कविता

अवमूल्यन : कविता – सतीश सिंह

पता नहींpicture-214

कब और कैसे

धूल और धुएं

से ढक गया आसमान

सागर में मिलने से पहले ही

एक बेनाम नदी सूख़ गई

एक मासूम बच्चे पर

छोटी बच्ची के साथ

बलात्कार करने का

आरोप है

स्तब्ध

हूँ

खून के इल्ज़ाम में

गिरफ्तार

बच्चे की ख़बर सुनकर

इस धुंधली सी फ़िज़ा में

सितारों से आगे की

सोच रखनेवाला

एक होनहार छात्र

बम विस्फ़ोट में

मारा गया

घर के सामने वाला

अंतिम ज़मीन का टुकड़ा भी

तब्दील हो गया है

कंक्र्रीट में

डायनामाईट

से उड़ा दिया गया

हरे-भरे से

पहाड़ को

सहमे हुए हैं

जीव-जन्तु

अचानक!

एक मासूम बच्चा

चौंककर

बाहर निकल आता है

ख्वाबों की दुनिया से।