बिहार पेवेलियन का स्वर्णिम सफर

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कुमार कृष्णन
ट्रेड फेयर 2021 में आज बिहार पेवेलियन को एक बार फिर मिला गोल्ड मैडल। इतिहास के पन्नों में झांकें तो जानकारी मिलती है कि गुप्त कालीन मगध साम्राज्य के दौर को स्वर्ण युग माना जाता है। तत्कालीन मगध साम्राज्य का यह केंद्र आज बिहार प्रदेश के नाम से जाना जाता है। बात उस स्वर्ण काल की, तो विवरण मिलता है कि इस समृद्धि के पीछे मुख्य भूमिका तत्कालीन मगध के व्यापार और हस्तशिल्प की थी। बहरहाल बात अगर वर्तमान की करें तो आज बिहार देश के समृद्ध राज्यों की सूची में अपने को शामिल कराने की कोशिश में है। इसी के तहत एक बार फिर से भरोसा किया गया है, छोटे उद्योग धंधों यानी हस्तशिल्प उद्योगों पर । विगत दशकों में इसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आया है । वर्ष 2014 से पटना स्थित उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के हस्तशिल्प और लोककला को अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड फेयर में प्रतिनिधित्व की जिम्मेवारी दी जा रही है। तब से वर्ष 2014,2015,2016,2018,2019 में बिहार को गोल्ड मेडल मिल चुका है, इस बार यानी ट्रेड फेयर 2021 में भी स्वर्णिम सफलता का यह सफर जारी रहा। प्रगति मैदान, नयी दिल्ली में चल रहे ट्रेड फेयर में फिर एक बार बिहार पवेलियन को यह सम्मान मिला है। इस तरह से यह ट्रेड फेयर में राज्य को मिलने वाला छठा पुरस्कार है। देखा जाये तो यह सम्मान न केवल पवेलियन को बल्कि बिहार के उन तमाम लोगों और सरकार के काम को मिला है जिनके बदौलत यह पवेलियन विशेष आकर्षण का केंद्र बना रहा। 41 स्टालों वाले इस पवेलियन में एक ओर जहां बिहार की कला संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है वही यहां के युवाओं द्वारा शुरू किए गए स्टार्टअप के तहत तैयार किये गए उत्पादों को भी जगह मिली है। पूर्ण विश्वास है कि आज के ये युवा कल को देश में ही नही विदेशों में भी अपनी सफलता का परचम लहरायेंगे। इस पवेलियन में इस बार 6 स्टार्टअप को जगह मिली है। जो यह बताता है कि बिहार सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किस कदर कृत संकल्प है। उन्हें हर तरह की हरसंभव सहायता सरकार की ओर से दी जा रही है।
बिहार पवेलियन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर्यावरण अनुकूल चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है जो इसे अन्य पॅवेलियनों से अलग बनाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी उसे यह पवेलियन पूरी तरह से साकार कर रहा है। इसके अलावा इस पवेलियन में आने वाले हर दर्शक को ऐसा महसूस होता है कि वह वाकई में बिहार के किसी मेले में पहुंच गया है। जहां एक ओर मिथिला और मञ्जूषा पेंटिंग देखने और खरीदने का मौका मिल रहा है तो दूसरी ओर छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाला प्रसाद ठेकुआ, गुड़ और तिल का लड्डू, मुजफ्फरपुर की लीची का जूस, टेराकोटा और फाइबर गिलास से बने म्यूरल (मूर्तियां), भागलपुरी सिल्क की साड़ी, सूट, मटका सिल्क साड़ी और सूट, भागलपुरी चादर, एप्लिक वर्क समेत हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम के उत्पाद दर्शकों को आकर्षित कर रहे हैं।
इस ट्रेड फेयर 2021 में औरंगाबाद से आये शत्रुघ्न सिन्हा हैंडीक्राफ्ट और आर्टिफिशियल ज्वेलरी लेकर आये हैं। वहीँ राज्य पुरस्कार से सम्मानित विक्रम चक्रवर्ती सिल्क का शाल ले कर आये हैं। बताते चलें कि उन्हें इस शाल के लिए ही राज्य पुरस्कार मिला है। “संगीता देवी मिथिला पेंटिंग”, “कमला देवी एप्लिक वर्क”, “राजकुमार लाल मिथिला पेंटिंग”, “माला गुप्ता सिल्क प्रोडक्ट”, “रंजीत हैंडलूम उत्पाद”, “वैष्णवी मञ्जूषा समूह” हैंडलूम पर मञ्जूषा कला से बने उत्पाद लेकर आया है तो पटना के ‘जुटेक’ जुट के बने उत्पाद लेकर आया है। मोहम्मद जाहिद लेदर से तैयार उत्पाद लेकर आये हैं। संजय गुप्ता ठेकुआ, गुड़ के लड्डू, कचरी तिलौरी आदि लेकर आये हैं। इस तरह विभिन्न उत्पादों को एक छत के नीचे देखना और उनकी खरीदारी दर्शकों के लिए एक विशिष्ट अनुभव दे रहा है। यहां प्रदर्शित मिथिला पेंटिंग के सामने दर्शक जमकर सेल्फी ले रहे हैं। विदित हो कि वर्ष 2021 के लिए मिथिला चित्रशैली के लिए दुलारी देवी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। मेले में आनेवाले दर्शकों को यहाँ बिहार पेवेलियन में उनसे मिलने और उनकी कला साधना से जीवंत साक्षात्कार का सुअवसर भी मिला। बिहार की मूल निवासियों में से शायद ही कोई ऐसा दर्शक रहा होगा, जिसने उनसे बातचीत और उनके साथ सेल्फी न ली हो। यही नहीं बिहार पेवेलियन में मञ्जूषा गुरु मनोज पंडित, सिक्की शिल्प की ख्यात कलाकार नज़दा खातून और टेराकोट्टा शिल्पी जगदीश पंडित के कलाकर्म को देखने का अवसर भी मिलता रहा। इस महत्वपूर्ण पुरस्कार के लिए सभी प्रतिभागियों, संस्थान एवं उद्योग विभाग से जुड़े कर्मचारियों- अधिकारियों को हार्दिक बधाई तो बनता ही है । आज से लगभग एक दशक पूर्व गुमनाम माना जानेवाला यह उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान कैसे आज बिहार का नाम रोशन कर रहा है।और अपने संस्थापक अप्रतिम कलाकार/ कलाविद स्वर्गीय पद्मश्री उपेंद्र महारथी के सपनों को धरातल पर क्रियान्वित कर रहा है।

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