‘फेसबुक’ पर विचारशील चर्चा के उद्देश्य से हमने एक शृंखला की शुरुआत की है। बुद्धिजीवी मित्र इस चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं और अपने विचार से सबको लाभान्वित कर रहे हैं। आपसे भी निवेदन है कि इस परिचर्चा में भाग लें, जिससे हम सबके ज्ञानराशि में वृद्धि हो सके। (सं.)
वैचारिक प्रबोधनमाला – 2.
संस्कृति क्या है ?
[सरल शब्दों में; संस्कृति – सम्यक कृति। जो कृति को सम्यक रूप से सुधार दे, वह संस्कृति है।]
बृजभूषण गोस्वामी सस्कारो की जीवंत स्वाभाविक कृति-संस्कृति
सौरभ भारत किसी भी स्थान और समय में किसी समाज में प्रचलित मान्यताओं, मूल्यों, आचार व्यवहार, भाषा, खेलकूद, खानपान, पहनावे और रहन सहन इत्यादि को समष्टि रूप में संस्कृति कहा जा सकता है।
Anuj Mishra राष्ट्र उन इंसानो का समुचय हैं जिनकी पितृ भूमि पुण्य भूमि कर्म भूमि एक ही हो जिनका मूल समान हो
Sachin Tiwari संस्कृति से तात्पर्य प्राचीन काल से चले आ रहे संस्कारों से है। मनुष्य द्वारा लौकिक-पारलौकिक विकास के लिए किया गया आचार-विचार ही संस्कृति है। सनातन परंपरा के अनुरूप संस्कार की पद्धति ही संस्कृति है। संस्कृति अनुभवजन्य ज्ञान पर और सभ्यता बुद्धिजन्य ज्ञान…See More
Shailesh Vats संजीव आपको ऐसी चर्चा के लिये सुक्रिया।
Sachin Tiwari सभ्यता और संस्कृति में अन्तर ठीक वैसा ही है, जैसे हम एक फूल को सभ्यता और उसकी सुगन्ध को संस्कृति कहें। सभ्यता से किसी संस्कृति की बाहरी चरम अवस्था का बोध होता है। संस्कृति विस्तार है तो सभ्यता कठोर स्थिरता। सभ्यता में भौतिक पक्ष प्रधान है, जबकि संस्कृति में वैचारिक पक्ष प्रबल होता है। यदि सभ्यता शरीर है तो संस्कृति उसकी आत्मा।। ….सादर…
संस्कारो का ही पर्यायवाची शब्द हैं संस्कृति
प्राचीन संस्कृति का प्रतीक भागवत, ज्ञान एवं वैराग्य को पुनर्जीवित करने के लिए लिखा गया था. वैराग्य का अर्थ परिवार से मुक्त होना नहीं है, न ही उनमें प्यार को कम करना है. वैराग्य का अर्थ केवल घर की सुख-सुविधाओं के प्रति उदासीन हो जाना है. वैराग्य से अगली अवस्था ज्ञान की, संन्यास की तथा ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर ब्राह्मण बनने की है. देश की आज की संस्कृति में ये दोनों नदारद हैं. इसलिए देश की व्यवस्था केवल ‘शेष’ अर्थात दंड पर टिकी रह गयी है. समय के साथ लोग-बाग़ दंड से बचने के अपने रास्ते निकाल लेते हैं. यही वजह है की आज देश की माँ-बहनें आत्म सम्मान को तरसने के लिए मजबूर हैं.
किसी देश की सभ्यता उस देश का बाहरी विकाश है तो संस्कृति आंतरिक विकाश का द्योतक है
बहुत सुंदर