निर्दयी मेघ

0
197

उत्तराखंड में भीषण मेघ वर्षा का मंजर देखकर मन उद्वेलित होता है, प्रकृति के इस क्रूर व्यवहार से अब किसको दोष दिया जाय नियति या………………….? ???????????????

बलबीर राणा  “भैजी”

निर्दयी मेघ

ये क्या कर गया

आना था धरती को सींचने

विभित्सिका छोड़ गया

हाहाकार मचा गया

निर्दोष जीवन पर

दोष लगाकर चल गया

इतना भी रुष्ठ क्यों

क्या अपराध था हमारा

आया था शीतल करने

बेदना में जला गया

सब कुछ लील गया !!!!

भयावय मंजर छोड़ गया

कहाँ जायंगे वो परिंदे

जिसके घोंसले तू उजाड़ गया

किसी को तड़पता छोड़ गया ,

किसी की ममता तोड़ गया

किसी का सुहाग छिन के ले गया ,

मांग सुनी कर गया…………

ओह!!!!!

क्यों इतना दंश दे गया ….

वर्षों की मेहनत चट कर गया

क्यों इतना वेग में आया? .

राह में सबको उड़ा गया

भरा पूरा घरोंदI मेरा

उजाड़ के तुने क्या पाया …

कितने पराभव से बनाया था मैंने

पल में ढहा गया ,,,

तेरी गर्जना से धरती कंप गयी

बज्र बाण शीने को चीर गए,

कहीं बनी खाईयां…….

कहीं अनायाश रगड़…

अब यहाँ क्या बच गया

जिसे तू सींचेगा

निर्दयी मेघ

ये क्या कर गया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here