दिल ने कहा दिल से

      आदमी के दिल को समझ पाना मुश्किल है। मेरे बचपन के मित्र सुनील मालवीय के पास जब भी बैठता हूँ तो वे बचपन की यादों के साथ सुख-दुख की बाते करते हुये आध्यात्म की चर्मोत्कृष्टता तक बात ले जाने का अवसर नही खोते है। गरीबी ओर मुफ़लिसी में बचपन गुजारने के कारण उन्हे ज़िंदगी का हर फलसफा के जीवंत जीने का अनुभव रहा है ओर धर्म उनके दिल में विकराल रूप में हिलोरे लेता है।  मेरा दिल माता पिता से जुड़ा है इसलिए उनसे मिलने के बाद समय निकाल कर सुनील के दिल की बात भी सुनता हूँ। एक दिन बात ही बात में सुनील ने आदमी के दिल को चोट लगने की बात छेड़ दी। कहने लगे एक फिल्म में राजकपूर साहब मस्ती में गुनगुनाते है कि सीधी सी बात न मिर्च मसाला. केहके रहेगा केहनेवाला. दिल का हाल सुने दिलवाला. ओर उन्होने दिल पे लिखने को कहा। तभी से में दिल से निकलने वाली आह ,वाह पर लिखने को बैचेन हो गया । मैंने फिल्मी दुनिया के गीतों में पिरोये गए दिल की झंकार सुनना शुरू किया। मैंने उनकी बात मानकर बहुत मनन ओर चिंतन के बाद अपने दिल से लिखने की इजाजत मांगी ओर दिल की इजाजत मिलने पर इस दुनियाभर के लोगों के दिलों में झाँकने का सोचकर उनके दिल की आन बान शान ओर अपमान में लिखे गए गीतो ओर शब्दों की ओर खुदकों मोड लिया।

मैंने आज तक किसी के दिल में नही झाँका है लेकिन सुनील कहता है कि मैं दुनियाभर के दिलों ताकझांक करू। सुनील प्रायमारी, हाईस्कूल से आज तक, मतलब बचपन से किशोरावस्था, युवावस्था से अब तक मुझे जानता है, कि सुबह 4 बजे सायकल उठाकर पेपर बांटने, फिर स्कूल जाने के बाद लौटने पर रात 10 बजे तक मजदूरी कर बैलों की तरह जुटा रहता था ओर मुश्किल से पाँच-छह घंटे सोने के बीच कभी किसी के दिल मे झांकने का समय ही कहा मिला। मुझे लिखने की बीमारी बचपन से रही इसलिए सुनील भी काकाजी के साथ काम पर हात बटाने या गुप्ता जी की दुकान पर रात 10 बजे लौटता था बाबजूद हमदोनों मित्र दिलों से खेलने के शौकीन रहे यह न समझ ले, यदि सुनील ने कहा है तो इसका सिर्फ इतना मतलब है कि मैं लिखते समय दिलों में ताकझांक कर लूँ। साथ ही वह उन गीतों में झाँकने को कह रहा है जिसको लिखने वालों ने ओर गाने वालों ने सुर देते समय दिल शब्द का प्रयोग में मेहनत की है। दिल, दिल है ओर यह भारत के महानगरों से गाँव की गलियों तक,नासमझ से समझदार तक सबके पास है ओर उनके शरीर मे यह दिल धड़कता है। या कहिए जिसमें कुछ कुछ होता है वह दिल है ओर जिसको होता है वह दिलवाला है। फिल्म की बात से ही शुरुआत करू तो याद आता है कि मनोजकुमार जो पूरब पश्चिम फिल्म मैं दोनों देशों की मनोदशा को भारत नाम से एक गीत में लंदनवासियो अंतर करते है तब उनके दिल की बात करने का अंदाज निराला लगा उन्होने वह भारत की संस्कृति ओर संस्कार को जीवित रखते हुये गीत गाते समय दिल की जगह हृदय का प्रयोग करते हुये गाया कि “कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़फता हुआ तुम्हें छोड़ तब तुम मेरे पास आना प्रिय, मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा, कहकर “हृदय” को ताज पहना दिल को अपनी औकात याद दिला दी। दिल भारत में कितना भी बड़ा हो, कितना भी महान हो किन्तु पूरब पश्चिम फिल्म का लंदन में “दिल” को भुलाकर “हृदय”  को प्रतिष्ठित करना दिल के लिए गौरव कि बात कही जा सकती है ।

 अब दिल को कौन क्या क्या समझता है मुझे बचपन का एक गीत याद आता है जिसमें शम्मी कपूर साहब कुलाटे भरते हुये अपनी प्रेयसी से कहते है कि दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर, यादों को तेरी मैं अपनी दुल्हन बनाकर रखूँगा दिल के पास, मत हो मेरी जान उदास। गाना सुनकर मेरा दिल भी बल्ले बल्ले झरोखा बन जाता था पर कोई था नहीं जिसे दिल की ये बात कहता  पर इतना ज्ञान जरूर हो गया कि दिल की बातें करनी हो तो कोई अपना कहने को कोई हमसफर होता है जिसे दिल का चोर कहकर कह सके की चुरा लिया है तुमने जो दिल को इसलिए कहता है दिल ओर मचलता है दिल मेरे साजन ले चल मुझे तारों के पार,लगता नहीं दिल यहा ओर वह ताने देती कि हमे है सब पता दिल में जो चोर है। अब दिल की बात करने से पहले समझ ले कि जो पहले दिल की बकबक है वह सुख दुख में निकलने वाली आह-वाह है जो मन में पैदा होने वाले शब्दों को वस्त्र पहनाए जाने से पैदा होती है, वस्त्र पहनकर पैदा होने वाले ये ही अटरपटर शब्द कविता बन जाते है। जो कविता वस्त्रहीन हो वो कविता नही होती इसलिए कविता को प्यार भी खूब मिलता है, कविता को प्यार करने वाले उसे सुरीले सुरों में सजाकर पंख दे देते है, पंख लगते ही कविता उड़ने लगती है, जो कविता उड़ती है वह गीत बन जाती है, जिसका जिक्र पहले ही किया जा चुका है । प्रकृति का नियम है जो हल्का होता है वह आसानी से पंख पाकर उड़ जाता है, जो गीत जितने भारीभरकम होंगे वे कभी पंख नहीं पा सकते है, ओर न ही वे उड़कर आसमान पर जा सकते है। हमारे चारों ओर जो फिल्मी गीत उड़ते है,उन गीतों के शब्द हल्के होते है, सामान्य बोलचाल में उन शब्दों को सड़कछाप गीत कह सकते हो, उन गीतों का शरीर हलका फुलका होता है, लेकिन उन हल्के फुलके गीतों में नाचने वाले अभिनेता इनसे शौहरत ओर पैसा भी खूब बनाते है ओर गीतों के साथ वे भी आसमान की उचाईयो पर होते है, उन्हे कोई भी राह चलते याद कर लेता है ओर वे गीत लोगों के दिलों में बस गए है। जो गीत बहुमूल्य है जो अमृत है वे भारी है, उनके शब्द जटिल है, जिन्हे समझना ओर हृदय में उतारना मुश्किल है,वे सच में जीवन का अमृत है,ओर अमृत आसमान को यूं ही नही छूता है। जब से दुनिया बनी है तब से अब तक विचार करने वालों ने स्वर्ग-नर्क का चिंतन कर अपनी कल्पना के घोड़े दोड़ाए है किन्तु किसी ने जीते जी स्वर्ग नर्क की यात्रा नही की। देखा जाये तो ये गीत ओर  संगीत की दुनिया ही है जो स्वर्ग का अनुभव देती है ।  

फिल्मी दुनिया ऐसी है जहा फिल्म के हिट होने के लिए दिल को कातिल, चोर,बेबफा,नादान,पागल,दीवाना  बेचारा ओर लाचार सभी उपमाओं का नाम देकर पेश करने की अंधी दौड़ चल रही है ताकि गीतों में दिल की दशा-दुर्दशा सुनकर लोगों की मानसिक भावनाओ ओर संवेदनाओं को कुरेद कर उनकी आँखों से आँसू बरसाए जाए। जो आँसू गिरवाने में सफल हो जाये वही गीत इनके लिए हिट होता है ये दिलजले गीतों मे दिलों को जलाकर दर्शकों मे तड़फ पैदा करते है फिर अपनी जरूरत के हिसाब से स्वर्ग के अलावा सुख दुख से मुक्त होने ओर आत्मआनंद में दिल की खूबसूरती को परोसकर दिलों को बेसुध करते है। जब दिल के दर्द भरे गीतों से दर्शकों की आत्मा तृप्त हो जाती है तब ये इसे स्वर्ग की प्राप्ति का अनुभव बताकर अपने दिलों मे रोशनी कर लेते है। कोई लिखता है कि तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ मैं खुद अपनी हस्ती मिटाने चला हूँ तो किसी के दिल से आवाज आती है ओ मेरे दिल के चैन, चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिये पता नही उसकी दुआ कबूल हो पाती की नहीं झट से दूसरा कह उठता है दिल तोड़ने वाले, कोई भी होता आप न होते तभी तीसरा अपना आलाप छेड़ता है ओर जो दिल टूटा है उसकी लेखनी बनाकर कहता है कि दिल की कलम से मोहब्बत का इतिहास लिखेंगे । जब गीत इतिहास लिखने लगता है तब एक गीतकार इतिहास बदलकर लिखता है कि दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा बरबादी की तरफ ऐसा मोड़ा एक भले मानुष को अमानुष बना के छोड़ा, यानि साफ है दिल की कलम से लिखे गीत मनुष्यता के लिए कोई ठीक संदेश नहीं देते है। गीतों में मोहित सम्मोहित करने के लिए प्रकृति को भी शामिल किया गया है ओर एक गीतकार प्रकृति ओर दिल को जोड़ते हुये गुनगुनाता है आजा आई बाहर दिल है बेकरार ,ओ मेरे राजकुमार तेरे बिना रहा न जाये तो दूसरी ओर से कोरस पैदा होता है कि काटे नही कटते ये दिन ओर रात,मुझे कहनी है तुमसे जो दिल की बात,लो आज मैं कहती हूँ …आई लव यू । जब प्यार के इजहार पर गीत पूरा होता है वही दूसरी प्रेयसी कह उठती है कि जहा भी जाती हूँ वही चले आते हो , चोरी चोरी मेरे दिल मैं समाते हो , ये तो बताओ तुम मेरे कौन हो उसकी बात समाप्त भी नही होती की तीसरा गीत बज उठता है नैनो में सपना,सपनों में सजना ,सजना पे दिल आ गया क्यों नही आएगा क्योकि दिल तो पागल है , दिल दीवाना है अगर हम दिल दे चुके सनम हो गए तेरे हम तो दुनियावालों को मानना ही होगा कि दिल का क्या कसूर जो दिल ढूँढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन, ओर ये रात ओर दिन के गीतों का सफर थमता नही दिखता है।

यहा दिल के अलावा कुछ ओर कहने को नहीं है। जीवन ओर जगत के बीच ख्यालों का सैलाव सारी सीमाये तोड़कर बेकाबू है। बेकाबू का कारण है यौवन, जिसकी दीवानगी हद तक है। यहा की दुनिया में दिल के अरमा आसुओं में बह गए ,हम बफा करके भी तन्हा रह गए , कारण यौवन की चंचलता ओर शोखियो से ऊब है ओर एक रास्ता नया पैदा होता है जिसमे दिल ने ये कहा दिल से दिल बिल प्यार बयार में क्या जानु रे ….दिल क्या करे जब किसी को किसी से प्यार हो जाये। जीवन ओर जगत दो पायदान है या कहे जीवन ओर जगत का अपना स्वर्ग है अपना नर्क है जहा आनंद है वहाँ स्वर्ग ओर जहा निराशा है वहाँ नर्क। आशा से भरे गीत जीवन का आनंद देते है, जीने का साहस देते है। जो गीत निराशा से भरे हो वे गीत न होकर इंसान के दुश्मन होते है ओर निराशा पतन से जीवन के अंत तक पहुचाती है। मत रो मेरे दिल , चुप हो जा , हुआ सो हुआ , …..सीशा हो या दिल हो , आखिर टूट जाता है, लब तक आते आते दामन छुट जाता है …अपने दिल से बड़ी दुश्मनी थी ,इसलिए मैंने तुमसे दोस्ती की ….अपने दिल को जला के रोशनी की,इसलिए तुमसे दोस्ती की…..ओर इस दिल में क्या रखा है ,तेरा ही दर्द छिपा रखा है, तेरी दुनिया में दिल लगता नही , कहा जाए  जैसे गीत निराशा से भरे है किन्तु जब निराशा को आँख बंद कर धैर्य के साथ इन गीतों को सुना जाये तो निराशा समर्पण कर देती है फिर व्यकित को न निराशा का पतझड़ रोकता है ओ न ही बैराग्य का अंधकार उसके लिए बाधक होता है। दिल का प्रतिनिधित्व करने वाले गीतों की बड़ी दुनिया है ये दिल जुवा न खोल देख ले ,किसी से कुछ न बोल देख ले ॥ हम आपकी आँखों में इस दिल को बसा दे तो , हम मूँद के इस पलकों को इस दिल को सजा दे तो । दिल ने दिल की बात समझ ली अब मुह से क्या कहना ॥ अभी न जाओ छोडकर दिल अभी भरा नहीं । आप दौलत के तराजू में दिलों को तौलते है, हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते है आदि ।

      अपनी बात समाप्त करने से पहले एक गीत का जिक्र ओर करूंगा जिसमे कहा गया है कि हर जवां पत्थर के दिल मैं आग होती है  जब तक न छेड़ो शर्मिंदी में सोती है, मतलब साफ है स्वर्ग ओर नर्क हमारे नजदीक भी है ओर दूर भी है। नजदीक इसलिए के वे दिखाई देते है, दूर इसलिए की हमारा वहाँ पहुचना आसान नही। गीत ओर गायक हमे गली गली में मिल जाएँगे जो दिल की बात करेंगे, जो बहारों की महफिले सजाएँगे । जहा दिल झूमते हुये, गाते हुये , मुस्कुराते हुये आशा से भरे मिलेंगे ओर अपने गीतों से अपने नाच से एक बूढ़े को भी जवानी का एहसास कराएंगे, फिल्मी गानों की परंपरा ऐसे ही मंचो को रंग देती है दिलों को उड़ान देती है लेकिन दुनिया के जंजालों से मुक्ति का मार्ग, स्वर्गिक आनंद का सुख का आभास नही मिलता … सिवाय दिल के समर्पण से दिली खुशी के ये गीत ज्यादा नही से सकते है । ये दिल की बात है दिल ने शुरू की दिल ने कही, दिल ने सुनी दिल ने मानी, आप भी मान जाइए। 

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