प्रवक्ता न्यूज़

चीन को लेकर मनमोहन सरकार लापरवाह

अमेरिका में होने वाले आगामी  जी-20 देशों की शिखर बैठक के दौरान भारतीय और चीनी प्रधानमंत्री के बीच औपचारिक भेंट की संभावना ख़त्म हो गयी है .भारत की तरफ से यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत सरकार चीनी सेना द्वारा सीमा के अतिक्रमण के बढ़ते मामलों  को लेकर भारत में कमोबेश तनाव का माहौल बनता दिख रहा है .india-china-border

“पिट्सबर्ग में जी-20 देशों की शिखर बैठक के दौरान डॉ. सिंह और चीन के प्रधानमंत्री की बीच औपचारिक बैठक आयोजित किये जाने की कोई योजना नहीं है.” विदेश मंत्रालय की ओर से अधिकारिक तौर पर जारी इस बयान से साफ़ -साफ़ पता चलता है कि सरकार भारत-चीन मसले को लेकर कितनी गंभीर है !

चीनी सेना द्वारा नियंत्रण रेखा के उल्लंघन का मामला पिछले दिनों से भारतीय मीडिया में छाया हुआ है . लेकिन सर कार ने कहा है कि मीडिया इस मामले को अनावश्यक रूप से तूल दे रहा है ,चीन के साथ लगती हमारी सीमा सबसे शांतिपूर्ण है. इसलिये ये कोई मुद्दा नहीं हैं. वहां पर कोई समस्या नहीं है.”  चीन को लेकर अपनी नाकामी छिपाने के लिए दूसरो को दोष देने का इससे अच्छा उदाहरण और क्या होगा ? अब तक के सारी सरकारें चीन से सीमा विवादों को हल करने में नाकाम रही है . चीन अभी तक अरुणाचल प्रदेश को अपने नक्से में दिखाता है. बात यहीं नहीं रुकती है . बार -बार विभिन्न इलाकों में सीमा उलंघन तो आम बात हो चली है . इस वर्ष अप्रैल माह तक भारत के दक्षिणी इलाके में ४१३ कब्जे होने की जानकारी सामने आई है। इस तरह चीन का बार-बार भारतीय सीमा को छेड़ना एक सुनियोजित साजिश है। सरकार को कड़ी प्रतिक्रिया जताना चाहिए। लेकिन सरकार तो इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाले हुए है .