सरकार की उदासीनता…..

प्रतिमा गुप्ता

देशभर में खाद्यान्न उत्पादन में शानदार प्रदर्शन के लिए वर्ष 2011-12 का कृषि कर्मण पुरस्कार देश के अन्य 7 राज्यों के साथ झारखंड को भी दिया गया था… राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और कृषि मंत्री शरद पवार ने राज्य के कृषि सचिव अरुण कुमार सिंह को कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया…जिसमें पुरस्कार के तहत राज्य को प्रशस्ति पत्र के साथ एक करोड़ की राशि और दो कृषकों को एक-एक लाख रूपए दिए गए थे…झारखंड को यह सम्मान मिले 3 महीनों से ज्यादा का समय हो गया… लेकिन अभी तक झारखंड सरकार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलानेवाले किसानों को सम्मानित नहीं कर पायी है….लगातार दूसरे साल अच्छा उत्पादन करनेवाले किसानों अभी तक सम्मान को तरस रहे है…क्यूंकि जिला कृषि पदाधिकारियों ने राज्य स्तर पर पुरस्कृत होनेवाले किसानों के नाम की अनुशंसा अभी तक नहीं भेजी है….हॉलकि कुछ अनुशंसा भेजी भी गयी थी…लेकिन रिपोर्ट अधूरी रहने से किसानों को यह सम्मान नहीं मिल पाया….उल्लेखनीय है कि राज्य के इन किसानों की बदौलत कृषि विभाग को देश में अच्छा दलहन उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया….

वर्ष 2011-12 का कृषि कर्मण पुरस्कार देश के अन्य 7 राज्यों के साथ झारखंड को भी दिया गया था…, जिसमें  झारखंड ने दाल में, बिहार ने धान में, हरियाणा ने गेहूं में और उत्तर प्रदेश ने मोटे अनाज के उत्पादन में सर्वाधिक वृद्धि दर हासिल की थी……दलहन के मामले में झारखंड की वृद्धि दर 49.34 प्रतिशत रही थी..वर्ष 2010-11 में झारखंड में दाल उत्पादन 3.296 लाख टन था,जो वर्ष 2011-12 में बढकर 4.923 प्रतिशत हो गया था… जिससे झारखंड में दलहन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में 18.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई…और झारखंड देश में सर्वाधिक दलहन उत्पादन वाला राज्य बन गया…

किसानों की मेहनत की बदौलत ही राज्य खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर जा रहा है….2011-12 में खरीफ मौसम में राज्य में जरूरत से ज्यादा खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था…तो वहीं 2012-13 खरीफ मौसम में भी असमय बारिश के बावजूद करीब 50 मिलियन टन खाद्यात्र का उत्पादन हुआ है…. पुरस्कार पाने में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-दलहन का योगदान रहा। राज्य में इस मिशन के तहत 17 जिलों में योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं… उल्लेखनीय है कि कृषि क्षेत्र में राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2010-11 में केंद्र सरकार ने कृषि कर्मण पुरस्कार की शुरुआत की थी और कृषि कर्मण पुरस्कार कुल खाद्यान्न उत्पादन और फसल विशेष उत्पादन के दो श्रेणियों में दिए जाते हैं जिनमें धान, गेंहू, दलहन और मोटे अनाज की श्रेणियां शामिल होती है…

बता दें कि राज्य भर में सबसे अच्छा उत्पादन करनेवाले किसानों को पुरस्कार राशि के रूप में एक लाख रुपये देने हैं….उसके बाद किसानों को उनके अच्छा प्रदर्शन को देखते हुए अलग-अलग पुरस्कार राशि दी जानी है….इसके अलावे किसानों के साथ अच्छा काम करनेवाले अधिकारियों को भी पुरस्कृत किया जाना है…फिर भी झारखंड सरकार चैन की नींद सो रही है….

इस बावत किसानों का कहना है कि किसानों पर सरकार का ध्यान नहीं है…सरकार सिर्फ घोषणा तो करती है…लेकिन पूरा नहीं करती है….वहीं झारखंड के कृषि निदेशक के.के सोन का कहना है कि बार-बार कहने के बाद भी जिलों से मानदंड के अनुरूप किसानों की सूची नहीं आ पायी…जबकि इस बार बहुत पहले से प्रयास किया गया था..लेकिन कुछ कमी रह गयी..कृषि निदेशक अपने विभाग की गलती छुपाने के लिए भले ही लाख बहाने कर ले…लेकिन अपनी कमियां नहीं छुपा सकते…बहरहाल, अब भी समय है,महामहिम राज्यपाल इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई करके किसानों का मनोबल बढ़ा सकते है…नहीं तो हो सकता है, शायद पिछले दो बार की तरह से इस बार किसान सम्मान न मिलने के कारण अपनी क्षमता के अनुरूप काम न कर पाए,,,,,   

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