महामहिम और राजमाता की निजता और सुरक्षा

1
189

एल.आर गाँधी

पिछले दिनों भारत देश हमारा की महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी जब गोवा बीच पर अपनी घुमक्कड़ जिज्ञासा को शांत कर रही थीं तो तीन मनचले फोटो पत्रकारों ने उनकी फोटो खींची और साथ में बिकनी में एक जोड़ा भी फोटो में आ गया . महामहिम के सुरक्षा कर्मियों ने तीनों मनचलों को महामहिम के निजी जीवन में तांक झाँक करने के दोष में पकड़ कर न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया .. दलील यह कि महामहिम अपनी निजी यात्रा पर थीं और इन्होने उनकी निजता के अधिकार में सेंधमारी की.

अब समाज के वाच डाग ठहरे ये पत्रकार जो अपनी घ्राण शक्ति के लिए ही तो जाने जाते हैं , कहाँ चूकने वाले थे. आर टी आई से महामहिम की ‘निजी’ यात्रा के बारे में जानकारी मांगी तो पता चला कि यात्रा पर खर्च हुए ३८ लाख रूपए राज भवन ने खर्च किये हैं. … कोर्ट ने संज्ञान लिया … जब सरकार ने खर्चा उठाया तो कैसी निजी यात्रा…और कैसी निजता ?

कहने-सुनने में आया है कि भारत देश हमारा एक लोकतंत्र है और इस लोकतंत्र की मुखिया हैं हमारी ‘ महामहिम जी’ . लोक तंत्र है तो हमारे चुने हुए ये राज नेता लोकसेवक. मगर हमारा यह ‘सौभाग्य’ है कि हमारे भारत देश में महामहिम से भी ऊपर एक ‘ राजमाता जी’ भी विराजमान हैं. महामहिम के विषय में मांगी गई आर टी आई की जानकारी तो तुरंत मिल गयी मगर ‘राजमाता’ के बारे में मांगी गई जानकारियां ‘निजता और सुरक्षा ‘ के कठोर बुर्कों में बंद हैं.पिछले दिनों किसी जिज्ञासू ने ‘राजमाता’ के पिछले दस साल की आय कर की जानकारी मांगी तो राज भक्त आयकर अधिकारी ने ‘इनकार’ कर दिया- कारण ‘राजमाता’ की सुरक्षा और निजता ? एक जिज्ञासू ने ‘ राजमाता ‘ की विदेश यात्राओं पर पिछले तीन साल में हुए सरकारी खर्च की आरटीआई डाली तो अर्जी डेढ़-दो बरस विभिन्न मंत्रालयों के चक्कर काटते काटते थक गई…. भेद खुला तो कहते हैं कि खर्चा महज़ ‘१८८० करोड़ रूपए ‘ मात्र था…. दिग्गी राजा ठीक ही तो कहते है कि ये विरोधी विपक्ष हमारी राजमाता’ से जलता है.

अब तो लगता है कि विदेशी ताकतों ने भी भारतीय विपक्ष से हाथ मिला लिया है. पहले तो हमारे जेठ मलानी जी ही ‘राजमाता’ के विदेशी खातों में अकूत धन राशी का राग अलापते थे और राजभक्त दिग्गी एंड कंपनी उसे झूठ मैलाय्निंगकह कर नकार देते थे. अब तो हद ही हो गई अमेरिकी वेबसाईट ‘बिजनेस इन्सायिटर ‘ ने विश्व के २३ धनकुबेर राजनयिकों की सूची जारी की है और उसमें दिग्गी की ‘राजमाता’ को चौथे पायदान पर सुशोभित कर दिया है और २ से १९ अरब डालर की मालिक घोषित किया है. … राज भक्त सत्ता पक्ष चुप है यह तो समझ में आता है .. मगर वाच डाग मिडिया भी तो टांगों के बीच दुम दबाए बैठा है .. समझ के बाहर है.

पडोसी पाक के ज़रदारी भी इस सूची में १९ वे पायदान पर हैं और पी.एम गिलानी सर्वोच्च न्यायालय के निशाने पर हैं … विदेशी बैंको में ज़रदारी के काले धन पर दबिश की खातिर.. मगर हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार नोटिस तो लिया मगर मनमोहन जी को सीधे सीधे कोई निर्देश देना शायद उचित नहीं समझा.

बंगाली बाबू ने अपने बजट भाषण में काले धन पर श्वेत पत्र का ज़िक्र तो किया है मगर मंत्रालय में पड़ी ‘स्विस चोरों’ की काली सूची को सार्वजनिक करने की मजबूरी बता डाली.

कौन कहता है भारत देश हमारा एक गरीब देश है. जिस देश की राजमाता और महामहिम के खर्चे विश्व के किसी भी धन कुबेर के लिए ईर्ष्या का सबब हो सकते हैं. .. यह बात अलग है कि आधी से अधिक आबादी २०/- रोज़ पर गुज़र बसर को मजबूर है. विश्व के ९२.५ करोड़ भूखों में ४५.६ करोड़ भारतीय हैं. कुपोषण के कारण १८.३ लाख बच्चे अपना पांचवा जन्म दिन नहीं माना पाते.

गाँधी के नाम पर राजसत्ता का सुख भोगने वाले ये नकली गाँधी ,यथार्थ में गाँधी जी के आदर्शों से कोसों दूर हैं. अंग्रजों के नमक कानून के विरोध में गाँधी जी ने वायसराय को पत्र लिख कर उस वक्त की समाजिक विषमता का जो खाका खीचा था , उसका साया आज मीलों लम्बा खिंच गया है. अपने पत्र में बापू ने वायसराय को लिखा … आप का वेतन २१०००/- है , अर्थात ७००/- रोज़ और प्रति व्यक्ति आय २ आने से भी कम है. आप कि आय और आम आदमी की आय में ५००० गुना अंतर है. इस समाजिक आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए सवतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानियां दे कर देश को आज़ाद करवाया … आज काले अंग्रेजों कि बदौलत समाजिक विषमता और भी बढ से बदतर हो गई है. महामहिम पर रोज़ ५ लाख ,पी.एम् पर ३.३८ लाख -औसतन नागरिक से १६९०० गुना अधिक खर्च होता है. मंत्रिओं और अफसरों की तो बात ही छोडो ?

तिस पर भी तुर्रा यह कि ‘राजमाता’ को देश के भूखे- नंगों की बहुत चिंता है और उनके ही आदेश से ‘सब के लिए अन्न ‘ की विशाल एक लाख करोड़ी योजना पर अमल होने जा रहा है.

 

 

1 COMMENT

  1. यह देश चंद लोगों के लिए अय्याशियों का माध्यम मात्र बन कर रह गया है. आयातित सोच वाले लोगों द्वारा वातानुकूलित कमरों में, खा पी अघा कर खाली समय में देश के प्रति पावन कर्तव्य निभाया जा रहा है.

Leave a Reply to chandra prakash dubey Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here