सुरक्षा से समझौता एवं बौखलाहट की राजनीति

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– ललित गर्ग-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पंजाब में वहां की कांग्रेस सरकार द्वारा जो घोर उपेक्षा, गंभीर लापरवाही एवं असुरक्षा की गयी, वह कांग्रेस की राजनीति का एक कालापृष्ठ है। नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं दुनिया के महानायक है। उनका काफिला अगर किसी फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट के लिए रुक जाए, तो यह न सिर्फ चिंता की बात, बल्कि गंभीर लापरवाही का प्रदर्शन है। यह मामला प्रधानमंत्री की महज सुरक्षा में लापरवाही का नहीं, बल्कि घातक अनदेखी का मामला है। इसलिए और भी, क्योंकि यह सब पंजाब के उस सीमावर्ती इलाके में हुआ, जहां आतंकवादी गतिविधियों का भय हर समय बना रहता है। ऐसे इलाके में तो प्रधानमंत्री की सुरक्षा के कहीं अधिक पुख्ता उपाय किए जाने चाहिए थे। ऐसे उपाय करने में कैसी भयंकर कोताही बरती गयी, यह पंजाब के अफसरों से प्रधानमंत्री के इस कटाक्ष से स्पष्ट होता है कि अपने सीएम को धन्यवाद कहना कि मैं जिंदा लौट आया। इस मामले में पंजाब सरकार अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकती, न ही उसे बच निकलने का अवसर दिया जाना चाहिए।
इससे शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता कि अचानक धक्कामुक्की और प्रदर्शनकारियों के कारण प्रधानमंत्री का काफिला न केवल अटका रहे, बल्कि उसे वापस लौटने के लिए भी विवश होना पड़े। दुर्भाग्यवश पंजाब में ऐसा ही हुआ। यह इसलिए हुआ, क्योंकि प्रधानमंत्री का काफिला किस रास्ते से गुजरना है यह गोपनीय जानकारी प्रदर्शनकारियों तक पहुंचाई गई। आखिर यह गोपनीय सूचना किसने लीक की? इस सवाल के जवाब में यदि पंजाब पुलिस के साथ-साथ राज्य सरकार भी कठघरे में खड़ी दिख रही है तो इसके लिए वही जिम्मेदार है, क्योंकि खराब मौसम के कारण यह अंतिम क्षणों में तय हुआ था कि पंजाब के दौरे पर गए प्रधानमंत्री बठिंडा से हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक वायुमार्ग के बजाय सड़क मार्ग से जाएंगे। न केवल इसकी गहन जांच होनी चाहिए कि यह जानकारी प्रदर्शनकारियों तक कैसे पहुंची कि प्रधानमंत्री अमुक रास्ते से गुजरने वाले हैं, बल्कि उन कारणों की तह तक भी जाना चाहिए जिनके चलते वैकल्पिक रास्ते की व्यवस्था नहीं की जा सकी। प्रधानमंत्री की सुरक्षा से खिलवाड़ के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराकर उदाहरण पेश करने की जरूरत है। पंजाब सरकार के लापरवाह रवैये को देखते हुए केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषी लोग बचने न पाएं।
पिछले लम्बे दौर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक दर्शन, उनके व्यक्तित्व, उनकी बढ़ती ख्याति, उनकी कार्य-पद्धतियांे एवं उनकी सफलता के विजय रथ को अवरूद्ध करने के लिये कांग्रेस द्वारा जिस तरह के हथकंड़े अपनाये जा रहे हैं, वह राजनीतिक मूल्यों एवं मर्यादाओं के खिलाफ है। मोदी पर कीचड़ उछालना, अमर्यादित भाषा का उपयोग करना, उन्हें गालियां देना आम बात हो गयी है, लेकिन उनकी जीवन-सुरक्षा को नजरअंदाज करना- बेहद शर्मनाक है। इस निन्दनीय एवं पागलपन की घटना के उपरांत इसे सही ठहराने की कांग्रेस की कोशिश कोई नई बात नहीं है। आए दिन कोई-न-कोई कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपशब्द कहता ही रहता है। पंजाब की ताजा घटना के बाद कांग्रेस पार्टी की न केवल फजीहत हो रही है, बल्कि यह उसकी बौखलाहट को दर्शा रही है। स्वयं पंजाब के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ इस घटना पर अफसोस जताते हुए कहा है कि जो हुआ, वह स्वीकार्य नहीं है और यह पंजाबियत के खिलाफ है।
प्रोटोकोल के अनुसार प्रधानमंत्री की अगवानी करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री सहित प्रमुख अधिकारी पहुंचने चाहिए। लेकिन वे नहीं पहुंचें और वह भी तब जब उनके वाहन वहां पहुंच गए थे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का यह आरोप और भी गंभीर है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने फोन तक नहीं उठाया। यह बेहद लज्जा की बात है कि जब प्रधानमंत्री की सुरक्षा से खिलवाड़ पर पंजाब सरकार सवालों के घेरे में है तब कुछ कांग्रेसी नेताओं को मसखरी सूझ रही है। इससे यही पता चलता है कि अंधविरोध की राजनीति किस तरह नफरत में तब्दील हो चुकी है। चन्नी जैसे लोग सत्ता के शीर्ष पर बैठकर यदि इस तरह जनतंत्र के आदर्शों को भुला रहे हंै तो इससे वहां लोकतंत्र के आदर्शों की रक्षा नहीं हो सकती। राजनैतिक लोगों से महात्मा बनने की आशा नहीं की जा सकती, पर वे अशालीनता एवं अमर्यादा पर उतर आये, यह ठीक नहीं है।
मूल्यहीन एवं अराजक राजनीति के कारण प्रधानमंत्री की सुरक्षा की अनदेखी की गई हो। सच्चाई जो भी हो यह किसी से छिपा नहीं कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान पंजाब के किसानों के मन में प्रधानमंत्री के खिलाफ किस तरह जहर घोला गया। कांग्रेस पार्टी एवं उसकी सरकार का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार आपत्तिजनक ही नहीं राजनीतिक मूल्यों एवं लोकतांत्रिक आदर्शों से शून्य है। यह घटना भाजपा या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध है, इस कारण से वह आपत्तिजनक है, ऐसी बात नहीं है। क्योंकि भाजपा और नरेन्द्र मोदी का विरोध कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस के द्वारा मोदी के विरोध में स्तरहीन आलोचना होती रहती है। यह कांग्रेस की बौखलाहट ही है एवं विरोधी चेतना की मुखरता ही है कि प्रधानमंत्री के जीवन को खतरे में डालने का दुस्साहस कर दिया।
विरोध के लिये विरोध करना और जो जी में आये सारे मूल्यों एवं आदर्शों को ताक पर रखकर करना कांग्रेस का धर्म बन गया है। क्या कांग्रेस के विरोध का प्रतिवाद किया जाये? किन्तु जब कांग्रेस ने सारी मर्यादाओं एवं राजनीतिक मूल्यों को नजरअंदाज कर मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को कुचलने एवं उनकी जीवन-रक्षा पर सीधा आक्रमण कर दिया तो उसका उत्तर देना भी अपरिहार्य हो गया है, कांग्रेस की गलती को साधारण नहीं माना जा सकता। मेरी समझ में मोदी ने राजनीतिक मूल्यों को ही नहीं बल्कि भारत के गौरव को जितना मुखर किया है, उतना किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री या राजनीतिक दल ने नहीं किया। मोदी न केवल भारत बल्कि दुनिया की एक शीर्ष हस्ति है। मोदी ने अपना ही नहीं, भारत का कद दुनिया में बढ़ाया है। जो व्यापकता एवं राष्ट्रीय निष्ठा उनमें है, क्या इस तुलना में किसी दूसरे को उपस्थित किया जा सकता है? मोदी की इतनी व्यापकता, उपयोगिता और लोकप्रियता में भी कांग्रेस को कोई अच्छाई नजर नहीं आती, यह देखने का अपना-अपना नजरिया है। पंजाब में भी मोदी अनेक लोककल्याणकारी योजनाओं की घोषणा करने वाले थे। लेकिन लगता है कांग्रेस गुमराह है, मूल्यहीन हो गयी है, इस निराशावादी दृष्टिकोण ने मोदी की बढ़ती साख एवं लोकप्रियता को बाधित करने का यह पागलपन है, जिसने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को सीधा कुचलने का एवं सफलता के लगातार बढ़ते रथ को रोकने का गैर-जिम्मेदाराना कृत किया है।
प्रधानमंत्री की सुरक्षा तो विशेष रूप से सुनिश्चित होनी चाहिए, लेकिन पंजाब में यह शायद सरकार के स्तर पर हुई बड़ी चूक है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार से रिपोर्ट मांगी है। पंजाब सरकार को इस चूक की तह में जाना चाहिए। अगर यह चूक प्रशासन के स्तर पर हुई है, तो ऐसे लापरवाह अधिकारियों के लिए सेवा में कोई जगह नहीं होनी चाहिए और यदि इसके पीछे कोई राजनीति है, तो इससे घृणित कुछ नहीं हो सकता। प्रदर्शनकारियों को पता था कि प्रधानमंत्री का काफिला गुजरने वाला है, लेकिन क्या यह बात सुरक्षा अधिकारियों को नहीं पता थी कि प्रधानमंत्री का रास्ता प्रदर्शनकारी रोकने वाले हैं? यह बात कतई छिपी नहीं है कि हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां दुश्मन तत्वों की सक्रियता अक्सर सामने आती रहती है। ऐसे तत्वों के साथ अपराधी तत्वों का घालमेल हमें पहले भी बड़े संकट दिये हंै। बेशक, इस देश के लोगों को प्रधानमंत्री से कुछ मांगने का पूरा हक है, लेकिन उनका रास्ता रोकने की हिमाकत किसी अपराध से कम नहीं है। क्या कांग्रेस पार्टी ने अपने ही दो प्रधानमंत्रियों को खोकर कुछ सीखा है? दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक बैठने और पंजाब में सीधे प्रधानमंत्री का रास्ता रोकने के बीच जमीन-आकाश का फासला है। चुनाव का समय हो या सामान्य कार्य के दिवस मोदी ने कम गालियां नहीं खाईं, अनेक अवरोध झेले हैं। उनके विचारों को, कार्यक्रमों को, देश के लिये कुछ नया करने के संकल्प को बार-बार मारा जा रहा है।
कांग्रेसी मानसिकता बोटी-बोटी कर सकती है, वह गाली दे भी दे सकती है, लेकिन जीवन-रक्षा को ही खतरे में डाले, यह अक्षम्य अपराध है। लेकिन नरेन्द्र मोदी भारत की आजादी के बाद बनी सरकारों के अकेले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हंे कोई गोली, कोई अवरोध या गाली नहीं मार सकती। क्योंकि मोदी की राजनीति व धर्म का आधार सत्ता नहीं, सेवा है। जनता को भयमुक्त व वास्तविक आजादी दिलाना उनका लक्ष्य है। वे सम्पूर्ण भारतीयता की अमर धरोहर हैं।

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