जैनतीर्थंकर ऋषभदेव से महावीर तक

—विनय कुमार विनायक

ऋषभदेव हैं आदि जैन तीर्थंकर

कहलाते आदिनाथ जिनके दाएं पैर के अंगूठे में

पवित्र चिन्ह ‘लांछन’ है वृषभ का!

ऋषभदेव ही वृषभनाथ हैं विष्णु के अंशावतार

प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से

महावीर तक चौबीस हुए तीर्थंकर

ऋषभदेव को निर्वाण मिला कैलाश पर्वत शिखर पर!

फिर अजितनाथ,संभवनाथ,अभिनंदननाथ,

सुमतिनाथ,पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ, चंद्रप्रभ,

पुष्पदंत सुविधिनाथ,शीतलनाथ,श्रेयांसनाथ का

निर्वाण स्थल है झारखंड का सम्मेद शिखर!

बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य की पुण्यभूमि है अंग क्षेत्र में

धनेश्वर महादेव धनवै ग्राम केहंसडीहा चौक से उत्तर

चौबीस किलोमीटर दूर समुद्र मथानी मंदराचल बौंसी के ऊपर!

फिर विमलनाथ,अनंतनाथ, धर्मनाथ, शांतिनाथ,

कुन्थुनाथ,अमरनाथ, मल्लीनाथ, सुव्रतनाथ, नेमिनाथ

औरतेईसवेंतीर्थंकरपार्श्वनाथ की पुण्य भूमि है समवेत शिखर!

बाईसवें तीर्थंकर अरिष्ठनेमीनाथ विराजे गुजरात के गिरनार

और चौबीसवें महावीर की पुण्यभूमि है पावापुरी बिहार!

उन्नीसवें तीर्थंकर मल्लीनाथ  मिथिला की सीता सी

एक पवित्र नारी मल्लीबाई थी

जिसे श्रद्धा भावसे मल्लीनाथ कहते

दिगंबर जैन के अनुयाई!

ये चौबीस तीर्थंकर प्रातः स्मरणीय हैंजैनधर्म के!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

15,479 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress