आओ जानें डायनासोर की दुनिया

dianasaurअभिषेक कांत पाण्डेय
स्टीवन स्पीलबर्ग की जुरासिक पार्क फ्रेंचाइजी की नई फिल्म ‘जुरासिक वर्ल्ड’ इन दिनों खूब धूम मचा रही है। इससे पहले भी एक फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ आई थी, जिसने पूरी दुनिया में डायनासोर नाम के जीव से परिचय कराया था। तुमने भी वह फिल्म देखी होगी, आखिर कहां चले गए ये डायनासोर, कैसे हुआ इनका अंत… इनके बारे में तुम अवश्य जानना चाहोगे।

कई तरह के थे डायनासोर
स्टीवन स्पीलबर्ग की जुरासिक पार्क फ्रेंचाइजी की नई फिल्म ‘जुरासिक वर्ल्ड’ इन दिनों खूब धूम मचा रही है। इससे पहले भी एक फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ आई थी, जिसने पूरी दुनिया में डायनासोर नाम के जीव से परिचय कराया था। तुमने भी वह फिल्म देखी होगी, आखिर कहां चले गए ये डायनासोर, कैसे हुआ इनका अंत… इनके बारे में तुम अवश्य जानना चाहोगे।

डायनासोर की और बातें
.इनके अब तक 5०० वंशों और 1००० से अधिक प्रजातियों की पहचान हुई है।
.कुछ डायनासोर शाकाहारी, तो कुछ मांसाहारी होते थे जबकि कुछ डायनासारे दो पैरों वाले, तो कुछ चार पैरों वाले थे।
.डायनासोर बड़े होते थे, पर कुछ प्रजातियों का आकार मानव के बराबर, तो उससे भी छोटे होते थे।
.कुछ डायनासोर अंडे देने के पक्षियों की तरह घोसले बनाते थे।
.सबसे छोटे डायनासोर के जीवाश्म की ऊंचाई 13 और लंबाई 16 इंच की है।

टाइटेनोसोरस:
टाइटेनोसोरस का मतलब है, दैत्याकार छिपकली। इसके कुछ हिस्सों के जीवाश्म ही प्राप्त हुए हैं। यह करीब 2० फीट ऊंचा और 3० फीट लंबा था। इसके जीवाश्म क्रेटेशियस काल के हैं। इन्हें जबलपुर के पास से लाइडेकर ने1877 में खोजा था।
इंडोसोरस:
वॉन हुइन एवं मेटली ने 1933 में जबलपुर, मंडला के कई स्थानों पर कई डायनासोर्स के जीवाश्म खोजे थे। जैसे, मेगालोसोर, कारनाटोसोर, आर्थोगानियासोर आदि। इन सभी को थीरोपोड जीव समूह के इंडोसोर उपसमूह में रखा गया है। इनके भी अधूरे जीवाश्म ही प्राप्त हुए हैं। इनकी ऊंचाई करीब 3०-35 फुट और वजन 7०० किलो रहा होगा।
जबलपुरिया टेनियस:
इसके जीवाश्म 1933 में वॉन हुश्न एवं मेटली द्बारा जबलपुर के पास लमेटा से खोजे गए थे। यह छोटे कद का (करीब 3 फुट ऊंचा, 4 फीट लंबा) और 15 किलो वजनी डायनासोर था।

डायनासोर का मतलब होता है दैत्याकार छिपकली। ये छिपकली और मगरमच्छ फैमिली के जीव थे। वैज्ञानिकों ने जीवों की उत्पति के मुताबिक समय को बांटा है। आज से 25 करोड़ साल पहले के समय को ज्यूरासिक युग कहते हैं। डायनासोर लगभग 19 करोड़ साल तक इस धरती पर रहे हैं। तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि उस समय इनकी कुछ ऐसी प्रजातियां भी थीं, जो पक्षियों के तरह उड़ती थीं। ये सभी डायनासोर सरिसृप समूह के थे। इनमें कुछ छोटे (4 से 5 फीट ऊंचे), तो कुछ विशालकाय (5० से 6० फीट ऊंचे) थे। इनकी अधिकतम ऊंचाई 1०० फीट तक नापी गई है। आज से लगभग 6 करोड़ वर्ष पूर्व ये पृथ्वी से अचानक विलुप्त हो गए, लेकिन भारत और चीन में ये उसके बाद तक (लगभग 5० से 6० लाख वर्ष तक जिंदा रहे हैं। और हां, ये सब जानकारी उनके अलग-अलग जगहों पर पाए गए जीवाश्म के अध्ययन से मिली है।
आर्कटिक के जंगलों घूमते थे डायनासोर
आज से 1० करोड़ साल पहले आर्कटिक में बर्फ नहीं था, बल्कि यहां पर जंगल था। इन जंगलों में डायनासोर आराम से रहते थे। वैज्ञानकों ने डायनासोर युग के पौधों की वास्तविक तस्वीरें तैयार कर बताया है कि करीब 1० करोड़ साल पहले इस धुव्रीय क्षेत्र में वैसी ही जलवायु थी, जैसी कि आज ब्रिटेन में है।

कभी तैरते थे डायनासोर
डायनासोर न सिर्फ जमीन पर चलते थे, बल्कि वे पानी में भी तैरते थे। ये भोजन के लिए मछलियों और अन्य समुद्री जीवों को निशाना बनाते थे। स्पाइनोसोर परिवार के बैरीयोनिक्स वाकेरी डायनासोर की खोपड़ी लंबी थी और वह मगरमच्छ जैसी दिखाई देती थी। उसके दांत भी चाकू के आकार के थे। टायरनोसोर रेक्स जाति के और धरती पर रहने वाले डायनासोर के दांत कुल्हाड़ी के आकार के होते थे।

भारत में डायनासोर
भारत में भी डायनासोर के कई जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। इनमें नर्मदा घाटी से मिले डायनासोर के जीवाश्म का इतिहास बहुत लंबा है। सबसे पहले आर. लाइडेकर ने 1877 में जबलपुर के पास से लमेटा जगह से डायनासोर के जीवाश्म पाया था। इसे टायटेनोसोर कहा गया।

मिले पंजों के निशान
जीवाश्म विशेषज्ञों ने यूरोप में स्विस पर्वत पर डायनासोर का अब तक का सबसे बड़ा पंजे का निशान खोजा है। नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के एक टीम ने स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े पार्क इला नेचर रिजर्व में 3,3०० मीटर के दायरे में 15 इंच लंबे पंजों के निशान को खोजा है। पंजों के निशान देखकर वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया कि 15 से 2० फीट लंबे तीन पैर वाला जानवर 21 करोड़ साल से भी पहले स्विस आल्पस पर घूमता-फिरता था। 15 इंच लंबे निशान ट्रियासिक काल के मांस भक्षी डायनासोर के हैं, जो उस दौर में पृथ्वी पर सबसे बड़े शिकारी हुआ करते थे।

​कहां गायब हो गएं डायनासोर
6 करोड़ साल पहले धरती पर अचानक बड़े-बड़े उल्का पिड गिरने लगे। इस कारण से डायनासोर का अस्तित्व खत्म होने लगा। वैज्ञानिकों ने डायनासोर के विलुप्त होने और भी कारण बताएं हैं। एकाएक जलवायु परिवर्तन के कारण डायनासोर खुद को मौसम के मुताबिक ढाल नहीं पाए, इसके अलावा जलवायु परिवर्तन की वजह से भोजन की कमी के कारण ये खत्म हो गए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,687 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress