बलराम सिंह

युग है आज बवालों का,
बे सिर पैर सवालों का।
टिक टोक पर जाकर बोलें,
क्या करना है भू जब डोले?
दे भूकम्प का एक जायज़ा,
ले ली खबर हवालों का॥ बे सिर पैर सवालों का … बे सिर पैर सवालों का …
मोदी की अब बात चल गयी,
कितनों को तो बहुत खल गयी।
मोदी के कहने पे थाली,
मोदी के कहने पे ताली,
ये थाली वो ताली सुनकर,
अकस्मात् ये धरा हिल गयी॥ कितनों को तो बहुत खल गयी…कितनों को तो बहुत खल गयी ….
कहते हैं दीपक जलने से,
कहीं कोरोना भागेगा?
दिया जला बलिदान दिखाते,
राष्ट्र एकता हम दर्शाते,
क़ुर्बानी संदेश के ज़रिए,
देश तो नींद से जागेगा॥ कहीं कोरोना भागेगा? ..तभी कोरोना भागेगा….
वाह वाह की गूंज जगत में,
भारत की महिमाओं की।
इतनी कुब्बत कहाँ से आयी?
किसने इसको दिशा दिखायी?
भारत को माता कह कह कर,
कीर्ति जगे महिलाओं की॥ भारत की महिमाओं की .. भारत की महिमाओं का …
हमने भी तो जग देखा है,
कीट पतंगे खग देखा है।
दायीं बायीं आँख मारकर
कहे कोरोना यूँ इठलाकर,
छःछः साल बिना वैकेसन,
ऐसा नेता ना देखा है॥ कीट पतंगे खग देखा है… कीट पतंगे खग देखा है …
चलो करें आराम सभी अब,
आधी रात गुज़र आयी है।
कोई चौकीदार तो होगा?
सेवक वफ़ादार तो होगा?
वफ़ादार कुत्ता भी हो तो,
देश की दशा सुधर आयी है॥ आधी रात गुज़र आयी है…आधी रात गुज़र आयी है …