कविता

उम्मीद से…

-बीनू भटनागर-
poem

भाजपा को देश की जनता ने,
बड़ी उम्मीदों से,
केंद्र की सत्ता दिलाई थी…
कांग्रेस के दस साल के शासन के बाद,
कुछ अच्छा होगा,
ऐसी आस लगाई थी।
पर हम और आप तो,
वहीं है… कुछ बिगड़ा ही है,
बना तो कुछ नहीं…
शायद शासक की भी ये सच,
जान चुके हैं।
सुनामी थी जो निकल गई,
दिल्ली वाले अब,
वोट नहीं देंगे…
इसलियें वो चुनाव में,
नहीं जाना चाहते,
उसी पैसे से कुछ घोड़े,
ख़रीद लें तो…
दिल्ली भी अपनी,
देश भी अपना
और जनता गई
भाड़ में!
पांच साल बाद मिलेंगे जनता से
तब तक, नमो नमो!