बचाना है जान को जहान को

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बचाना है जान को जहान को ,
बचाना है अब हर इंसान को |
यही ध्येय होगा अब हमारा ,
ये सन्देश पहुँचे हर इंसान को ||

सबका साथ हो सबका विश्वास हो ,
आशा के साथ सबका विकास हो |
तब ही कोरोना को जीत पायेंगे ,
ऐसा जन-जन में विश्वाश हो ||

लॉक डाउन ही एक आस है ,
बनी नहीं दवा कोई खास है |
घर में बैठे रहे सभी अभी ,
इसको जीतने की यही आस है ||

थोड़े दिनों की तो तकलीफ है ,
मिलेगा कुछ दिनों में रिलीफ है |
घबराने की कोई जरूरत नहीं ,
यही हमारा अब एक बिलीफ है ||

घर से बाहर जब तुम निकलो ,
मुहँ ढक कार ही तुम निकलो |
यही सुरक्षा कवच है तुम्हारा ,
इसे गांठ बाँध कर रख लो ||

सोशल डिस्टेंस ही एकमात्र दवा है ,
बाकी की सब अब बेकार दवा है |
सोशल डिस्टेंस को तुम अपनाओ ,
कोरोना को अब दूर मार भगाओ ||

यही है देश के लिये मोदी सन्देश ,
वर्ना होगे तीसरी स्टेज में प्रवेश |
इस पर सभी को अम्ल है करना ,
वर्ना मच जाएगा देश में क्ल्रेश ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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