सूखे के खिलाफ गांधीगीरी

drought-1देश के कई जिले आजकल सूखे की चपेट में हैं। हजारों किसान आत्महत्या कर चुके हैं। लाखों लोग गांव छोड़कर शहरों की तरफ भागने की तैयारी कर रहे हैं। अपनी केंद्र और राज्यों की सरकारें भी राहत-कार्य में जी-जान से लगी हुई हैं लेकिन आज मैंने महाराष्ट्र के सतारा जिले में जो दृश्य देखा तो मुझे भरोसा हो गया कि भारत के लोगों में जबर्दस्त हौसला है और वे पानी के अकाल का मुकाबला कर सकते हैं। मैं कल सतारा पहुंचा और आज सतारा से करीब 35 किमी दूर कोरेगांव तहसील के सर्कलवाड़ी गांव में पहुंचे। मुंबई से मेरे साथ महावीर जैन, निरंजन आयंगर, सत्या भटकल, शान मुखर्जी, रीना दत्ता आदि फिल्मों से जुड़े कई उत्साही लोग भी गए। सतारा में हमारे साथ डॉ. अविनाश पोल और कलेक्टर अश्विन मुद्गल भी जुड़ लिये।

सर्कलवाड़ी में हम कई स्थानों पर गए। सुबह छह बजे ही हर स्थान पर सैकड़ों स्त्री-पुरुष और बच्चे दूर से ही दिखने लगे। वे अपने हाथ में कुदाली और फावड़ा लिए जमीन खोद रहे थे। एक उंची पहाड़ी के नीचे ये लोग डेढ़-डेढ़–दो-दो फुट की नालियां खोद रहे थे। आदमी-औरतों के साथ-साथ छोटे बच्चे भी फावड़े से मिट्टी हटा रहे थे। उन्होंने बताया कि पहाड़ पर से पानी बहकर दूर मैदान में चला जाता है और कड़ी धूप उसे सुखा ले जाती है।

पिछले तीन साल से इस गांव में लगभग सूखे की-सी स्थिति है। अब हमने जो नालियां खोदी हैं, इनमें से हर नाली कम से कम 3000 लीटर पानी सोख लेंगी। आज एक दिन में 100 नालियां खुद गई हैं याने 3 लाख लीटर पानी जमीन में उतर जाएगा। यदि पूरे मौसम में 50-60 दिन भी बरसात हो गई तो अंदाज लगाइए कि कितने करोड़ लीटर पानी हमारे गांव की जमीन में जमा हो जाएगा।

इस गांव की आबादी 1300 है। उसमें से लगभग 7-8 सौ लोग रोज सुबह तीन घंटे श्रमदान करते हैं। करोड़पति किसान और कौड़ीपति मजदूर एक साथ पसीना बहाते हैं। ब्राह्मण और शूद्र, हिंदू और मुसलमान तथा गरीब और अमीर का भेद मिटाने वाला यह श्रमदान अगर देश के सारे जिलों में फैल जाए तो देश की खेती चमचमा उठेगी। सर्कलवाड़ी के किसानों ने, हर साल निकलने वाली यात्रा और उत्सव को रोककर हर परिवार ने एक-एक हजार रु. जमा किए, मशीनें किराए पर लीं और दर्जनों छोटे-छोटे तालाब भी खुदवा दिए हैं। पुराने तालाबों की मिट्टी वे खुद उलीच रहे हैं।

यह काम बीड़ और अमरावती में भी चल रहा है। आज तीनों जिलों में 30 हजार से भी ज्यादा लोगों ने श्रमदान किया है। आशा है कि यह पानी बचाओ लोक-अभियान 50 हजार गांवों तक शीघ्र ही पहुंच जाएगा। सूखे से लड़ने की यह गांधीगीरी मुझे बहुत पसंद आई।

1 COMMENT

  1. गाँव का नाम, सतारा नहीं, सातारा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,705 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress