सोने-चांदी और बचत खातों में निवेश

डॉ. सूर्य प्रकाश अग्रवाल 

गत दिनों जिस प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के बचत खातों व सावधि खातों पर ब्याज की दरें बढायी है उससे सामान्य निवेशकों के लिए सोने-चांदी में निवेश के बाद बैंक के बचत खातों व सावधि खातों में रुपया जमा करने पर अच्छा ब्याज अथवा लाभ प्राप्त हो जाता है। सावधि जमा पर ब्याज की दरें अब 8 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक हो गयी है। कुछ दशाओं में यह ब्याज 12 प्रतिशत तक प्राप्त हो जाता है। बचत खातों पर 4 प्रतिशत सालाना का सुनिचित ब्याज प्राप्त हो रहा है। बैंक में जमा निवेश निवेशक के लिए एकदम से सुरक्षित निवेश है तथा निवेशक को एक सुनिश्चित लाभ एक निश्चित समयान्तर पर प्राप्त हो जाता है।

विश्व में जिस प्रकार निवेश के दृष्टिकोण से नकारात्मक सूचनाएें प्राप्त हो रही है उन सबका प्रभाव भारत के शेयर बाजार पर अनिवार्य रुप से विपरीत ही पड़ा है तथा शेयर में निवेश से होने वाली हानि के समुन्द्र में बड़े से बड़ा जहाज भी डूब गया है। जो लोग सट्टा प्रवृति रखते हैं तथा शीघ्र से शीघ्र अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं वे शेयर बाजार की ओर चले जाते हैं तथा अपना सब कुछ लुटा कर वापस चले आते हैं। वर्ष भर में कुल हानि व लाभ मिला कर उनको उनके निवेश पर लगभग शुन्य से 10 प्रतिशत तक का ही लाभ अर्जित हो पाता है। इसी प्रकार अब जिन्स बाजार में यही हरकतें देखी जा रही हे। शेयरों पर अब लाभ सोने-चांदी जैसे सुरक्षित समझे जाने वाले निवेश मदों से बहुत कम प्राप्त हो रहा है। वर्ष में शेयर बाजार के सेन्सेंक्स के अनुमान के उनसार लगभग 20 प्रतिशत तक हानि दे चुका है। सितम्बर, 2011 के अंतिम सप्ताह में निवेशकों को यूरो संकट, अमेरिकी संभावित मंदी, अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये में कमजोरी, प्रमुख भारतीय कम्पनियों के दूसरी तिमाही के खराब वित्तीय परिणाम, भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा ब्याज बढ़ाने की आंशका का भय बने रहने जैसे नकारात्मक सूचनाएें व समाचार आने से शेयर बाजार का सेंसेक्स 16453 अंक तक गिर गया जिससे शेयरों में निवेश करने वालों को भारी नुकसान का समाना करना पड़ा।

यदि हम विभिन्न निवेशों से प्राप्त होने वाले लाभों का विश्लेषण करें तो यह बात साफ नजर आता है कि सोने-चांदी के साथ-साथ बैंक व कम्पनियों की जमा अब अच्छे साबित हो रहे हैं। बैंकों में आम आदमी अपनी छोटी-छोटी बचतों को बचत बैंक खातों (सेंविंग बैंक खाता) में रखता है तथा जरुरत के अनुसार समय समय पर छोटी-छोटी रकम निकाल कर व्यय करता रहता है। बैंक अब इस खाते पर 4 प्रतिशत सालाना का ब्याज दे रहे है। इस ब्याज पर बैंक टीडीएस भी नहीं लगाता है। बैंक में व कम्पनियों की जमाओं पर सामान्य रुप से 9 से 10 प्रतिशत तक ब्याज प्राप्त हो जाता है। कुछ दशाओं में ब्याज की रकम 12 प्रतिशत के आसपास भी हो जाती है। इस प्रकार के निवेश को एक दम से सुरक्षित निवेश समझा जाता है। जमा धन राशि भी एक दम से सुरक्षित रहता है। गत वर्ष में चांदी ने 60 प्रतिशत व सोने ने 40 प्रतिशत का लाभ दिया है।

शेयर बाजार में सब से सुरक्षित ब्लू चिप कम्पनियों में निवेश करना समझा जाता है। जब जनवरी, 2008 में सेंसेक्स 21,000 के अंक के स्तर पर था तो देश की शीर्ष ब्लूचिप 30 कम्पनियों के शेयरों पर यदि किसी ने एक लाख रुपये निवेश किये तो अब सेंसेक्स 16,500 अंक (30 सितम्बर, 2011) पर आने पर निवेश की हुई राशि 80,000 रुपये ही रह जाता है। लाभ को तो भूल जाना चाहिए। इन ब्लूचिप कम्पनियों के अलावा देश की शीर्ष 500 कम्पनियों में निवेश को देखें तो 1जनवरी, 2008 की तुलना में इन निवेशकों को अब तक 30 सितम्बर 2011 तक 30,000 करोड रुपये से अधिक की हानि हुई है। इसी प्रकार यदि मध्यम श्रेणी जिन्हें मिडकैप कम्पनियां समझा जात है उन कम्पनियों के शेयरों के निवेशकों को 1 जनवरी 2008 की तुलना में अब तक 40,000 करोड रुपये का नुकसान हुआ है। इसी प्रकार इन से भी छोटी कम्पनियों जिन्हें स्माल कैप कम्पनी कहा जाता है उनमें भी शेयर धारकों के 50,000 करोड रुपये का नुकसान हो चुका हें इस प्रकार कुल मिला कर एक लाख बीस हजार करोड रुपये से अधिक का नुकसान शेयर बाजार में शेयर धारकों को उठाना पड गया है।

परन्तु एदि किसी निवेशक ने 1 जनवरी 2008 में सोने में एक लाख रुपये का निवेश किया तो उसको अब 2,40,000 रुपये अर्थात ढाई गुना रकम प्राप्त होगी वहीं चांदी में एक लाख रुपये के 2,60,000 रुपये प्राप्त हो गये। 1 जनवरी, 2008 की तुलना में सोने पर 142 प्रतिशत व चांदी में 165 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा रही है। मोटे तौर पर देखा जाय तो जनवरी, 2008 में सोने का भाव 11,000 रुपये प्रति दस ग्राम था जो अब बढ़कर 26,700 रुपये प्रति दस ग्राम हो गया। वहीं चांदी का भाव भी 20,000 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 53,000 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। इस प्रकार अब सबसे सुरक्षित निवेश सोने व चांदी के बाद बैंक में जमा करना ही रह गया है क्योंकि जिस व्यक्ति ने जनवरी, 2008 में एक लाख रुपये बैंक में जमा कराया होगा उसको 9 प्रतिशत सालाना ब्याज तो प्राप्त हो ही जायेगा वहीं बचत खातों पर उसको 4 प्रतिशत सालाना ब्याज सुरक्षित रुप से मिल जायेगा।

अब शेयर बाजार को नियन्त्रित करने वाली संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि प्रासंगिक होने वाले जोखिम के घटकों का ही खुलासा कम्पनियों के द्वारा जारी करना चाहिए। जोखिम के प्रासंगिक घटक जो निवेशकों को आसानी से समझ में आ जायें उसी प्रकार सम्बध्द पक्षों के साथ सौदे व कम्पनियों के मुकदमों के खुलासे में अधिक स्पष्टता लाने वाले नियम बनाने चाहिए। संबध्द पक्षों के साथ वे सौदे होते हैं जो कम्पनी अपने वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारियों, प्रवर्तकों तथा सहयोगी फर्मों आदि के साथ करती है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि कम्पनी के लिए संभावित जोखिमों के बारे में भारी भरकम दस्तावेज प्रस्तुत किये जाते है जिन्हें निवेशक न तो विस्तार से पढ़ ही पाता है और न ही समझ पाता है। भोले-भाले निवेशक कंपनियों की चालबाजियों में फंस कर अपना सर्वस्य लूटा देते हैं। सेबी चाहता है कि जब कोई भी कम्पनी शेयर बाजार में जायें तो अपने सभी जोखिम पूर्ण घटाकें के बारे में प्रासंगिकता के आधार पर खुलासा करे।

* लेखक सनातन धर्म महाविद्यालय, मुजफ्फरनगर के वाणिज्य संकाय में रीडर तथा स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here