वही तो ईश्वर है

–विनय कुमार विनायक
आना जाना जिसपर निर्भर
वही तो ईश्वर है
अमर होने की सबकी तमन्ना
पर निश्चित जहाँ मृत्यु डर
वही तो ईश्वर है
जन्म देनेवाली जोड़ी जो चाहती
वो नहीं हो पाता
चाह नहीं पर जो हो जाता
वही तो ईश्वर है
आनेवाला जो चाहता वो नहीं होता
जो नहीं चाहता वो हो जाता
वही तो ईश्वर है
तुम चाहते बेटा
पर वो आ जाती बेटी बनकर
वही तो ईश्वर है
कोई नहीं चाहता निर्धन होना
पर जन्म पा लेता निर्धन के घर
वही तो ईश्वर है
सभी चाहता स्वरूप सुन्दर
पर कुरूप हो जन्म लेता
वही तो ईश्वर है
एक मानव दूसरे मानव सा नहीं होता
एक जीव दूसरे जीव का गुण नहीं पाता
कोई जीव सर्वशक्तिमान नहीं हो सकता
वही तो ईश्वर है
जिसने जीव जंतु अनेक बनाया
वह ईश्वर एक है
सब में भिन्न-भिन्न रुप से समाया
मानव को बुद्धि दी पर उड़ने की शक्ति नहीं
बिल्ली प्रजाति में नोच-खसोट काटने की प्रवृत्ति
पर काया मिली नहीं गैंडा घड़ियाल हाथी की
चीता को तेज चाल पर हिरण की चौकड़ी नहीं
जिसे जितना चाहिए उतना उपलब्ध उसके भीतर
वही तो ईश्वर है
ये जैव विविधता व गुणधर्म भिन्नता से
सृष्टि रक्षा और निरंतरता जो बनाए रखे
वही तो ईश्वर है
जब किस्म-किस्म के बीज धरा से
एक ही उर्वरा शक्ति पाकर
अलग-अलग पादप का रुप निखार ले
वही तो ईश्वर है
क्षिति जल पावक गगन समीर
ये चराचर जिनपर निर्भर
वही तो ईश्वर है
जहाँ ज्ञान विज्ञान मूक-बधिर है
वहीं ईश्वर मुखर प्रखर है
जीव जंतु प्रकृति के अंदर बैठा जो कारीगर
वही ईश्वर अजर-अमर है!
—विनय कुमार विनायक
दुमका,झारखण्ड-814101

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here