क्या कोलकाता , क्या खड़गपुर गया हो या टाटा कोरोना वायरस से कांपी दुनिया गांव शहर है सन्नाटा हर चेहरे पर चस्पा दहशत दौर कुछ ऐसा आया है . कैसी होगी भविष्य की दुनिया सोच कर दिल घबराया है . घर से चलेंगे बाबुओं के दफ्तर गरीब भटकेंगे दर – ब- दर अहसास से मन अकुलाया है , दौर कुछ ऐसा आया है . बंद कमरों में होली – दीवाली दूर की कौड़ी बकलौली – बतरस व्वाट्सएप पर मिलेंगे स्नेह निमंत्रण स्क्रीन पर मिटेगी शादी – बारात की हसरत भयाकुल मन भरमाया है दौर कुछ ऐसा आया है .
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ हिंदी पत्रकारों में तारकेश कुमार ओझा का जन्म 25.09.1968 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। हालांकि पहले नाना और बाद में पिता की रेलवे की नौकरी के सिलसिले में शुरू से वे पश्चिम बंगाल के खड़गपुर शहर मे स्थायी रूप से बसे रहे। साप्ताहिक संडे मेल समेत अन्य समाचार पत्रों में शौकिया लेखन के बाद 1995 में उन्होंने दैनिक विश्वमित्र से पेशेवर पत्रकारिता की शुरूआत की। कोलकाता से प्रकाशित सांध्य हिंदी दैनिक महानगर तथा जमशदेपुर से प्रकाशित चमकता अाईना व प्रभात खबर को अपनी सेवाएं देने के बाद ओझा पिछले 9 सालों से दैनिक जागरण में उप संपादक के तौर पर कार्य कर रहे हैं।