जिन्दगी क्या है

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हर रात सुलझा कर सिरहाने रखते है जिंदगी।
सुबह उठते ही उलझी पड़ी मिलती है जिंदगी।।

सुलझा सुलझा कर थक जाते हैं हम ये जिंदगी।
थकती नहीं ये जिंदगी,सुला देती हमें ये जिंदगी।।

बेवफ़ा हम नहीं,बेवफ़ा हो जाती है ये जिंदगी।
भरोसा इस पर कैसे करे,बे भरोसे है ये जिंदगी।।

रंक से राजा बनाए राजा से रंक बनाती है ये जिंदगी।
पल में राजमहल गिराए,पल मे बना देती हैं ये जिंदगी।।

समझ सका न कोई इसको समझाती सबको ये जिंदगी।
समझदार को भी,बेवकूफ़ बनाती सबको हमेशा ये जिंदगी।।

तराशते रहते है कैसे सफल बने हमारी ये जिंदगी।
तराशते तराशते थक गए सफल हुई न ये जिंदगी।।

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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