नया साल आया है, नया सवेरा लाया है,
हर घर में खुशियों का मौसम छाया है।
पड़ रही है कड़ाके की ठंड फिर भी जोश है नए साल का,
आओ सब नए साल का जश्न मनाएं,
लेकिन अपनी जिम्मेदारियों को न भूल जाएँ,
नया साल है नयी जिम्मेदारी, नया लक्ष्य हमको बनाना है,
लक्ष्य को साकार करके गंतव्य तक पहुंचाना हैं
नया साल आया है, नया सवेरा लाया है,
हर घर में खुशियों का मौसम छाया है।
नए साल में न सोये कोई भी भूखा,
किसी के जीवन में न हो कोई भी सूखा,
हर किसी के जीवन में आये खुशियाली,
न हो किसी के जीवन में बदहाली,
बदहाली को मिलकर सभी बदल डालेंगे,
आनंद ही आनंद चहुँओर आएगा,
नया साल आया है, नया सवेरा लाया है,
हर घर में खुशियों का मौसम छाया है।
करेंगे इज्जत नारी की, न करेंगे लैंगिक भेदभाव,
जब हम नारी के सम्मान के लिए लड़ जायेंगे,
तभी हम असल में सच्चे मर्द कहलायेंगे,
मातृशक्ति का वैभव पुनः लेकर आएंगे,
भारत माता का मान विश्व तक पहुंचाएंगे,
नया साल आया है नया सवेरा लाया है
हर घर में खुशियों का मौसम छाया है।
नए संकल्प लेंगे और नए लक्ष्य बनायेंगे,
करेंगे मेहनत और अवसरों को सफलता में बदल डालेंगे,
नए साल में कुछ नया गढ़ डालेंगे,
कर्तव्यपथ से बिना रुके आगे बढ़ते जाना है,
चाहें हार हो या जीत लेकिन अपना हौंसला नहीं डिगाना है,
नया साल आया है, नया सवेरा लाया है
हर घर में खुशियों का मौसम छाया है।
प्रकृति से खिलवाड़ बंद करेंगे,
नदियों, वनों, पशु, पक्षियों और पहाड़ों से प्रेम करेंगे
यही होना चाहिए हिमालय सा संकल्प हर मानव का,
तभी इस प्रकृति का विध्वंस होने से बचा पाएंगे,
अन्नदाता की आँखों से आंसुओं को पोंछ डालेंगे,
उनकी हर समस्या का निदान कर डालेंगे,
होगी जरुरत तो उसके हक के लिए लड़ जाएंगे,
नया साल आया है, नया सवेरा लाया है
हर घर में खुशियों का मौसम छाया है।
करेंगे नमन उस भारत के वीर जवान को,
जो लड़ता है सरहद पर हिन्दुस्तान की आन बान शान के लिए,
भारत माता को पुनः जगद्गुरु के सिहांसन पर बैठाएंगे,
भारत के वैभव को विश्व में चहुंओर फैलाएंगे,
दुनिया में भारत का शंखनाद होने को आया है,
नया साल आया है, नया सवेरा लाया है
हर घर में खुशियों का मौसम छाया है।
कवि
– ब्रह्मानंद राजपूत