” कांग्रेस को 21 साल बाद एक बार फिर से रिमोट कंट्रोल से चलने वाला अध्यक्ष चाहिए ! “

21 साल बाद कोई गैर गांधी परिवार का बनेगा कांग्रेस का अध्यक्ष
 आजादी के बाद 13 बार बने गैर गांधी परिवार से अध्यक्ष
 1947 में जे.बी.कृपलानी बने थे पार्टी के अध्यक्ष
 1996-98 तक सीताराम केसरी बने थे कांग्रेस अध्यक्ष
 गांधी परिवार का कोई करीबी बन सकता है अध्यक्ष
 कांग्रेस का नया अध्यक्ष होगा गैर गांधी परिवार से
 वगैर गांधी परिवार के आशीर्वाद के अध्यक्ष बनना मुश्किल
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते ही कांग्रेस को एक नए अध्यक्ष का
चुनाव करना है। संभावना है कि इस कुर्सी पर 21 साल बाद कोई गैर गांधी
परिवार का व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष बन सकता है। लोकसभा चुनाव में हुई करारी
हार के बाद राहुल गांधी ने यह कहते हुए इस्तीफा दिया है कि ‘मैं कांग्रेस का अध्यक्ष
रहा हूं और पार्टी की हार हुई है, इसकी जिम्मेवारी लेते हुए मैं इस पद पर नहीं
रहना चाहता’ सभी कांग्रेसी मिलकर नए अध्यक्ष का चुनाव करें। मेरे लिए यह गर्व
की बात है कि मैंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रुप में काम किया और मैं एक
कार्यकर्ता के रुप में पार्टी की सेवा करता रहूंगा। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद
कांग्रेस के संगठन में इस्तीफा का दौर जारी है। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कई
अन्य महत्वपूर्ण राज्यों के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्रियों पर भी इस्तीफे का दबाव रहेगा।
इसी क्रम में कांग्रेस महासचिव पद से हरीश रावत ने भी इस्तीफा दे दिया है।
कांग्रेस के नये अध्यक्ष के चुनाव को लेकर किसी नए और मजबूत चेहरे की जरूरत
का इशारा कर राहुल ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि गांधी परिवार की
इसमें कोई भूमिका नहीं रहेगी। हलांकि दूसरी तरफ ये भी माना जा रहा है कि
गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को कांग्रेस
अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा है। लोकसभा में पार्टी संसदीय दल के
नेता रहे कर्नाटक के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे दूसरे प्रबल दावेदार हैं। दोनों
दलित समुदाय से आते हैं। इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को
भी संभावित नामों में गिना जा रहा है।

बात करें गैर गांधी परिवार के अध्यक्षों की तो वर्ष 1991 से लेकर 1996 तक
नरसिंहा राव कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए थे। वर्ष 1996 से 1998 तक सीताराम
केसरी अध्यक्ष रहे, जो गैर गांधी थे। उसके बाद सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं और
फिर राहुल गांधी। वैसे तो कांग्रेस में इसके लिए नामों की कोई कमी नहीं है जैसे
मनमोहन सिंह, एंटनी, मोतीलाल वोरा, कर्ण सिंह, खडगे, अहमद पटेल, अंबिका
सोनी, गुलाम नबी आजाद, तरुण गोगोई, वीरप्पा मोईली, ओमन चांडी, सुशील
कुमार शिंदे से लेकर मीरा कुमार तक के नाम शामिल हैं। बाकी कांग्रेस के
मुख्यमंत्रियों के नामों की भी चर्चा है, मगर इतना तो तय है कि कांग्रेस को एक नया
अध्यक्ष जल्द मिलने वाला है जो गैर गांधी होगा और उसे गांधी परिवार का
आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। अब ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि आखिर आगे
की राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए कांग्रेस की अगली रणनीति क्या होगी। अपनी
विरासत को पुनः कैसे कायम करेगी इसको लेकर कांग्रेस में मंथन का दौर जारी है।

2 COMMENTS

  1. कांग्रेस को चाहिए, नया अध्यक्ष जिसके माथे कांग्रेस की नाव डुबाने का उत्तरदायित्व डाला जा सके।
    अब केवल वो लोग कांग्रेस में बचे हैं, जिनकी
    (१) सामूहिक चुप्पी आवश्यक थी। क्योंकि
    (२) सारे भ्रष्टाचार से कुछ न कुछ मात्रा में लिप्त हैं।
    (३) और बाकी इतने भोले हैं, कि, वे महात्मा गांधी को गुरु और राहुल गांधी को उनका अनुगामी मानते हैं।
    (४) डूबती नैय्या से चूहे कूद कर भागने भी लगे हैं।
    (५) कुछों को पैसे देकर भीड बढाने बुलाया जाता(?) है।
    *** कांग्रेस इतिहास में सम्मिलित होने जा रही है।*** लिख के रखिए।

  2. किसी को भी बना दो जो भी बनेगा रिमोट कंट्रोल वाला ही होगा , कारण ये है कि कोंग्रेसियो में गुलामी की जड़ें इतनी गहरी हो गयीं हैं कि वे स्वतंत्र खड़े हो ही नहीं सकते , दूसरे यदि कोई खड़ा हो कर निर्णय लेने का प्रयास करेगा तो शेष लोग उसकी टांग खींच खींच कर कुछ करने ही नहीं देंगे , गाँधी परिवार का साया उन पर मंडराता ही रहेगा , इसलिए ये जो भी कवायद हो रही है वह सब मात्र दिखावा है , इसे हर कांग्रेसिजानता है , स्वयं गाँधी परिवार जानता है , साल भर के लिए किसी को एक बार ंबैठा दिया जाएगा फिर वापिस इसी परिवार से कोई पदनशीं हो जाएगा , इसलिए परिवार भी निश्चिंत है , अभी कुछ दिनों में तीन राज्यों के होने वाले चुनाव में यह बात और भी बिल्कुल स्पष्ट हो जायेगी

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