
सब बीमारियां
अलसा कर बूढी हो गयी है
सब दवाईयाँ स्वर्ग चली गयी है
और
कुछ डॉक्टर
साहित्यकार बन गए है
वो बीमारियों की किताब से चुराते है
अलंकारिक शब्द
और
मरी हुई कविता का करते है
पोस्टमार्टम
और अपने शब्दों का भूसा
भर कर के रिपोर्ट बना देते है
और
कुछ साहित्यकार
डॉक्टर बन गए है
जो अपनी प्रेम कविताओं से करते है
मौत का इलाज
जरुरत के हिसाब से शरीर के कुछ अंग
सहेज कर रख लेते है
अपनी कविताओं में
कुछ शब्द घबराते है
प्रेम और हिंसा
के एक साथ इंजेक्शन से
पर बेरहम
डॉक्टर और साहित्यकार
ठोक देते है
किसी भी जगह
अपने हिसाब से!
Bahut acchi kavita