परिचर्चा

परिचर्चा : यूपीए सरकार और भ्रष्‍टाचार

कांग्रेसनीत यूपीए सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं। कांग्रेस और सहयोगी दलों के नेता भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं। कांग्रेस के दोमुंहेपन की बानगी देखिए। दिल्‍ली में आयोजित कांग्रेस के 83 वें महाधिवेशन में कांग्रेस अध्‍यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा पारदर्शिता और शुचिता के पक्ष में रही है जबकि वास्‍तविकता यह है कि वर्तमान संप्रग सरकार अपने कार्यकाल में अब तक 2,50,000 करोड़ से अधिक के घोटाले कर चुकी है।

कुछ प्रमुख घोटाले हैं :

आईपीएल घोटाला

आईपीएल खेल घोटाले ने केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचार की कलई खोल दी। इस खेल में करीब 2000 करोड़ रूपये का घोटाला हुआ।

राष्‍ट्रमंडल खेल घोटाला

दिल्‍ली में आयोजित राष्‍ट्रमंडल खेल में हुए भ्रष्‍टाचार से पूरी दुनिया में भारत की बदनामी हुई। खेल बजट जो शुरू में 2000 करोड़ रूपए का था, बढ़कर 70,000 करोड़ रूपए की भारी भरकम राशि का हो गया। इस खेल में लगभग 8 हज़ार करोड़ करोड़ का खिलवाड़ हुआ।

आदर्श सोसाइटी घोटाला

महाराष्‍ट्र में आदर्श सहकारी आवास घोटाले से कांग्रेस की बड़ी फजीहत हुई क्‍योंकि आवास सोसाइटी ने रक्षा सेनाओं में कार्यरत तथा सेवानिवृत्त कमिर्यों के कल्याण के लिए महाराष्ट्र सरकार से भूमि आवंटित किये जाने की मांग की थी। इस सोसाइटी में 102 आवंटी जिनमें 37 सैन्य अधिकारी शामिल थे।

2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 2जी स्‍पेक्‍ट्रम के आवंटन में उचित प्रक्रिया नहीं अपनाने से सरकारी खजाने को करीब एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इतनी रकम से देश के हर भूखे व्‍यक्ति का पेट अगले दस साल तक भरा जा सकता था।

विपक्षी राजग, वाम, अन्नाद्रमुक और सपा सदस्य 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन, आदर्श आवासीय सोसायटी और राष्ट्रमंडल खेल से जुड़ी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की। लेकिन कांग्रेस और यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग ठुकरा दी। इस मसले पर भारतीय संसद के इतिहास में बने अब तक के सबसे लंबे गतिरोध के बाद संसद का शीतकालीन सत्र बिना किसी खास काम काज के संपन्न हो गया। नौ नवंबर से शुरू इस सत्र के दूसरे ही दिन से जेपीसी की मांग को लेकर बना गतिरोध 13 दिसंबर को अंतिम दिन भी नहीं टूट पाया। इस सत्र के 23 दिनों में महज तीन घंटे ही सदन चल पाए और वह भी हंगामे के बीच।

जिस सरकार के कार्यकाल में इतने घोटाले हो रहे हों, उसके प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। जब तक देश में भ्रष्टाचारियों पर सख्‍त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक विकसित भारत का सपना साकार नहीं होगा। आपके क्‍या विचार हैं।