जगन मोहन रेड्डी के मंत्रिमंडल में पांच उपमुख्यमंत्री, कितना जायज !

  • मुरली मनोहर श्रीवास्तव

आंध्र प्रदेश में नवनिर्वाचित वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार ने नया राजनीतिक प्रयोग कर देश में राजनीति को एक नई दिशा दे दी है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की सरकार में पांच उपमुख्‍यमंत्री बनाए गए हैं, जो आंध्र प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में अलग इतिहास कायम कर दिया है। ज्ञात हो कि 46 वर्षीय जगनमोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वायएस राजशेखर रेड्डी के पुत्र हैं। इसके पहले कडपा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू को हराया था। चुनाव में वायएसआर कांग्रेस ने 175 में से 151 विधानसभा सीटें जीती थीं, जबकि राज्य में लोकसभा की 25 में से 22 सीटें भी जीत हासिल कर अपने राजनैतिक कुशलता का परिचय दिया है।

आखिर किसे बनाया उपमुख्यमंत्रीः

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और कापू समुदायों से एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। इतना ही नहीं ये उपमुख्‍यमंत्री राज्य के 5 अलग-अलग क्षेत्रों यानी रायलसीमा, प्रकाशम, कृष्णा डेल्टा, गोदावरी, वाइजाग का प्रतिनिधित्‍व भी करेंगे। इसके अलावे कैबिनेट में मुख्य रूप से कमजोर वर्गों के सदस्यों को रखने का निर्णय लिया गया है। जबकि अपेक्षा यह की जा रही थी कि रेड्डी समुदाय को मंत्रिमंडल में मुख्य स्थान मिलेगा। हलांकि रेड्डी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सरकार के ढाई वर्ष बीतने के बाद कार्यों की समीक्षा की जाएगी इसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने शपथ के साथ 25 नए मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी किया। जिसमें पांच उपमुख्यमंत्रियों पामुला पुष्पा श्रीवाणी (एसटी), पिल्ली सुभाष चंद्र बोस (बीसी), अल्ला काली कृष्ण श्रीनिवास उर्फ नानी (कापू), के नारायण स्वामी (एससी) और अमजत बाशा (मुस्लिम) को उप मुख्यमंत्री बनाया। बोस जगन के पिता दिवंगत वाई एस राजशेखर रेड्डी की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। उन्हें राजस्व विभाग सौंपा गया है वहीं नारायण स्वामी को उत्पाद शुल्क और वाणिज्यिक कर विभाग की जिम्मेवारी दी गई है। बाशा को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, श्रीवाणी को जनजाति कल्याण और नानी को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग दिया गया है। जगन ने अपने पिता की ही तरह एक महिला को गृह मंत्री नियुक्त किया है। मेकाथोटी सुचारिता को गृह एवं आपदा प्रबंधन विभाग सौंपा गया है। इन पांचों उपमुख्‍यमंत्रियों को राज्य के पांच अलग-अलग क्षेत्रों यानी रायलसीमा, प्रकाशम, कृष्णा डेल्टा, गोदावरी, वाइजाग का प्रतिनिधित्‍व भी सौंपा गया है। मुख्‍यमंत्री ने अपने विधायकों को यह बताया कि कैबिनेट में मुख्य रूप से कमजोर वर्गों के सदस्य होंगे जबकि अपेक्षा यह की जा रही थी कि रेड्डी समुदाय को मंत्रिमंडल में मुख्य स्थान मिलेगा। 

चंद्रबाबू नायडू ने भी किया था प्रयोगः

आंध्र प्रदेश में लंबे समय से राजनीतिक विरासत संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी अपनी सरकार में कापू और पिछड़ा समुदायों का एक-एक उप मुख्यमंत्री बनाया था। जिसका उनको खास फायदा इस चुनाव में नहीं मिला। नायडू की चाल को मात देते हुए जगन ने पांच उपमुख्यमंत्री को बनाकर क्रांतिकारी कदम उठाया है, साथ ही अपनी राजनीतिक सूझबुझ से इन समुदायों को साधे रखना चाहते हैं।

पांच उपमुख्यमंत्री, कितना जायजः

लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता में आयी सरकार यह चाहती है कि सबका हम ख्याल रखें। लेकिन सरकार का यह फर्ज है कि निष्पक्षता के साथ किसी को खुश किए बिना हरेक नागरिक का बराबर ख्याल रखे। लोकतंत्र निश्चित रुप से पहले से परिपक्व हुआ है और लोगों की आकांक्षाएं बढ़ी हैं जिसे हर सरकार को पूरा करना बहुत बड़ी चुनौती है। आंध्र प्रदेश में जगन की सरकार ने सभी वर्गों की भागीदारी के नाम पर जो पांच उपमुख्यमंत्री पद का सृजन किया है इससे राज्य की जनता को कितना फायदा होगा, यह तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन इतना तो तय है कि राज्य के खजाने पर इन पांचों उपमुख्यमंत्रियों के सुविधाओं के वहन का आर्थिक भार होगा।

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