—विनय कुमार विनायक
मृत्यु एक अवस्था है जीवन की तरह हीं
जीवित देह जीव के लिए दृश्यमान स्थिति,
जबकि मृत्यु एक अदृश्य अवस्था है!
लंबी उम्र जीनेवाले व्यक्ति को
अपने रक्त रिश्तेदारों की मौत का
दारुण दुख झेलना व सहना पड़ता है!
जबकि अल्प उम्र में मरने वालों की भी
कम नहीं होती है भयानक मृत्यु की त्रासदी!
जीवन मृत्यु के बीच की निरंतरता होती
किन्तु व्यक्त नहीं कर सकते जीवित प्राणी!
मृत व्यक्ति शायद मृत्यु के बाद देख सकते
जीवित लोगों की उपस्थिति व गतिविधि
पर अभिव्यक्त नहीं कर पाते जीवित लोगों के बीच
और उनसे संपर्क साधने की नहीं होती क्षमता!
जीवन की लंबी उपलब्धता या मृत्यु की अवस्था
दोनों ही दुखकारक है जीव जंतुओं के लिए!
जीवित लोगों की मौत पीड़ादायक होती,
शायद मृत आत्मा सबकुछ देख सकती,
अपने मृत शरीर के साथ होती हुई गतिविधि!
शायद अग्नि दाह की भीषण पीड़ा भी
या फिर कब्र में शरीर पर मिट्टी का भारी दबाव
और देह का धीरे-धीरे गलने की प्रक्रिया भी!
जीवित मानव की अल्प होती है दृष्टि
मृतात्माओं की अधिक होती दृष्टि शक्ति!
जीवित मानव में दृष्टि श्रवण घ्राण क्षमता कम होती
शायद मृतात्मा में दृष्टि श्रवण घ्राण शक्ति अधिक होती
किन्तु अभिव्यक्ति के लिए होता नहीं दैहिक वजूद!
—विनय कुमार विनायक