सेक्स स्कैंडल में फंसे गवर्नर तिवारी
हैदराबाद। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने एक टीवी चैनल को आदेश दिया है कि वह राज्य के गवर्नर नारायण दत्त तिवारी से जुड़ी क्
लिप को टेलिकास्ट ना करे। कहा जा रहा है कि इस क्लिप में 85 वर्षीय तिवारी बिस्तर पर तीन नग्न महिलाओं के साथ दिखाई दे रहे हैं।
कोर्ट का यह आदेश जनहित याचिका के बाद आया है। शुक्रवार सुबह तेलुगु चैनल पर तिवारी की यह क्लिप दिखाई गई और करीब आधे घंटे तक यह ऑनएयर रही। क्लिप में कथित रूप से तिवारी ने नीचे कुछ भी नहीं पहना है और एक महिला उनकी गोद में बैठी हुई है, जबकि दो महिलाएं शरीर के ऊपरी हिस्से से लिपटी हुई हैं। बताया जा रहा है कि इसमें से एक महिला को सात महीने का गर्भ है, जबकि एक सिर्फ 18 साल की है।
इस पूरे मामले में उत्तराखंड की एक महिला के आरोप ने और गंभीर बना दिया है। राधिका नामक इस महिला का कहना है कि उसने ही तिवारी के आग्रह पर राजभवन के एक अधिकारी के जरिए तीनों महिलाओं को वहां भिजवाया था। उसने कहा,’ बूढ़े होने के बावजूद तिवारी की महिलाओं की भूख को संतुष्ट नहीं किया जा सकता है। वह बीच रात में मांग करते हैं और कभी-कभी तो दोपहर के खाने के बाद भी महिलाओं की मांग करते हैं।
उसने कहा कि गवर्नर ने वादा किया था कि वह इन जवान महिलाओं को नौकरी देंगे लेकिन उन्होंने तीनों का इस्तेमाल सेक्स के लिए किया। राधिका का यह भी कहना है कि तिवारी ने उसे भी कडपा में माइन का लाइसेंस देने का वादा किया था, लेकिन जब उन्होंने इस नहीं निभाया तो उसने विडियो क्लिप और फोटो जारी करके पूरे मामला का पर्दाफाश कर दिया।
इस मामले के खुलासे के बाद आंध्र प्रदेश में महिला संगठनों, वकीलों और नेताओं ने काफी तीखी प्रतिक्रिया जताई है। इन लोगों का कहना है कि तिवारी यौन विकृति के शिकार हैं और इन्हें तुरंत पद से हटाना चाहिए। इन लोगों का यह भा कहना है कि तिवारी ने गवर्नर जैसे सम्मानजनक ओहदे और राजभवन को शर्मसार कर दिया है।
तिवारी पर इस तरह के आरोप पहले भी लगे हैं। इससे पहले भी एक युवक रोहित शेखर ने दिल्ली हाई कोर्ट में तिवारी का बेटा होने का दावा किया था। लेकिन कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया था। शेखर ने याचिका दायर करते हुए दावा किया था कि उनकी मां और तिवारी के बीच घनिष्ठ संबंधों के कारण उनका जन्म हुआ, लेकिन तिवारी ने इससे इनकार किया।
नवभारत टाइम्स से साभार
राज्यपाल राज्य का एक सर्वोच्च पद होता है, इसकी एक गरिमा होती है. गवर्नर महोदय के बारे में ऐसी खबर पर विश्वास नहीं होता है. किन्तु इस मामले की उच्च स्तरीय जाच होनी ही चहिये. कंप्यूटर द्वारा कुछ भी किया जा सकता है. इसे गम्भिरीता से लेना होगा क्योंकि राज्य पल जैसे सार्वोच पद का बहुत बड़ा आपमान है.
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