मत करो खिलवाड़ मेरी तन्हाईयों से

0
144

मत करो खिलवाड़ मेरी तन्हाईयों से,मुझे तन्हा रहने दो |
मै अकेला ही आया था इस जहाँ में,मुझे अकेला ही रहने दो ||

काटता नही अकेलापन,मुझे अब सकून देता है |
कहते थे जिसे बोरयत,मुझे अब मजा  देता है ||

करते नहीं बातचीत किसी से,अपने में मस्त रहते है |
साथ रहकर परिवार में,हम अकेले ही पसन्द करते है || 

बनते जा रहे है अजीब रिश्ते,खून के रिश्ते भी भूल जाते है |
निभाता था दूर रहकर भी,अब तो पास रहकर भी टूट जाते है ||

क्या करे रस्तोगी अब,सबको अकेलापन खाने लगा है |
क्या हो गया दुनिया को,रिश्तो को पागलपन खाने लगा है ||

Previous articleइस अलोकतांत्रिक-से माहौल में रहते हुए …
Next articleमौसम
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here