गेटवे ऑफ ईस्ट’ बनता गोरखपुर

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डॉ अजय यादव, प्राध्यापक दिल्ली विश्वविद्यालय

राप्ती और रोहिन (प्राचीन नाम रोहिणी) नदियों के संगम पर बसा नाथ पंथ की पावन धरती गोरखपुर अपनी सांस्कृतिक विरासत के कारण पूर्वांचल की एक महत्वपूर्ण धुरी है. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान गोरखपुर की एक जनसभा में नरेंद्र मोदी ने पूरे पूर्वांचल कीदशा और दिशा बदलने का वादा किया था। केंद्र में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने तथा यूपी विधान सभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का  नेतृत्व मिला तो गोरखपुर  के  लोगों के सपनों को पंख लग गए। नाथ सम्प्रदाय केपंथ प्रमुख योगी आदित्यनाथ के रूप में उत्तर प्रदेश को एक और मुख्यमंत्री देकर गोरखपुर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करने लगा लेकिन सपनों को धरातल पर उतारने में मुख्यमंत्री के सामने कुछ प्रमुख चुनौतियाँ थी – कानून व्यवस्था का राज सुनिश्चित करना, राज्य में बुनियादी नागरिक सुविधाओं का  विकास करना और साथ ही साथ मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से भी राज्य को उन्नत करना। इस उन्नति के लिए प्रदेश में सरकार बनते ही पहल होनी शुरू हुई और परिवर्तन की इस प्रक्रिया में देखते देखते प्रदेश का एकमहत्पूर्ण सत्ता केन्द्र गोरखपुर राज्य की राजधानी को टक्कर देने लगा।

गोरखपुर मूलतः कृषि प्रधान क्षेत्र है। 24 फरवरी 2019 को गोरखपुर में प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान निधि योजना का शुभारंभ किया और लगभग 1 लाख से ज्यादा किसानों के खाते में पहली किश्त के 2000 रुपए सीधे किसानों के खाते में भेजे गए। निश्चित रूप सेगोरखपुर के किसानों को भी इसका लाभ मिला। किसानों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिए उनकी भूमि की उर्वरा शक्ति की पहचान कराने का काम सरकार कर रही है तथा उर्वरा क्षमता को बढ़ाने के लिए 100% नीम कोटेड यूरिया का भी वितरण किया जा रहा है।

एक समय मुख्यमंत्री के शहर की शान माने जाने वाले 1990 से बंद पड़े खाद कारखाने की जगह एक नई फैक्ट्री की स्थापना की जा रही है। इसके लिए जापानी कंपनी टोक्यो का सहयोग लिया जा रहा है। 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारखाने काशिलान्यास किया। हिंदुस्तान उर्वरक व रसायन लिमिटेड नाम की एक नई कंपनी बना भारत सरकार ने इस खाद कारखाने का मार्ग प्रशस्त किया है।इस कंपनी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार ने प्राकृतिक गैस की उपलब्धता भी सुनिश्चित किया केन्द्रसरकार ने जगदीशपुर-हल्दिया गैस पाइपलाइन का विस्तार कर गोरखपुर तक बिछाने का ऐलान किया है और इस प्रयासों की बदौलत  2021 से कारखाने में उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस कारखाने से भारत का सबसे बेहतरीन यूरियाका उत्पादन होगा।

पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय गोरखपुर को रेल बजट में 3000 करोड़ रुपए की सौगात मिली जिसमे ट्रैक दोहरीकरण, नई लाइन निर्माण,ट्रेन नवीनीकरण, आमान परिवर्तन और ट्रैक प्रबंधन का प्रावधान  है। सरकार के समक्ष सड़क परिवहन को भी सुधारने की चुनौती थी। इस दिशा में लगभग 23000 करोड़ की लागत से सरकार द्वारा देश की सबसे लंबी सड़क परियोजना पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है जिसमें गोरखपुर तक एक लिंक रोड भी प्रस्तावित है।इस लिंक रोड के किनारे औद्योगिक गलियारा भी बनाया जा रहा हैजिसके माध्यम से लाखों रोज़गार सृजन की संभावनाएं हैं। गोरखपुर प्रदेश के सबसे अधिक जन घनत्व वाला क्षेत्र है इसलिए भविष्य को देखते हुए सरकार ने मेट्रो रेल का भी प्रस्ताव किया है और इसकी पहली किश्त के रूप में 288 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। यात्रीसुविधाओं की दृष्टि से यह सौगात आने वाले वर्षों में गोरखपुर की एक नई तस्वीर पेश करेगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से गोरखपुर हमेशा से आलोचनाओं का शिकार रहा । गुरु गोरखनाथ, प्रेमचंद औऱ फ़िराक गोरखपुरी जैसी महान हस्तियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत लिए यह शहर पिछले कुछ दशकों में एक बेहद गम्भीर बीमारी के कारण दुनिया भर मेंचर्चा में रहा। 2017 में सरकार बनते ही “दस्तक” नाम से एक मुहिम शुरू किया और इस मुहिम का असर यह हुआ कि  2018 में गोरखपुर और आसपास के जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 66% कई कमी आ गयी। सरकार इस बार उसमें औरभी कमी करने के लिए पूरी तैयारी कर रही है। बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी सेंटर बनाया जा रहा है। सरकार ने गंभीरता और तत्परता दिखाते हुए 1100 करोड़ की लागत से गोरखपुर में निर्माणाधीन एम्स की ओपीडी का शुभारंभ कर दिया है। एम्स बनने के बाद से गोरखपुर पूर्वांचल ही नही बल्कि नेपाल और बिहार के लोगों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में संरचनात्मक परिवर्तनों के क्रम में सरकार इंसेफेलाइटिस के पैदा होने के कारणों को भी खत्म करने का प्रयास कर रही है।इसकेलिए शहर के भीतर सीवरेज सिस्टम को ठीक करने के लिए 175 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया इससे गंदगी कम होगी औऱ इससे पैदा होने वाले रोगों में भी कमी आएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर को केवल एलोपैथी ही नहीं बल्कि आयुर्वेद के माध्यम से भी मेडीकल टूरिज्म का हब बनाने की बात कर रहे हैं और सरकार इस दिशा में दीर्घकालिक रणनीति पर काम कर रही है जो आने वाले समय मे गोरखपुर की सामाजिक औरआर्थिक स्वास्थ्य के लिए हितकर होगा।

प्रदेश सरकार की “एक जिला, एक उत्पाद” योजना के तहत गोरखपुर के परंपरागत टेराकोटा शिल्प को चुना गया है। टेराकोटा शिल्प को गोरखपुर की पहचान से जोड़ने की पहल पहली बार उत्तर प्रदेश की किसी सरकार ने की है। संकट से उबारने और वैश्विक बाजारमें पहचान बनाने के लिए नाबार्ड के सहयोग से इस शिल्प को जियोग्राफिकल इंडीकेशन (जीआई) टैग दिलाने की कोशिश की जा रही है। जीआई तमगा मिलने पर गोरखपुर के टेराकोटा शिल्प को ना सिर्फ नई पहचान मिलेगी, बल्कि दुनिया के तमाम देशों में बाजार कारास्ता भी खुल जाएगा।

पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश सरकार गोरखपुर को विस्तृत पैमाने पर विकसित करने का काम कर रही है। महान स्वत्रंत्रता आंदोलन को निर्णायक मोड़ देने वाला चौरीचौरा गोरखपुर में पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है। स्वाधीनता आंदोलन के सिपाहियों को उनका वाज़िबसम्मान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध प्रदेश सरकार इसे नए सिरे से विकसित कर रही है।

गोरखनाथ मंदिर का विकास, चिडियाघर, रामगढ़ ताल का विकास सरकार की प्राथमिकताओं में है। लगभग 1700 एकड़ में फैले रामगढ़ ताल को मुम्बई के मरीन ड्राइव की तर्ज ओर विकसित किया जा रहा है। राष्ट्रीय झील सरंक्षण योजना के अंतर्गत स्वीकृत इस तालको विकसित करने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय ने लगभग 57 करोड़ की राशि दी है। इस ताल में वाटर स्पोर्ट्स शुरू किया जाएगा। साथ ही इस ताल में डॉल्फिन पालने की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है जिससे अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित कियाजा सके।

रामगढ़ ताल के पास ही लगभग 30 करोड़ की लागत से 1250 बैठक क्षमता वाला एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रेक्षागृह निर्माणाधीन है। इस प्रेक्षागृह के बनने से शहर में कला और संस्कृति को बढ़ने का अवसर मिलेगा।

गीता प्रेस के लिए विश्वप्रसिद्ध गोरखपुर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के इन प्रयासों के कारण ही शिक्षा,स्वास्थ्य, कृषि, कला-संस्कृति और संरचनात्मक क्षेत्र में हुए सकारात्मक बदलावों के कारण एक नई पहचान बना रहा है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश की योगी सरकार सरकार इसी तरह गोरखपुर के विकास के लिए प्रतिबद्ध रही तो यह शहर ”पूरब का प्रवेशद्वार-गेटवे ऑफ ईस्ट बन कर राष्ट्रीय स्तर पर उभरेगा।

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