डा. राधेश्याम द्विवेदी
इंडियन एयरफोर्स को आज फाइटर विमान तेजस मिला है. तेजस को एयरफोर्स के बेड़े में शामिल किया गया है. 1983 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गयी थी. लंबे समय के इंतजार के बाद देश को तेजस हासिल हुआ है. तेजस बेहद अत्याधुनिक फाइटर जेट है.
तेजस के दस बड़ी खूबियां
1.हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित एक सीट और एक जेट इंजन वाला यह विमान बेहद हल्का युद्धक विमान है.
2.विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था. यह विमान पुराने पड़ रहे मिग-21 का स्थान लेगा.
3. एयरफोर्स में अभी तक मिग-21 विमान का उपयोग होता था लेकिन बदलते वक्त के साथ यह विमान पुराना हो चुका था. इसलिए एयरफोर्स को हल्के व अत्याधुनिक लड़ाकू विमान का जरूरत था.
4.तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है तेजस सिर्फ 460 मीटर की रनवे पर दौड़कर उड़ने की क्षमता रखता है.
5.तेजस का विनिर्माण हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड ने किया है.
6. तेजस से उड़ान भरने के बाद ग्रुप कैप्टन माधव रंगाचारी ने कहा, ‘यह आज विश्व में मौजूद चौथी पीढ़ी के किसी भी लड़ाकू विमानों के समतुल्य है’.
7. फाइनल ऑपरेशन क्लीयरेंस (FOC) वर्जन में इसकी मैक्सिमम स्पीड 2205 किमी/घंटे और इनीशियल ऑपरेशन क्लीयरेंस (IOC) में स्पीड 2000 किमी/ घंटे होगी.
8. तेजस में कई खास टेक्नोलॉजी लगी हुआ है. इजरायली राडार लगा हुआ है. फाइटर में लगा वार्निंग सिस्टम दुश्मन की मिसाइल या एयरक्रॉफ्ट का पता लगा सकता है.
9.तेजस एल्यूमीनियम अलॉय और टाइटेनियम से मिलाकर बनाया गया है.
10.1986 में तब की कांग्रेस सरकार ने भारत में फाइटर प्लेन बनाने के लिए 575 करोड़ रुपए सेंक्शन किए थे.?”
32 बरसों की अथक मेहनत से सामने आया:-भारतीय वैज्ञानिकों व तकनीकी विशेषज्ञों के लिए आज गर्व का दिन है। आखिरकार उनकी 32 बरसों की अथक मेहनत के रूप में सामने आया देश का पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान आज भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनने जा रहा है। देश में विकसित हमारे लड़ाकू विमान को विकसित करने में दस हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत आई। एक तेजस विमान वायुसेना को 160 करोड़ रुपए में मिलेगा। जबकि फ्रांस से खरीदा जा रहा राफेल विमान आठ सौ करोड़ में मिलेगा।
ऐसे विकसित हुआ तेजस:- सरकार ने वर्ष 1983 में देश में ही लड़ाकू विमान विकसित करने का निर्णय किया। शुरुआत में इसके लिए 560 करोड़ रुपए का बजट प्रदान किया गया। तेजस के विकास का कार्य सही मायने में वर्ष 1984 मे शुरू हुआ। इसके लिए एयरोनॉटिकल डवलपमेंट एजेंसी(एडीए) का गठन किया गया। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों का चयन होने में ही एक साल लग गया। इस विलम्ब के कारण वर्ष 1990 में प्रस्तावित पहली उड़ान का कार्यक्रम आगे बढ़ाना पड़ा।तेजस के निर्माण की योजना तैयार होते समय एक डालर करीब 26 रुपए के बराबर था, लेकिन अब यह बढ़कर 67 रुपए से अधिक हो गया है। डालर का दाम बढ़ने के कारण इसकी लागत भी लगातार बढ़ती रही। तेजस परियोजना पर अब तक 7,965 करोड़ रुपए खर्च हो चुके है। इसके अलावा तेजस में पहले लगाए जाने वाले कावेरी इंजन के विकास पर 2839 करोड़ रुपए खर्च किए गए। हालांकि यह इंजन इसमें काम नहीं आ सका।कावेरी के खरा नहीं उतरने पर इसमें अमेरिका से मंगाई जीई-404 इंजन लगाए गए है। तेजस में करीब साठ फीसदी उपकरण स्वदेशी है।
अन्य विमान की अपेक्षा बहुत सस्ता:- तेजस विमान की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि पूर्णतया देश में ही विकसित करने के बाद इसके ढेरों परीक्षण उड़ान होने के बावजूद अभी तक एक बार भी कोई उड़ान विफल नहीं रही और न ही किसी प्रकार का हादसा हुआ। अमूमन किसी लड़ाकू विमान के विकास के दौरान इस तरह के हादसे होना सामान्य माना जाता है। देश में विकसित होने के कारण तेजस अन्य लड़ाकू विमानों की अपेक्षा काफी सस्ता पड़ेगा। वायुसेना को तेजस मार्क-1 महज 160 करोड़ व मार्क-1ए 190 करोड़ रुपए में मिलेगा। फ्रांस से खरीदा जा रहा एक राफेल विमान आठ सौ करोड़ रुपए में वायुसेना को मिलेगा। जबकि वर्तमान में देश का सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान सुखोई 425 करोड़ रुपए में मिलता है।
प्रधानमंत्री मोदी को बधाई:-भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भारत के स्वनिर्मित लड़ाकू विमान तेजस के वायुसेना में शामिल होने पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी.उन्होंने ट्वीट किया, “तेजस के वायुसेना में शामिल होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को बधाई. गर्व के पल.”कुछ लोगों को अमित शाह का तेजस के लिए मोदी को बधाई देना नागवार लगा.वन नेशन पार्टी के नाम से चल रहे अकाउंट से शाह को जवाब दिया गया, “वे गांधी परिवार की पूजा करते थे, आप मोदी की कर रहे हो. कोई फ़र्क़ नहीं है. विमान बनाने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दीजिए.