बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री को लेकर विवाद में आये श्याम मानव पर आरोप ये भी है कि वो हिन्दू नामधारी ‘क्रिप्टो क्रिस्चियन’ हैं. क्यूंकि देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं जिन्होनें ईसाई धर्म ग्रहण कर लेने के बाद भी अपने नाम में परिवर्तन न करते हुए हिन्दू नाम ही रखा हुआ है, जिन्हें ‘क्रिप्टो-क्रिस्चियन’ बताया गया है. संशय इसलिए निर्मूल नहीं .
कहा जाता है दिवंगत अजीत जोगी, अविभाजित आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस आर रेड्डी उन प्रमुख लोगों में से रहें हैं जो क्रिप्टो-क्रिस्चियन थे. के.आर. नारायण को भारत को पहला ‘दलित’ राष्ट्रपति बताया जाता रहा, जबकि उनकी कब्र आज दिल्ली की ईसाई-कब्रगाह में है. सामजिक भेदभाव से पीड़ित रहने के कारण अनुसूचित जाति(एससी) को संविधान के अनुच्छेद 341 में आरक्षण का प्रावधान किया गया. पर बाबा साहब अम्बेडकर के द्वारा किये गए इस प्रावधान में हिंदू धर्म छोड़ मतान्तरण करने वाले ईसाई और मुसलामानों को इस लाभ से वंचित रखा गया. ऐसे में कोई ये बताने लगे कि के.आर. नारायण दलित थे तो किसे आश्चर्य न होगा!
वाई एस आर रेड्डी के पिता ने ईसाई धर्म अपनाया था. आगे चल कर वाई एस आर की लड़की शर्मीला ने जब अमेरिका में रहने वाले एक ब्राह्मण युवक अनिल कुमार से शादी करना चाहा, तो ये तभी संभव हो पाया जब उसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया. इस प्रकार एक और क्रिप्टो क्रिस्चियन अस्तित्व में आ गया ; और, फिर ये ईसाई धर्म-प्रचारक ‘ब्रदर अनिल’ के रूप में विख्यात हुआ . वाई एस आर रेड्डी के मुख्यमंत्री बनते ही आगे चलकर कहते हैं इनकी ईसा मसीह के ‘चमत्कारों’ से दुख और पीढ़ा का निवारण करने वाली एक-एक चंगाई- धर्म सभा में 2-3 लाख लोग इकट्ठे होने लगे. धर्मान्तरण की इस मुहीम के विरोध में आवाजें भी उठती रहीं, लेकिन केंद्र में सोनिया गाँधी की यूपीऐ की सरकार की वजह से कुछ नहीं किया जा सका.
आज वाईएसआर की विरासत को उनके पुत्र जगन रेड्डी आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं. कट्टर ईसाई उनकी माँ के भाई सुब्बा रेड्डी को इनके द्वारा ही हिन्दुओं के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम का प्रमुख बनाया गया है . इनकी चाहत तो ये भी थी कि किसी प्रकार देवस्थानम की संपत्ति को कहीं और ठिकाने लगाया जाये, पर विरोध को देखते हुए इन्होनें कदम वापस ले लेने में अपनी भलाई समझी !