कनवर्टेड स्वधर्म वापसी की राह पर, हो रही है ‘धर्म की जय’


सौरभ तामेश्वरी :

ग्रेगोरियन कैलेंडर के परिवर्तन के साथ ही पाश्चत्य नववर्ष प्रारंभ होने जा रहा है. लोगों द्वारा नए वर्ष में नए विचारों के साथ स्वयं में सुधार करने की योजनायें बनायी जाती हैं. जीवन और लक्ष्यों को लेकर अनेक नवाचार किये जाते हैं, लेकिन अगर आपसे कहें कि कुछ लोग अपनी योजनायें और लक्ष्यों को लम्बे समय से वैसे ही रखे हुए हैं. तो आप कहेंगे, वह अपना काम अपने हिसाब से कर रहे हैं इससे हमें क्या ! परन्तु उनकी यह बातें सकारात्मक होतीं तो कुछ न था. उनके उद्देश्य नकारात्मक हैं, जो कि सभी के लिए चिंता के विषय हैं.  

आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मत-संप्रदायों के कुछ लोग, लम्बे समय से मतांतरण के उद्देश्य को अपनी प्राथमिकताओं में रखकर लगातार इसके लिए कार्य कर रहे हैं. वह दूसरे धर्मों को नीचा दिखाकर, देवी-देवताओं का अपमान करके नागरिकों को अपने साथ शामिल करने का कार्य करते हैं. देश भर से मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि ‘कन्वर्जन’ करने के लिए भोलेभाले बंधुओं को कभी रुपयों का लालच देकर तो कभी चिकित्सीय सुविधायें देने की बात बताकर उनका ‘कन्वर्जन’ कराया जाता रहा है. उन्हें कभी ईसाई तो कभी मुस्लिम बना लिया जाता है. इस रेस में ईसाई ज्यादा हावी होते हैं.

लम्बे समय तक इनके ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया इसलिए देश में व्यापक स्तर पर ‘कन्वर्जन’ हुए. इसके विरुद्ध हाल ही के वर्षों  में आई जागरूकता के बाद अब परिणाम सामने आने लगे हैं. दुनिया भर के सामने इसकी सच्चाई आ चुकी है. ‘कन्वर्जन’ का खेल अब जग जाहिर हो चुका है. सनातन जन-जन तक पहुंचा है. फलस्वरूप, प्रलोभनों में फंसे लोग अब स्वधर्म में वापसी करने लगे हैं. हाल ही में जब तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उधयनिधि स्टालिन ने सनातन को ख़त्म करने की बात कही, तो देश भर में उनका विरोध हुआ. जगह-जगह उदयनिधि के पुतले जलाए गए व उसके ऊपर कार्रवाई की मांग उठी.

जन-जन के जीवन में अपना हिस्सा रखने वाले सनातन की खूब चर्चाएँ हो रही हैं, इसकी शिक्षाओं से दुनिया भर के देश अपने कार्यों को कर रहे हैं. दुनिया में इसके प्रति सभी की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है. जैसा कि पहले ही बताया जिन लोगों को प्रलोभन देकर ‘कन्वर्जन’ कराया गया, अब वह भी अपने धर्म के प्रति वापिस आ रहे हैं और अपने हिन्दू होने पर गौरव कर रहे हैं. वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश में ऐसे कई अवसर आये जब मतांतरित हुए परिवारों ने घरवापसी की. उन्होंने कहा कि दूसरे धर्म के लोगों ने उन्हें बहला फुसलाकर अपने मत-संप्रदाय में शामिल कर लिया था, लेकिन वह अब उनके चंगुल से निकल रहे हैं.

वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश के कुछ मामलों को देखते हैं, जहाँ लोगों ने स्वधर्म में वापसी की है.

19 फरवरी 2023 : छतरपुर में बागेश्वर धाम पहुंचकर 220 लोगों ने स्वधर्म वापसी की. यह लोग चार बसों में भरकर आसपास के ग्रामों से आये हुए थे. सभी 220 लोगों को पीले रंग की पट्टिका पहनाकर उनकी घर-वापसी कराई गई. यहाँ पहुंचें परिवारों के लोगों में से किसी ने कहा कि उन्हें प्रलोभन देकर ईसाई बना लिया गया था. वहीं किसी ने बताया कि पहले उसकी ईसाई लडकी से शादी करा दी गयी, लेकिन वह घर नहीं आई और बोली ईसाई बनो उसके बाद ही वह घर आएगी. यह सभी परिवार एकजुट होकर बागेश्वर धाम पहुंचे जहाँ उन्होंने हिन्दू धर्म में वापसी की.

29 मार्च 2023 : झाबुआ अंतर्गत आने वाले ग्राम धामंदा के परिवार के 8 लोगों ने की स्वधर्म में वापसी की. परिजन ने बताया कि वह पहले बीमार रहते थे, इसका फायदा उठाकर किसी ने उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रलोभन दिया और उन्हें ईसाई धर्म में ले गया. नौ वर्ष पहले उन्हें ईसाई बना लिया गया था. वहां रहकर उन्हें ध्यान आया कि अपना सनातन धर्म ही बेहतर है, जिसके बाद परिवार के सभी जन ने घरवापसी का निर्णय लिया. पूरा परिवार कोकावद गाँव के महादेव धाम पहुंचें, यहां उन्होंने विशेष पूजा-अर्चना कर स्वधर्म में वापसी की.

30 अप्रैल 2023 : बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा सागर जिले के बहेरिया में चल रही थी. कथा के दौरान 50 परिवार के 95 लोगों ने यहाँ घरवापसी की. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि निर्धन लोगों को मच्छरदानी और बकरी देने के साथ पढ़ाई आदि का प्रलोभन देकर ईसाई बनाया था. वह यहाँ कथा सुनने आये तो अपने धर्म में ही रहने के अन्दर इच्छा जागी, जिसके बाद उन्होंने कथा के दौरान घरवापसी की. सभी बोले अपना धर्म ही अच्छा है.

31 जुलाई 2023 : देवास के ग्राम नेमावर गाँव में 190 लोगों की घरवापसी की. 35 परिवारों के लोग इन सभी लोगों ने संत समाज के सानिध्य में सनातन धर्म में वापसी की. उनमें से कुछ लोगों ने बताया कि उनके पूर्वज भीख मांगते थे और वह किसी कारणवश बने मुस्लिम बन गये थे. लेकिन अब वह स्वधर्म वापसी करना चाहते हैं क्योंकि अपना धर्म ही सबसे बढ़िया है. जिसके बाद नेमावर में नर्मदा स्नान, मुंडन, हवन, यज्ञोपवीत आदि क्रियाएं करने के बाद उन्होंने स्वधर्म वापसी की.

22 दिसम्बर 2023 : मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के लगे गांव के नागरिकों ने ईसाई धर्म छोड़ कर पुनः हिंदू धर्म अपनाया. इस दिन यहाँ रहने वाले 152 लोगों ने घरवापसी की. इनमें बैतूल के 72 और महाराष्ट्र के अमरावती जिले से लगे 12 से ज्यादा गांवों के 80 लोग शामिल हैं. वह सभीसावलमेंढ़ा के रामदेव बाबा संस्थान पहुंचें. उन्होंने स्वधर्म वापसी की बात बताई तो उनके हाथों में कलावा बंधकर, उन्हें गंगाजल पिलाया और उनके पैर पखारकर उनके स्वधर्म वापसी के निर्णय पर उनका अभिनन्दन किया.

यह तो मध्यप्रदेश के कुछ ही मामले हैं. आप देश भर में देखेंगे तो इनकी संख्या और बढ़ जाएगी. ‘कन्वर्जन’ का खेल चला खूब चला है, तभी तो व्यापक स्तर पर लोग अब स्वधर्म वापसी करते हुए देखे जा रहे हैं. सनातन का चरमोत्कर्स जन-जन के अन्दर पहुँच रहा है. इससे मिलने वाले जीवन के सभी दिशा-निर्देशों से दुनिया लाभान्वित होकर स्वयं को धन्य मान रही है. वहीं कनवर्टेड की स्वधर्म वापसी की राह के प्रारंभ होने से ‘धर्म की जय, अधर्म का नाश’ गुंजायमान होना प्रतीत होने लगा है.

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