दिल्ली सरकार का विरोध प्रदर्शन, उल्टी पड़तीं तदवीरें !

-फखरे आलम-   aap

मीर दर्द ने दिल्ली की तंग और संकीर्ण गलियों में बैठकर लगभग सौ वर्ष पहले कहा था कि उल्टी पड़ गई सब तदवीरें कुछ न दवा ने काम किया! आज दिल्ली की जनता घर में बैठकर, कामकाज के लिये घर से निकलते समय! कामकाज के लिए ऑफिस और दफ्तर में आते-जाते अपने फैसलों और निर्णय पर स्वयं हैरान और परेशान है। जिस प्रकार से प्रश्न मेरे मन में उठ रहा है। उसी प्रकार हर कोई प्रश्न पूछना चाहता है कि दिल्ली सरकार, उसके मुख्यमंत्री और उनका मंत्रीपरिषद आखिरकार किसके लिए और किसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है और अगर उनकी सरकार केन्द्र की सरकार के खिलाफ आम जनता के लिए जद्दोजहद कर रही है। तो आखिरकार केन्द्र की सरकार और गृहमंत्री कदम उठाने के बजाए टकराव का रवैया क्यों अपना रही है? वह पिछले घटनाचक्र से सबक नहीं लेना चाहती? आखिरकार केन्द्र की सरकार सच्चाई को क्यों नहीं स्वीकारती? और बार-बार अपने क्रियाकलापों पर मंथन करने के बजाए अपने सत्यता और सही होने का दावा क्यों करती है?
दिल्ली सरकार आज जो कर रही है और उनके घटना प्रदर्शन की निंदा चारों ओर हो रही है। उनके कदम से अधिक से अधिक क्षति और नुकसान आम लोगों का होता जताया जा रहा है। वही केन्द्र की सरकार के रवैये से लोगों को हैरानी होनी चाहिए।
आप पार्टी ने जिन मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया वह सही है! और लगभग प्रत्येक देशवासी इससे सहमत होंगे। मगर प्रश्न उठाने वाले यह भी प्रश्न उठा रहे हैं कि तरीका गलत है। तो आखिरकार अगर केन्द्र की सरकार बदलाव के लिए तैयार नहीं है और उन्हें हुकूमत स्वीकार नहीं है तो बदलाव के यह सिपाही आखिरकार अपना फरियाद लेकर कहां जाए?
व्यवस्था परिवर्तन में पुलिस की कार्यशैली, उसका पक्षपात वाला रवैया अपराध को रोकने और अपराधियों से गठजोड़ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। आप पार्टी से जहां जनता को बहुत उम्मीदें हैं, वहीं आप पार्टी भी सीधे तौर पर जनता को सेवा करना चाहते हैं। मगर प्रश्न केन्द्र की सरकार की नकारात्मक और सहयोग न करना है। हां मगर परिवर्तन और व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार का इस प्रकार सीधे तौर पर कानून को अपने हाथ में लेना। अपने वादों को भूलाकर! सरकारी जिम्मेवारी और कामकाज को छोड़-छाड़कर सड़क पर बैठ जाना और समस्या सुलझाने और जनता को राहत प्रदान करने के वास्ते और अधिक समस्याएं उत्पन्न करना आम जनता को अच्छा नहीं लग रहा है।
जहां दिल्ली की सरकार उनके मुख्यमंत्री एक उनकी मंत्रीपरिषद की कार्यशैली लुभा नहीं रही है, वहीं केन्द्र सरकार और गृहमंत्री का रवैया भी अच्छा नहीं लग रहा है? जनता अब परिवर्तन चाहती है। कार्यशैली और व्यवहार दोनों में! जनता पुलिस के व्यवहार में, आप पार्टी की कार्यशैली और केन्द्र सरकार के रवैये में परिवर्तन देखना चाहती है।
मुख्यमंत्री उनके मंत्रीमंडल का यह राजनीतिक भारत के राजनीतिक मैदान में एक अनोखा प्रयोग है कि सत्ताधरी लोग जनता के हित के लिए दफ्तर से बाहर सड़क पर संघर्ष कर रही हो और उनके संघर्ष से आम दैनिक जीवन सीधे रूप से प्रभावित हो रही हो। कानून व्यवस्था सुधरने के बजाए बिगड़ता जा रहा हो। जनता राहत के सिवा घुटन और असहजता महसूस करती हो! मुख्यमंत्री अपना दफ्तर चौराहे में चलाते हों, तो यह भारत में प्रथम हो रहा है। सरकार जनता के लिए संघर्ष कर रही हो। मंत्री दो-दो हाथ कर रहे हों, यह प्रथम और पहला अनुभव ही है। मगर उल्टी पड़ गई सब तदवीरें, कुछ न दवा ने काम किया आखिर इस बीमारी ये दिल ने मेरा काम तमाम किया।

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