धन्य हुआ प्रभु!

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अशोक गौतम

वे मेरे खास हैं या मैं उनका खास हूं ये तो मेरे राम को भी नहीं पता पर पर मेरा उनके साथ और उनका मेरे साथ चोली दामन का रिश्ता है। कभी वे चोली हो जाते हैं तो मैं दामन,तो कभी वे दामन हो जाते हैं तो मैं चोली।

उनके बिना मेरा तनिक गुजारा नहीं। मेरे शहर में किसीको पानी का मीटर लगवाना हो तो उनकी सिफारिश के बिना नहीं लगता। नलका उनके हुक्म के बिना पानी होते हुए भी सूखा सिर खड़ा किए खड़ा रहता है। अपनी हिम्मत के बूते बिजली का मीटर लगवाना तो आप भूल ही जाओ,उनके कहे बिना बिजली वालों के दफ्तर में चले गए तो बंदे आपकी बाजू पकड़ आपको बाहर न कर दूं तो मेरा नाम बदल कर रख दीजिएगा। अब तो हालात ये हो चले हैं कि मुहल्ले में कमेटी का सफाई कर्मचारी तक उनके बिन कहे नहीं आता। कहता है,वे कहेंगे तो झाड़ू जाऊंगा। मैं उनका कर्मचारी हूं,जनता का नहीं!

दुखद या सुखद ये तो मैं नहीं जानता पर एक समाचार! वे किसी अनजाने कोर्ट द्वारा अपने पद का सदुपयोग,सॉरी दुरूपयोग करने के दोशी पाए गए और उन्हें सजा भी तय हो गई। जब मैंने अखबार में ये पढ़ा तो बहुत गुस्सा आया अखबार वालों पर! क्या छापते रहते हैं ये! अरे छापना है तो हीरोइनों की आड़ी तिरछी फोटुएं छापो! हाथों हाथ अखबार न उठे तो पत्नी के डर से निशेश बची मूंछें भी कटवा दूं।

अरे अखबार वालो! अपने पद का दुरूपयोग इस देश का नेता नहीं करेगा तो कौन करेगा? यहां तो हर बंदा अपने पद का दुरूपयोग करने में व्यस्त है, मस्त है। दफ्तर के दरवाजे पर बैठने वाले से लेकर भीतर आराम से कुर्सी पर पसरे वाले तक को देख लो! कोई भी अपने पद का सदुपयोग करता मिले तो मुझे जीते जी दोजख मिले। मर जाऊं जो चूं भी करूं!

उन पर पद का दुरूपयोग करने का लांछन लगा तो सच कहूं, उन्हें लगा हो या न पर उनसे अधिक धक्का मुझे लगा सो उनके पास उनके गम में षरीक होने नंगे पांव ही जा पहुंचा। पर वे मजे से कुर्सी पर पसरे हुए। सामने प्लेट में फ्राई करके बचा देश पड़ा था। नेता लोगों के चरित्र की एक यही तो खासियत होती है जिसके चलते वे कभी परेशान नहीं होते। खुद को उनका खासमखास साबित करने के लिए मैंने बाजार से खरीद कर लाई गलिसरीन आंखों में लगाई और दहाड़े मार मार रोने लगा। नेता जी! ये क्या पढ़ रहा हूं अखबार में! बुरा हो इन अखबार वालों का! बुरा हो इस कोर्ट के जज का! लगता है वे अपके कद से परिचित नहीं! आप चाहो तो बैठे बैठे ही आसमान से तारे तोड़ कर ले आओ। आप जैसे देवता पर पद का दुरूपयोग करने का आरोप! आप तो कभी पद तक पर नहीं बैठे! ये छापने से पहले अखबार वालों के प्रेस की बिजली क्यों नही आपने कटवा दी?तो वे वैसे ही धीर गंभीर मुद्रा में बोले”वत्स! डरते नहीं! मेरा कुछ नहीं होने वाला! मैं तो कोर्ट कचहरी से ऊपर उठा हुआ जीव हूं। बहुत ऊपर! इस कोर्ट से मेरे लिए सजा हुई तो इससे ऊपर वाले कोर्ट में अपील कर देंगे। आठ दस साल वहां केस पड़ा रहेगा सोतड़ की तरह। वहां से भी दोषी करार हो गया तो उससे ऊपर वाला कोर्ट तो है ही। वहां अपील कर देंगे। वहां आठ दस साल केस अपनी चाल चलता रहेगा ,इधर मैं अपनी चाल चलता रहूंगा। जब तक फैसला आएगा तब तक हम ही देश से जा चुके होंगे! केस बंद! तो मैंने उत्सुकता से पूछा’पर महाराज! कहते हैं कि ऊपर वाले कोर्ट में तो फैसला होकर ही रहता है’ यह सुन वे और भी गंभीर मुद्रा में मुस्कुराते बोले,कोई बात नहीं! वहां भी फैसले को चुनौती देते रहेंगे। नेता हैं,चुनौती देना तो हमारी रग रग में भरा है। पद का दुरूपयोग करने का अधिकार भले ही हमसे वे छीन लें पर अपील का अधिकार हमसे कौन छीन सकता है?तो मेरी उनमें जिज्ञासा और भी बढ़ी,अगर वहां पर अपील करने की एक भी लाइन न बची तो, जितने को वहां का फैसला आएगा उतने को तो हमारा फिर पुनर्जन्म हो चुका होगा! हमें इतने दिन अपने पास ठहरा कर यमराज को पंगा लेना है क्या! यहां के फैसले वहां और वहां के फैसले यहां लागू थोड़े ही होते हैं भोंदू!सबका अपना अपना अधिकार क्षेत्र है। कानून हमने भी बहुत पढ़ा है,उसीकी ही तो खाते हैं,उन्होंने आज तक किसी भी शास्त्र में न कहा जाने वाला ज्ञान कहा तो मैं धन्य हुआ!! मेरा जन्म लेना आज सार्थक हुआ,मैंने उनके पांव छुए और मुस्कुराता हुआ अपने अज्ञानी मुहल्ले में आ गया।

 

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