दोपहर में जब मम्मी सोई,
दादी करती थीं आराम|
लगा जोर से टेर लगाने,
ठेले वाला ले लो आम|
उठे दौड़कर चुन्नू आये,
छोड़े सभी हाथ के काम|
मुन्नू भी चिल्लाकर बोले,
ले लो मम्मी ले लो आम|
ठेले वाला फिर चिल्लाया,
बड़े रसीले मीठे आम|
एक बार बस खाकर देखो,
मिट जायेंगे कष्ट तमाम|
आम हमारे जिसने खाये,
उनका हुआ जगत में नाम|
रातों रात प्रसिद्धि पाई,
कल तक तो थे वह गुमनाम|
मां बाहर आकर तब बोली,
क्यों न खुद खा लेते आम|
व्यर्थ झेलते क्यों गुमनामी,
कल होगा दुनियां में नाम|
आम यदि खा लेने से ही,
मिट सकते हों कष्ट तमाम|
अपने कष्ट मिटालो खुद ही,
खालो अपने सारे आम|