एसिड पीड़िता लक्ष्मी के हौंसले को पर्दे पर जिएंगीं दीपिका पादुकोण

दीपिका पादुकोण का बीते दिनों अखबारों में एक फोटो देश भर में चर्चित रहा। लोग मस्तानी, और महारानी पद्मावती के रुप में खूबसूरत दीपिका को कभी इतना कमतर व कम खूबसूरत कभी नहीं देखना चाहेंगे मगर दीपिका के अगर आप प्रशंसक हैं तो उन्हें खूबसूरती से जुदा इस किरदार में देखे बिना आप रह ही नहीं सकते। खुद दीपिका ने शारीरिक खूबसूरती की ताकत को चुनौती देते हुए एसिड अटैक पीड़ित लक्ष्मी का किरदार स्वीकार कर अपनी मानसिक मजबूती और सामाजिक सरोकारों को पर्दे पर लाने की कोशिश की है। असल जिंदगी में एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी का किरदार निभाकर वे इस समाज को बेहतर संदेश देने जा रही हैं।

एसिड से जले हुड चेहरे के बाद जीना और जीवन संघर्ष क्या होता है ये सिर्फ उन दर्दनाक हादसों की शिकार बेटियां और युवतियां ही जानती होंगी। कैसे चेहरे पर फेंका गया एसिड उनकी मुस्कुराहट और मुस्कान को आग में जलाने जैसा है। कैसे इस समाज के सैकड़ों मानसिक विक्षिप्त जूनूनी प्यार की खाल ओड़कर समाज में एक ऐसी हिंसा करते हैं जिसे पीड़िता एक बार नहीं बार बार हजार बार जीवन भर हर लम्हा मरते दम तक अकारण मरती है भोगती है। एसिड या तेजाब से जला चेहरा देखते ही हम आंख हटाना चाहते हैं। हम सिर्फ सुंदरता देखना चाहते हैं। चेहरा सौन्दर्य का सिरमौर है। किसी बहन बेटी युवती को सजने संवरने के प्रति अनुराग को हम सबने देखा होगा। बचपन में हमारी बेटियां गुड़ियों को सजाती हैं तो किशोर जीवन से उनका खुद सजना संवरना शुरु होता है। मुंह पर किशोर आयु में उठने वाले मुंहासे को बड़ी मुश्किल से बर्दाश्त कर जल्द से जल्द उससे मुक्त होना चाहती है तो युवावस्था में उसका रुप और श्रंृगार के प्रति अनुराग चरम पर होता है। वे सबसे सुंदर सबसे खूबसूरत हमेशा सबको भाने वाली दिखनी चाहती है तो फिर वो अचानक अनजाना वीभत्स हादसा उसके चेतन अवचेतन को किस कदर ध्वस्त कर देता है क्या पुरुष समाज कल्पना भी कर सकता है। क्या वो हिंसक पागल प्रेम का प न समझने वाला सनकी मानसिक विक्षिप्त और इंसानियत को शर्मिन्दा करने वाला तेजाब मोहब्बत करने वाला उस दर्द को समझ पाएगा कभी। नहीं कतई नहीं कभी नहीं।

ऐसे इकतरफा बर्बर प्रेमियों ने तेजाब फेंककर केवल पीड़िताओं का चेहरा और शरीर नहीं झुलसाया। असल में ये उन युवतियों के चेहरे, आत्मा रुह और मन मस्तिष्क को भी झुलसा देते हैं। दीपिका पादुकोण की छपाक फिल्म अगर समाज के बीच उन पीड़िताओं के हृदय और मन की वेदना की आवाज बन पाती है तो यह सिनेमा से समाज जागरण की दिशा में बेहतर कदम होगा। दीपिका एसिड एटैक पीड़िता जिन लक्ष्मी का किरदार इस फिल्म में निभा रही हैं वे आज देश में जीवटता की मिशाल हैं। एक हिंसक बर्बर अपराधी ने उनके चेहरे की खूबसूरती को भले ही विद्रूप कर दिया हो मगर वो लक्ष्मी के हौंसले को नहीं मार पाया। अपने प्रति इस वीभत्स अपराध ने लक्ष्मी को देश भर में एसिड अटैक हमला पीड़िताओं की आवाज बना दिया। लक्ष्मी ने दूसरे की बर्बर हिंसा को अपने चेहरे पर आजीवन भुगतने वाली महिलाओं को संबल दिया उन्हें साथ लिया और उनके साथ देश में महिलाओं के खिलाफ इस हिंसा को रोकने कानूनी लड़ाई लड़ी। लक्ष्मी की बदौलत देश में  खुलेआम एसिड विक्रय अपराध है और अब बिना लायसेंस के इस कारोबार पर लगाम लगी है। दीपिका छपाक फिल्म में एसिड अटैकर्स के खिलाफ लक्ष्मी के इसी आंदोलन को फिल्मी पर्दे पर जीने जा रही हैं। हर अदाकारी हर फिल्म में सिर्फ और सिर्फ खूबसूरत दिखना चाहती है मगर समाज के हिंसक सनकी और बर्बर अपराधियों की बदसूरती के खिलाफ जंग छेड़ने दीपिका ने खूबसूरती से आगे जाकर साहस किया है। वे छपाक फिल्म से पूरे समाज से एसिड अटैक करने वालों की तेजाबी मानसिकता पर गहरी चोट कर पायीं तो ये उनकी परिवर्तनकारी भूमिका कहलाएगी। एसिड से झुलसी लक्ष्मी के किरदार का पहला फोटो आते ही पूरे देश में वे इन दिनों इस मुद्दे को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं।बहुत खूब दीपिका। आपकी जीवटता और जज्बे को सलाम।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here