चीन की गीदड़ भभकी ,दिखावा या हकीकत

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इस समय पूरा विश्व भारत के प्रति चीन के बदलते नजरिये को देखकर काफी आश्चर्य चकित है | वह भी तब जब भारत इसी महीने आयोजित होने वाले जी – 20 बैठक का मेजबानी कर रहा है | चीन भी इस जी – 20 समूह का सदस्य देश है | पिछले दिनों दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच सकारात्मक बैठक भी हुई थी | इसके बावजूद भी पिछले दिनों चीन के द्वारा जारी किये गए अपने स्टैण्डर्ड मैप में अक्साई चीन सहित अरुणांचल प्रदेश के कई हिस्सों को अपना बताया गया  |इसे लेकर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसके विरुद्ध कड़ी प्रतिक्रिया भी दी |चीन के द्वारा ऐसा पहली बार नहीं किया गया है ,इससे पहले भी कई बार चीन इसे अपना हिस्सा बता चूका है  | इस बार के नक्शे में भारत ही नहीं कई अन्य देशों मलेशिया ,फिलीपींस, ताईवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को अपना हिस्सा दर्शाया गया है |चीन के बढ़ते विस्तारवादी नीति को लेकर पूरे दक्षिण एशिया सहित विश्व की कूटनीतिक राजनीति में काफी उथल – पुथल मचा है | वैसे तो चीन ने पाकिस्तान के साथ जी – 20 से सम्बन्धित विभिन्न बैठको का अरुणांचल प्रदेश में आयोजित होने पर भी विरोध किया  था ,जिसे भारत ने ख़ारिज करते हुए काश्मीर और अरुणांचल प्रदेश में बैठके आयोजित की |आज चीन के द्वारा आधिकरिक घोषणा की गई कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत में आयोजित जी– 20 सम्मेलन हिस्सा नही लेगे | चीन के इस रुख के पीछे का कारण आने वाला समय ही बयां करेगा लेकिन चीन के इस बदलते नज़रिये से हर कोई हैरान हैं |

चीन के इस बदलते बोल के पीछे कई कारण है ,सबसे जो महत्वपूर्ण है वह गलवान घाटी विवाद के बाद दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का भारत के प्रति बढ़ता विश्वास है |पिछले तीन वर्ष से सीमा पर भारत का चीन के विरुद्ध लगातार कड़ा रुख अख्तियार किया हुआ है | इससे जितने भी दक्षिण पूर्व एशियाई देश  चीन के विरुद्ध है ,सभी अब खुल कर भारत का साथ दे रहे है |ये देश आसियान के मंच पर अब तक खुलकर चीन का विरोध करने की हिमाकत नही जुटा पाते थे |इससे पहले दक्षिण पूर्व एशियाई देश केवल आपस में बात कर ही चीन का विरोध व्यक्त करते थे |अब बदलते वक्त के साथ हर कोई खुलकर बात करने लगा है |नेपाल जैसे देश के काठमांडू के मेयर ने इस विवाद के बाद अपनी चीन की प्रास्तावित यात्रा को रद्द कर दिया है |यही सब अब चीन को नागवार गुजर रहा है | इस समय जब भारत जी – 20 सम्मेलन का मेजबानी कर रहा है तो चीन के द्वारा विभिन्न तरीकों से दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है |पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने एक इंटरव्यू में साफ कर दिया था कि भारत किसी भी कीमत पर अपनी सम्प्रभुता व अखंडता से कोई समझौता नही करेगा |

इसका अंदेशा भारत को पहले से ही था तभी तों पिछले कई महीनों से सीमा पर कोर कमांडरो के बीच  लगातार बैठकों का दौर जारी था |भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार 23 अप्रैल को 18 वीं जबकि 13–14 अगस्त को ही भारत और चीन के कमांडरो के बीच सीमा पर 19 वीं मीटिंग हुईं थी |इस मीटिंग में यह कोशिश किया गया कि दोनों देशों के सैन्य तनाव को कम किया जाय |इसी को लेकर भारतीय एन.एस .ए. अजित डोभाल ने ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका में चीनी समकक्ष से बात की थी | जिसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर मुलाकात किया था |इन सब प्रयासों के बाद ये कयास लगाये जा रहे थे कि अब स्थिति कुछ समान्य जरुर होगी और चीनी राष्ट्रपति भारत में आयोजित जी –20 सम्मेलन जरुर हिस्सा लेगे |आज बीजिंग के तरफ से जारी वक्तव्य ने साफ कर दिया ,जिसका पहले से ही मीडिया में चर्चा था |चीन के इस बिरोध का एक कारण और भी है | भारतीय प्रधानमंत्री लगातार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के दौरे कर रहे है |इस दौरे दौरान भारत ने आसियान देशों के साथ कई सामरिक समझौते किया है |

जी–20 के दूसरे सबसे ताकतवर देश चीन के राष्ट्रपति का भारत न आना एक कुटनीतिक पहलू है |जिनपिंग का ये निर्णय भारत के साथ साथ अमेरिका को भी तगड़ा झटका है |अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडन ने पिछले हफ्ते साफ कहा था कि ओ भारत आने के इच्छुक है और उन्होंने चीनी राष्ट्रपति से सुखद मुलाकात की इच्छा जाहिर की थी |अमेरिका के कई अधिकारी कई महीनों से लगातार चीन के दौरे कर रहे थे और ये कोशिश की जा रही थी कि रिश्तों में सुधार हो |  चीन भारत और अमेरिका के बीच बढती नजदीकियों को लेकर चिंतित है |इस निर्णय के द्वारा चीन ने साफ़ संकेत देने की कोशिश है कि उसकी नीति स्पष्ट विस्तारवाद की है |जिसे वह छोड़ने को तैयार नहीं है |पहली बार जी–20 की अध्यक्षता कर रहा भारत इस पूरे घटनाक्रम पर अभी कुछ बोलने से बच रहा है | आने वाले समय में भारत चीन के इस निर्णय पर क्या रुख अख्तियार कारता है ,ये समय की बात है | फ़िलहाल भारत जी–20 सम्मेलन को उसके ध्येय वाक्य  “वसुधैव कुटुम्बकम् ” के साथ भव्य और यादगार बनाने में लगा है  |

नीतेश राय

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