दिनों महाराष्ट्र में ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। चरित्र, नैतिकता एवं राजनीतिक मूल्यों के साथ जुड़ी जागृति ही राजनीति में सच्चाई का रंग भरती है अन्यथा आदर्श, उद्देश्य  और सिद्धान्तों को भूलकर सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने वाला और भी बहुत कुछ नीचे छोड़ जाता है, जिसके लिये मंजिल की अन्तिम सीढ़ी पर पहुंचकर अफसोस करना पड़ता है।
जॉनसन के खिलाफ शिकायतों की लंबी सूची है। जब कोरोना की लहर चल रही थी, देश में लॉकडाउन लगा था, तब प्रधानमंत्री के आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट में पार्टी या उत्सव का आयोजन हो रहा था, जब ब्रिटेन की जनता जिन्दगी और मौत के बीच रोशनी तलाश रही थी, तब उनके नेताओं के झुंड ऐश कर रहे थे, यौनाचार एवं नशे में डूबे थे और उनकी इन पार्टियों को पार्टीगेट स्कैंडल नाम दिया गया। आरोप लगा, तो शुरू में जॉनसन ने पार्टी के आयोजन से ही इनकार कर दिया, लेकिन बाद में उन्होंने गलती मान ली और जुर्माना भी चुकाया। बात केवल बोरिस की नहीं है, बात दुनिया पर शासन करने वाले शीर्ष नेताओं के चरित्र की है। जिन्दगी की सोच का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह ही है कि चरित्र जितना ऊंचा और सुदृढ़ होगा, सफलताएं उतनी ही सुदृढ़ और दीर्घकालिक होगी। बिना चरित्र न जिन्दगी है, न राजनीतिक सफलताएं और न समाज के बीच गौरव से सिर उठाकर सबके साथ चलने का साहस। राजनीति में संयम एवं चरित्र की प्रतिष्ठा जरूरी है। संयम का अर्थ त्याग नहीं है। संयम का अर्थ है चरित्र की प्रतिष्ठापना।
जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी के लोग भी कहने लगे हैं कि जब पिंचर के खिलाफ पहले ही शिकायतें थीं तो उनको नियुक्त ही क्यों किया गया? बोरिस जॉनसन ने पिंचर की नियुक्ति को गलती बताते हुए पीड़ित लोगों से माफी भी मांगी। सरकार ने जिस तरीके से लोगों को हैंडल किया है लोग उस पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। हर विवाद पर सरकार के जवाब बदलते रहे हैं। जॉनसन के आलोचक नेतृत्व बदलने के लिए मांग कर रहे हैं। ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों की उपेक्षा हुई, जबकि नैतिकता अपने आप में एक शक्ति है जो व्यक्ति की अपनी रचना होती है एवं उसी का सम्मान होता है। संसार उसी को प्रणाम करता है जो भीड़ में से अपना सिर ऊंचा उठाने की हिम्मत करता है, जो अपने अस्तित्व का भान कराता है। नैतिकता की आज जितनी कीमत है, उतनी ही सदैव रही है। जिस व्यक्ति के पास अपना कोई मौलिक विचार एवं ऊच्च चरित्र है तो संसार उसके लिए रास्ता छोड़ कर एक तरफ हट जाता है और उसे आगे बढ़ने देता है। मूल्यों को जीते हुए तथा काम के नये तरीके खोज निकालने वाला व्यक्ति ही देश एवं दुनिया की सबसे बड़ी रचनात्मक शक्ति होता है।
अब ब्रिटेन की राजनीति में बड़ा बदलाव आने की संभावना है, इसमें लेबर पार्टी का जो उभार आ रहा है, हो सकता है कि उसके नेता चुनाव जीत जाएं। सत्ता स्थानांतरित होती दिख रही है। दो दशक से कंजर्वेटिव ने सत्ता पर कब्जा किया हुआ था, लेकिन अब सत्ता लेबर की ओर जाती दिख रही है। कंजर्वेटिव के अंदर जो विभाजन हैं, वे बढ़ते नजर आ रहे हैं। जॉनसन अगले प्रधानमंत्री के चुने जाने तक प्रधानमंत्री रहना चाहते हैं, लेकिन सवाल है कि क्या उनकी पार्टी उन्हें यह मौका देगी? तय है, आने वाले दिनों में कंजर्वेटिव पार्टी के बीच विवाद बढ़ेगा। और इन सब स्थितियों का कारण राजनीति में मूल्यों का अवमूल्यन है। ब्रिटेन ही नहीं, दुनिया में शासन करने वाली नेतृत्व शक्तियों को जॉनसन से सबक लेना होगा, सीख लेनी होगी कि राजनीति के लिये चरित्र, संयम, मूल्य बहुत जरूरी है। इस घटनाक्रम से राजनीतिज्ञों के लिये एक सोच उभरती है कि दायें जाये चाहे बायें, लेकिन श्रेष्ठ एवं आदर्श चरित्र के बिना सब सुना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,024 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress