तारकेश कुमार ओझा
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क्या कोलकाता , क्या खड़गपुर
गया हो या टाटा
कोरोना वायरस से कांपी दुनिया
गांव शहर है सन्नाटा
हर चेहरे पर चस्पा दहशत
दौर कुछ ऐसा आया है .
कैसी होगी भविष्य की दुनिया
सोच कर दिल घबराया है .
घर से चलेंगे बाबुओं के दफ्तर
गरीब भटकेंगे दर – ब- दर
अहसास से मन अकुलाया है ,
दौर कुछ ऐसा आया है .
बंद कमरों में होली – दीवाली
दूर की कौड़ी बकलौली – बतरस
व्वाट्सएप पर मिलेंगे स्नेह निमंत्रण
स्क्रीन पर मिटेगी शादी – बारात की हसरत
भयाकुल मन भरमाया है
दौर कुछ ऐसा आया है .