देवसर धाम जहां मां भवानी रहती है विराजमान, दर्शनों के लिए भक्तों का उमडता है जनसैलाब

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भगवत कौशिक।

सनातन धर्म में देवी का वास मुख्य रूप से पहाड़ों पर माना गया है, तभी तो पहाड़ों वाली माता का नाम भी उन्हें दिया गया है। ऐसे में आज हम आपको पहाड़ों में बने देवी मां के एक मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिनके संबंध में यह मान्यता है कि देवी मां आज भी यहां निवास करती हैं।आज हम आपको छोटी काशी यानि भिवानी में बने देवी मां के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि यहां आज भी चमत्कार होते हैं

देवसर धाम,भिवानी

छोटी काशी में नवरात्रों के दिनों में हर देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का जमावड़ा देखने को मिलता है। भिवानी का देवसर धाम  ऐसा धाम है, जहां भारतवर्ष से भक्तगण अपनी मन्नतें  मांगने देवसर धाम में आते है और इस मन्दिर में आकर भक्तों की सारी मन्नते पूरी होती  है। यह मंदिर आठ सौ साल पूर्व स्थापित किया गया था। भिवानी से महज 6 किलोमीटर दूर स्थित है देवसर धाम जहां माता का मंदिर है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि वे माता से जो भी मन्नत मांगते हैं, वह अवश्य ही पूरी होती है। भक्त यहां पेट के बल लेटकर आते हैं तथा उनका विश्वास है कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है। मंदिर का इतिहास भी बरसों पुराना है। मंदिर के संचालकों की मानें तो करीब 8 सौ साल पहले पहाड़ी के पास से एक बंजारा जब अपनी गऊएं लेकर जा रहा था तो उसकी गऊएं कहीं खो गई। रात को सपने में उसे देवी मां ने दर्शन दिए तथा कहा कि पहाड़ी पर दबी मूर्ति को स्थापित करवाया जाए तो उसकी गाएं मिल जाएंगी। बंजारे ने ऐसा ही किया तथा उसकी गाएं भी मिल गई। तब से माता की वह मूर्ति मंदिर में ही है।मंदिर मे पुजा का कार्य औछता परिवार के दवारा किया जा रहा है।


औछता खेडा से देवसर बनने की कहानी
प्राचीन समय मे देवसर गांव की जगह औछता खेडा हुआ करता था।उस समय भी यहां मां भगवती का मंदिर था।किन्ही कारणवश औछता खेडा उजड गया।इसके बाद पांडव के वंशज सुल्तान सिंह ने औछता खेडा को दोबारा बसाया और इसका नाम देवसर रखा।देवसर का अर्थ है देवताओं का तालाब।आज भी देवसर मे तालाब बना हुआ है।ऐसी मान्यता है कि देवता यहां स्नान करने आते थे।मान्यता है कि इस तालाब मे स्नान करने से सभी बीमारियां दूर होती है।


देश विदेश से माता के दर्शन करने व मन्नत मांगने आते है श्रद्धालु
देवसर धाम स्थित मां भवानी के मंदिर मे वैसे तो साल भर श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने आते रहते है लेकिन चैत्र शुक्ल पक्ष और अश्विन शुक्ल पक्ष मे नवरात्रों मे देश ही नहीं विदेशों से श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने पहुंचते है।अमेरिका, कनाडा,इंग्लैंड, जापान ,दुबई तथा आस्ट्रेलिया समेत दुनिया के अन्य देशों से माता रानी के भक्त अपनी मनोकामनाओं को लेकर माता के धाम पहुंचते है।
श्रद्धालुओं के ठहरने व भोजन की है निशुल्क व्यवस्था


देवसर धाम परिसर के आसपास श्रद्धालुओं के रूकने के लिए अनेक धर्मशालाएं भगवती धर्मशाला, यात्री निवास, सेठ पीरूमल धर्मशाला, पेटवाडिया धर्मशाला व जिंदल धर्मशाला बनी हुई है ।जहा श्रद्धालुओं के ठहरने के साथ साथ भोजन की भी निशुल्क व्यवस्था की गई है।
1996 मे मंदिर के कामकाज के लिए हुआ देवसर धाम ट्रस्ट का गठनमंदिर के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए वर्ष 1996 मे सेठ योगराज की सलाह पर ग्रामीणों ने देवसर धाम चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया, जिसका सर्वप्रथम अध्यक्ष ठा. अन्ना सिंह बने।तभी से ट्रस्ट मंदिर परिसर के रखरखाव,आवश्यक संसाधनों एंव सुरक्षा व्यवस्था सहित मेला प्रबंधन का काम संभाल रहा है।वर्तमान मे देवसर धाम चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष ठा. रमेश तंवर है।
नवरात्र में बन रहे खास योग, भक्तों पर रहेगी माता रानी की विशेष कृपा

देवसर धाम मंदिर के पुजारी विक्रम महाराज के अनुसार इस बार चित्रा नक्षत्र में नवरात्र का प्रारंभ होना शुभ संकेत है। साथ ही वैधृति योग, सौभाग्य योग और पांच रवि योग इसे खास बना रहे हैं। ऐसे में इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करना सफल साबित होगा। इन दिनों कोई नई वस्तु जैसे भूमि, वाहन या फर्नीचर खरीदना शुभ रहेगा। नवरात्र में बन रहे खास योगों से कुछ राशियों पर माता रानी की विशेष कृपा रहेगी। नवरात्र के चित्रा नक्षत्र में प्रारंभ होने से इसका असर तुला और कन्या राशि पर दिखाई देगा। इस नक्षत्र में जन्मे लोग अपनी जिम्मेदारियां बखूबी जानते हैं। इन्हें जन्म स्थान से दूर जाकर धन वैभव और प्रसिद्धि मिलती है। इस नक्षत्र में जन्मे लोग बहुत मिलनसार होते हैं।

वही मंदिर के पुजारी आचार्य मनोज पंडित ने बताया कि इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हो चुकी है। इसमे पांच रवियोग के साथ सौभाग्य योग और वैधृति योग खास माने जा रहे हैं। इस वजह से नवरात्र में नए कार्यों की शुरुआत शुभ रहेगी। माता रानी का भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होगा और शुरू किए गए कार्यों में सफलता मिलेगी। इसके साथ ही यदि आप कुछ नई चीजें खरीदने के लिए सोच रहे हैं तो यह समय आपके लिए अति शुभ रहेगा।

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