गांधी-नेहरू ने दी थी माउंटबेटन की बंटवारे की योजना को मंजूरी, आजाद और पुरूषोत्तम दास टंडन ने किया था विरोध

0
832

  संजय सक्सेना

       आज 18 जुलाई है। वैसे तो यह दिन और दिनों के जैसा ही सामान्य है,लेकिन भारत के इतिहास में आज का दिन काफी महत्व रखता है,क्योंकि आज ही के दिन 18 जुलाई 1947 को अंग्रेजोें ने टू नेशन थ्योरी पर मोहर लगाई थी,जिसका उस समय के कुछ कांग्रेसियों ने विरोध किया था, लेकिन इन नेताओं की पंडित जवाहरलाल नेहरू, पंडित गोविंद बल्लभ पंत, सरदार वल्लभभाई  पटेल, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष आचार्य जेबी कृपलानी और महात्मा गांधी के समाने एक नहीं सुनी गई और हिन्दुस्तान दो हिस्सों में बंट गया था। इन नेताओं ने उस समय के हालात के बहाने को अंग्रेजों के टू नेशन थ्योरी के प्रस्ताव पर अपनी सहमति जता दी थी।

 बहरहाल, इतिहास के पन्नों को ख्ंागाला जाए तो पता चलता है कि आज का दिन हिंदुस्तान की आजादी की चाह रखने वाले क्रांतिकारियों और देशभक्तों के लिए 1947 का साल ऐतिहासिक रहा क्योंकि उनकी बरसों से चली आ रही आजादी की मांग को अंग्रेजी हुकूमत द्वारा मान लिया गया था,अंग्रेज देश छोड़कर जाने को तैयार हो गए थे, लेकिन इसी साल 18 जुलाई 1947 को ऐसा दिन भी आया जब देश के बंटवारे पर भी मुहर लगाई गई थी। हिंदुस्तान के इतिहास का यह दिन यानी 18 जुलाई अनचाहा दिन इतिहास में दर्ज हुआ था । 18 जुलाई 1947 को आज से ठीक 73 साल पहले भारत के बंटवारे पर मुहर लगाने वाला इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट यानी भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम वजूद में आया था। इस एक्ट के तहत जहां देश को करीब 200 सालों के संघर्ष के बाद आजादी मिलने जा रही थी तो वहीं भारत के बंटवारे की भी मुहर लग गई और पाकिस्तान के रूप में नए देश के अस्तित्व में आने का रास्ता साफ हो गया था। इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट को माउंटबेटन योजना के आधार पर इंग्लैंड की संसद में 4 जुलाई 1947 को पेश किया गया और 14 दिन बाद यह 18 जुलाई 1947 को विधिवत पारित होकर कानून बन गया।

   इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट 1947, भारत के अपने उपनिवेशवाद युग के विषय में पारित ब्रिटिश संसद में यह अंतिम अधिनियम (एक्ट) भी था. इस एक्ट के पारित हो जाने के एक महीने के अंदर ही देश का बंटवारा भी हो गया. अगले महीने 14 अगस्त को पाकिस्तान वजूद में आया और इसके एक दिन बाद भारत को आजादी तो मिली लेकिन उसके दो टुकड़े हो चुके थे. 

   इससे पहले इंग्लैंड की सरकार से सलाह-मशविरा करने के बाद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून 1947 को यह घोषणा की कि इंग्लैंड की सरकार का विचार है कि 15 अगस्त 1947 से पहले ही शक्ति हस्तांतरण कर दिया जाए। जिसके लिए माउंटबेटन ने एक योजना रखी जिसे माउंटबेटन प्लान यानी माउंटबेटन योजना कहा गया। इस योजना के तहत भारत को भारत और पाकिस्तान नामक दो अलग राष्ट्रों में बांट दिया जाए और दोनों को जून 1948 की बजाए 15 अगस्त 1947 को ही आजादी दे दी जाए। 

   तत्कालीन प्रधानमंत्री लाड ऐटली ने 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश संसद में ऐलान किया था कि जून 1948 से पहले भारत में सत्ता हस्तांतरित कर दी जाएगी, यानी आजादी दी जाएगी.यही नहीं माउंटबेटन प्लान के तहत पंजाब, बंगाल, असम और उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत में स्थानीय लोगों की भावना के आधार पर भारत या पाकिस्तान में जनमत संग्रह के जरिए शामिल होने की बात कही गई थी। इस योजना के तहत बंगाल और पंजाब के हिंदू बहुल जिलों के लोगों ने अपने-अपने प्रांतों के बंटवारे पर सहमति जताई तो वहीं असम के सिलहट जिले के लोगों ने  पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला कर लिया था। पाकिस्तान में शामिल होने वाला सिलहट मुस्लिम बहुल इलाका था, जबकि 550 से ज्यादा रियासतों ने भारत के साथ जुड़ने का फैसला लिया था।

  उधर, लॉर्ड माउंटबेटन की विभाजनकारी योजना पर विचार करने के लिए 14 जून 1947 को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद और पुरुषोत्तम दास टंडन के अलावा कुछ हिंदू सदस्यों और राष्ट्रवादी मुसलमानों ने इसका विरोध किया, लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू, पंडित गोविंद बल्लभ पंत, सरदार वल्लभभाई  पटेल, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष आचार्य जेबी कृपलानी और महात्मा गांधी ने उस समय के हालातों को देखते हुए इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जता दी,जिसके चलते हिन्दुस्तान के दो टुकड़े हो गए ।

Previous articleमानसून सत्र में असली मुद्दों पर सार्थक बहस हो
Next articleजेंडर गैप इंडेक्स और हम
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

15,450 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress