जाली दार टोपी नहीं को न, पर अजमेर शरीफ को चादर हां…

1
262

-मुकुल मिश्रा-

ajmer-gate_060711103308

भारत के (राष्ट्रवादी) प्रधानमंत्री व सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, राजनैतिक पार्टियो के “राजनीतिज्ञ कीटाणु” अजमेर उर्स के अवसर पर मोइनुद्दीन की मजार पर चादर जरुर चढ़ाते हैं और एक संदेश भेजते है, आम जनता के  नाम “ख्वाजा साहब ने अवाम को अमन चैन और शान्ति का पैगाम दिया है, वे शान्ति के प्रतीक हैं, वे साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रवर्तक थे, वे सूफी संत थे… वगैरह वगैरह….ये राजनीतिज्ञ कीटाणु ही नहीं “आज के सबसे
बड़े जज “पत्रकार भी ऐसे ही “समाचार फैलाते दिखाई देते है, बानगी देखिये “ख्वाजा की नगरी अजमेर में जायरीनो की भरी भीड़”…अब अगर इन राजनीतिज्ञ कीटाणुओं और पेड़ पत्रकार, सम्पादक और अखबारों के मालिको से ये पूछ लिया जाए कि “इस मोइनुद्दीन ने “साम्प्रदायिक सद्भाव, अमन शान्ति का सन्देश कब दिया…? तो ये लोग अगले जन्म लेने तक किसी बुर्के में मुंह छिपा कर बैठ जायेंगे । मेरे कहने का सीधा सा अर्थ ये है कि इन राजनीतिज्ञ कीटाणुओ और पेलू पत्रकारों ने अपनी स्वार्थ सिद्दी के लिए “एक ऐसी जगह पर हिन्दुओ को माथा टिकाने को ललचा दिया है  जहाँ हिन्दुओं को माथा झुकाना तो जाना ही  नहीं चाहिए।

जहाँ लाश को गाड़ा गया हो, वो जगह क्या पवित्र होती है…? यदि हां तो हिन्दू शमशान में जाकर माथा क्यों नहीं झुकाता..? ये राजनीतिज्ञ कीटाणु और पेलू पत्रकार क्यों नहीं पहुँच जाते श्मशान में मुर्दों पर डाले गये पुष्प उठाने…? कोई भी राजनीतिक व पत्रकार  कीटाणु  मुझे ये बता सकता है कि “इस मोइनुद्दीन का ही उर्स 9 दिन का ही क्यों होता है…? जबकि सभी कत्थित पीर फकीर का एक दिन का उर्स लगता है…? कोई पेलू पत्रकार, राजनीतिज्ञ कीटाणु, अभिनेता या और भी कोई दरगाह पर माथा टेकू हिन्दू मुझे ये बता सकता है कि “ये मोइनुद्दीन मरा कैसे…कोई भी पेलू पत्रकार, राजनीतिज्ञ कीटाणु ये बताने की औकात रखता है कि “जिस आदमी को 90 लाख हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन कराकर मुल्ला बनाने का गौरव प्राप्त हुआ हो, वो सांप्रदायिक सद्भाव का सन्देश देने वाला सूफी कैसे हो गया…? अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को जबरन इस्लाम कुबूल करवाने और संयोगिता द्वारा इस्लाम कुबूल ना करने की परिस्थितियो में “संयोगिता को मुस्लिम सैनिको के बीच फेकने वाला अमन शान्ति और साम्प्रदायिक सद्भाव का संदेश देने वाला हो सकता है…?” अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वी राज चौहान की वह वीरांगना पुत्रिया पूजनीय है जिन्होंने इस मोइनुद्देन को आत्मघाती बनकर मार दिया था , तो फिर ये मोइनुद्दीन माथा टिकाने के काबिल है जिसने मुल्ला आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी के हाथो पृथ्वीराज को मरवाकर भारत को लूटने में सहयोग किया…ये जवाब दें अब राजनीतिज्ञ कीटाणु और पेलू पत्रकार… शरियत के अनुसार “जो मुल्ला काफिरो (गैर मुस्लिम) के हाथो जिहाद में मारा जाता है उसकी ही मजारे और दरगाह बनती है, तो ये राजनीतिज्ञ कीटाणु और पेलू पत्रकार साहित्यकार इस बात का जवाब दे सकते है कि ” मोइनुद्दीन यदि अमन शान्ति और सद्भाव का प्रवर्तक था या जेहादी…? यदि प्रवर्तक था तो इसकी मजार और दरगाह कैसे बन गयी…? क्योकि शरीयत में ऐसा नहीं है, और यदि जेहादी था तो आप उसे क्यो जबरन अमन का मसीहा बता कर समाज व देश को गुमराह कर रहे हो..? हिन्दुओं, राजनेताओं का स्वार्थ है मुल्ला वोट, पेलू पत्रकारों और मीडिया के मालिको का स्वार्थ है अपनी टीआरपी (TRP) बढ़ाना, सहित्यकारो का स्वार्थ है सम्मानित्त होना..इसलिए ये अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे है, परन्तु आप क्यों कर रहे है “श्मशान में दफन एक ऐसे मुर्दे की मजार पर पड़े फूलो को अपने घर लाकर जिसने आपके पूर्वजो और आपके देश को लूटवाने में महत्ती भूमिकाए निभाई हो । सोनिया, राहुल, गहलोत, वसुंधरा, मोदी ये चादर भेज रहे है ..भेजने दो, इनको, इनका ईमान धर्म वोट है लेकिन आपको तो अध्यात्मिक कष्टों का निवारण करना है तो… आप कयो यहाँ हिन्दुओ के दुश्मनों की मजारो पर माथा पटक रहे है…? अपने घरो में घी का दीपक जलाये…हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, बजरंग बान, दुर्गा चालीसा, राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करे….फिर बताये…कैसे कष्ट दूर नहीं होते…? जय बजरंग बली,जय सिया राम, जय अम्बे जय भवानी…।

1 COMMENT

  1. पूर्णतः सत्य कहा आपने। मजा़र पूजा तो प्रेत पूजा होती है, प्रेत के समक्ष प्रणाम प्रणमन है जो तामसिक है और सद्शास्त्र निषिद्ध भी। भगवान् सदाशिव के भक्त श्री मोदीजी के लिये ऐसा करना केनापिप्रकारेण युक्त नहीं था।

    डा० रणजीत सिंह (यू०के०)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,016 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress