राजपूत भी मचल उठेंगे,भुजबल के हथियारों से
प्रतिभाओ को काटो आरक्षण की तलवारो से
निर्धन ब्राह्मण वंश,एक दिन परशुराम बन जायेगा
अपने घर के दीपक से,अपना घर ही जल जायेगा
भडक उठा अगर गृह युद्ध,भूकम्प भयानक आयेगा
आरक्षण वादी नेताओ का,सर्वस्व मिटाके जायेगा
अभी सभंल जाओ मित्रो,इस स्वार्थ भरे प्यार से
प्रतिभाओ को मत काटो,आरक्षण की तलवार से
जातिवाद की नहीं समस्या,मात्र गरीबी वाद है
जो सर्वण है पर गरीब है उनका क्या अपराध है
कुचले दबे लोग जिनके,घर में न चूल्हा जलता हो
भूखा बच्चा जिस झोपडी में,लोरी सुनकर पलता हो
समय आ गया है,उनका उत्थान करो अब प्यार से
प्रतिभाओ को मत काटो,आरक्षण की तलवार से
जाति गरीबी की,कही भी, नहीं मित्रवर होती है
अधिकारी है इसका जिसके घर भूखी बच्ची सोती है
भूखे माता पिता,जहा दवाई बिना तड़फते रहते है
जातिवाद के कारण ही कितने लोग वेदना सहते है
उन्हें न वंचित करो मित्र,सरक्षण के अधिकारों से
प्रतिभाओ को मत काटो आरक्षण की तलवारों से
आर के रस्तोगी
हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है जो लोग यह समझते हैं अनुसूचित वर्ग के लोग अज्ञानी और नासमझ है उन समझदार लोगों के लिए यह संदेश है कि सबसे पहले वह अपने अंतर्मन में झांक कर देखें कि जन्मना जाति और वर्ण की आरक्षण व्यवस्था से अनुसूचियों की प्रतिभा एवं दक्षता का कितना हनन एवं दमन
हुआ है। इसलिए सब की उन्नति एवं सब के विकास के लिए विष की बेलरी जन्मजात आरक्षण व्यवस्था को खत्म करना होगा। जन्मजात आरक्षण व्यवस्था खत्म हो जाएगी तो सभी मुद्दे अपने आप हल हो जाएंगे। इसलिए प्रबुद्ध समाज को इस दिशा में ईमानदारी से सोचना चाहिए।