आओ शहीदों को दीप जलाए

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आओ शहीदों को दीप जलाए
जो अपने घर लौट कर न आए।
केवल तिरंगे को ओढ कर आए,
उन सबका हम सम्मान बढ़ाए ।।

जो सीमा की कर रहे थे रखवाली
मना नहीं पाए घर पर दीपावली ।
आओ हम सबको शीश झुकाए,
श्रद्धा से उनको हम दीप जलाए।।

जिनके घर पर शोक है पसरा,
मन में उनके दुख है बस रहा।
उन सबके घर पर हम जाए,
सांतवना के दीप हम जलाए।।

जिनके घर निराशा बस रही है,
आशा की किरण न दिख रही हैं।
उन घरों में हम सब लोग जाए,
आशा का वहां एक दीप जलाए।।

प्रधान मंत्री सीमा पर है जाते,
दिवाली जवानों के संग है मनाते।
उन्हेंअपने हाथो से मिठाई खिलाते
हम भी उनके घर पर सब जाए,
उनके साथ ही दिवाली मनाएं।।

इंडिया गेट पर जो ज्योति जलती,
जो हमेशा निरन्तर जलती रहती।
उस अमर ज्योति पर हम जाए,
उनके सम्मान में वहां दीप जलाए

कोरोना काल में दिवाली कैसे मनाए
केवल दो गज की दूरी हम बनाए,
और मुंह पर अपने मास्क लगाए।
तब कहीं सब शुभ दिवाली मनाएं

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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