
—विनय कुमार विनायक
छोड़ो अंग्रेजी की बातें करना
जरा याद करो वी ओ चिदंबरम पिल्लई को
देशी जल जहाज चलानेवाले
‘कप्पलोट्टिय तमिलन’ देशभक्त थे
अंग्रेजों ने कोल्हू का बैल बना पीड़ित किया
छोड़ो अंग्रेजी में काम करना
देशी शेर के लहू का अपमान सहोगे कबतक?
छोड़ो भिंगी बिल्ली बनना
अपनी मांद से निकलो तो, करो सिंह गर्जना,
हिन्दी को समझो अपना!

ऐ वीरशैव लिंगायत कर्नाटक के
मत खोजो तलवार रानी किट्टूर चेन्नमा की
वह तो कलम हो गई हिन्द की
छोड़ो अंग्रेजी में लिखना,
कलम गहो हिन्द की, बोलो हिन्द की बोली
दुआ करेगी मां चेन्नमा!
छोड़ो अंग्रेजी में इतराना
जरा याद करो आंध्रप्रदेश के जंगल के हीरो
अल्लुरी सीताराम राजू का अफसाना
देखो तो हमारा हीरो किधर है
गाछ में बंधा,खून से सना
क्षत-विक्षत शरीर,तुम्हारा ध्यान किधर है
उन्हें भारतीय भूमि में अंग्रेजों की बोली से
कबतक देते रहोगे श्रद्धांजलि?
देशी राजभाषा को अपनाओ ना!
क्या याद नहीं केरल के गांधी
कोयपल्ली केलप्पन नय्यर प्रथम सत्याग्रही
और त्रावणकोर की लक्ष्मीबाई
अक्कम्मा चेरियन को अंग्रेजों ने दी जो यातना
उसकी कैसे-कबतक होगी भरपाई
छोड़ोगे नहीं जबतक अंग्रेजी तराना
चलती रहेगी भाषाई गुलामी
हिन्दी बोली को अपनाओ ना!
हिन्दी है दिलवालों की बोली
हिन्दी में नहीं है क्षेत्रीयता, नहीं बेगानापन
नहीं घृणा,द्वेष,जलन, ठिठोली
ये अमानुषिक कर्म करते नहीं भाई
आकर देखो हिन्दी पट्टी में
हिन्दी करती सबकी शुभकामना!