“ऋषि दयानन्द के समकालीन उनके वेद प्रचारक योगिराज महात्मा कालूराम”

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-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।

योगिराज महात्मा कालूराम जी का जन्म शेखावटी के एक नगर रामगढ़ में ज्येष्ठ कृष्णा 6 शुक्रवार सम्वत् 1893
विक्रमी (सन् 1936) में हुआ था। आपने अपनी जन्मभूमि सहित राजस्थान के निकटवर्ती नगरों
में ऋषि दयानन्द द्वारा प्रचारित वैदिक सिद्धान्तों का प्रचार करने सहित बड़ी संख्या में
आर्यसमाजों की स्थापना की। महात्मा जी की मृत्यु ज्येष्ठ शुक्ल 10 सम्वत् 1957 (7 जून, 1900
ई.) को हुई।
महात्मा जी के जीवन से सम्बन्धित एक योग विषयक घटना का उल्लेख प0 भीमसेन
शास्त्री (कोटा) ने परोपकारी, अजमेर के सितम्बर सन् 1963 में प्रकाशित अपने लेख ‘‘योगिवर्य
महात्मा कालूराम जी” में हुआ हैं। घटना इस प्रकार है कि सेठ देवकरणदास रामविलास के मुनीम
रामगढ़ में प्रेम सुखराज अग्रवाल थे। इनके पुत्र लक्ष्मीनारायण उपर्युक्त सेठ जी की देहली की
दुकान के मुनीम थे। एक बार इनके किसी शत्रु ने इनके पिता जी को इनकी मृत्यु का झूठा तार दे
दिया। घर में रोना पीटना मच गया। कुछ दिन पूर्व ही लक्ष्मी नारायण जी की कुशल-क्षेम का पत्र घर पर आया था, अतः इनके
पिताजी को समाचार की सत्यता में संदेह रहा। वे अपने एक मित्र के साथ महात्माजी के पास गये। महात्मा कालूराम जी ने
कुछ क्षण ध्यानावस्थित रहकर बताया-‘लक्ष्मीनारायण स्वस्थ एवं प्रसन्न है। शीघ्र ही उसका पत्र भी आयेगा।’ श्री प्रेम
सुखराज जी ने घर जाकर रोना पीटना बंद करा दिया पर मन में संदेह बना रहा। उन दिनों डाक रामगढ़ में प्रातः चार बजे ऊंट से
आया करती थी। श्री प्रेम सुखराज जी का पोस्ट मास्टर से अच्छा परिचय था। स्वयं पोस्ट मास्टर भी समाचार जानने को
उत्सुक थे। डाक प्रातः चार बजे ही खोली गई। उसमें श्री महात्मा जी द्वारा निर्दिष्ट लक्ष्मी नारायण का पत्र था। सबके संदेह
निवृत्त हो गये। तार देने पर लक्ष्मी नारायण शीघ्र आ गये। उनको देख कर सब हर्षित हुए। इस घटना से महात्मा कालूराम जी
की योग में उच्च गति होने का प्रमाण मिलता है।
आर्यसमाज के विख्यात विद्वान डा0 भवानीलाल भारतीय जी ने महात्मा कालूराम जी की जीवनी लिखी है। इसका
प्रकाशन 2031 विक्रमी अथवा सन् 1974 में हुआ था। प्रकाशक आर्यसमाज टमकोर, डा. विशनगढ़ (जिला झूंझनू) थे। इस
पुस्तक के प्राक्कथन में भारतीय जी ने महात्मा जी के व्यक्तित्व वा गुणों का वर्णन किया है। उन्हीं को हम आज यहां प्रस्तुत
कर रहे हैं। वह लिखते हैं ‘महात्मा जी उच्च कोटि के योगी, साधक, ईश्वर-भक्त तथा वैदिक निर्गुणवाद के प्रखर प्रचारक थे।
इन्होंने चूरू, सीकर, झूंझनू तथा नागौर जिले के सैकड़ों ग्रामों में धर्म प्रचारार्थ प्रमण किया, सहस्रों नर-नारियों तक अपना
स्फूर्तिदायक, प्रेरणाप्रद धर्म संदेश सुनाया। समाज में प्रचलित रूढ़िवाद, मिथ्याचार, पाखण्ड एवं आडम्बरों का खण्डन किया।
लोगों को मादक द्रव्यों एवं अन्य दुव्र्यसनों से मुक्त होने की प्रेरणा दी तथा वैदिक धर्म की निर्मल पावन शिक्षाओं का प्रसार
किया। पं0 कालूराम यद्यपि अधिक शिक्षित नहीं थे तथापि उनकी धर्मानुभूति अत्यन्त प्रबल थी, अतः अपनी प्रबल तर्क
पद्धति एवं विचार शक्ति के बल पर ही वे अपने प्रदेश एवं राष्ट्र में प्रचलित सभी मत-सम्प्रदायों एवं उपासना पद्धतियों का
युक्तिपूर्ण अनुशीलन कर सके तथा वैदिक मत पर आरूढ़ हो सके। धर्म के मौलिक एवं वास्तविक तत्वों का बोध हो जाने पर
पं0 कालूराम जी ने धर्म प्रचार का कार्य शिरोधार्य किया। विभिन्न स्थानों का पर्यटन, सत्संगों का आयोजन, आर्ष ग्रन्थों की
कथा-वार्ता, स्वामी दयानन्द रचित ग्रन्थों का अनुशीलन, गो-रक्षा, समाज-सुधार आदि के माध्यम से वे अपनी लोकोपकारी

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प्रवृत्तियों का अनुशीलन करते रहे। उन्होंने शेखावटी एवं चूरू प्रदेश में जितने आर्य समाजों की स्थापना की, वह एक अद्वितीय
किन्तु अनुकरणीय कार्य था।
हमने लगभग 25 वर्ष पूर्व महात्मा कालूराम जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करने वाला एक लेख लिखा
था। हम शीघ्र ही उस लेख का सम्पादन कर उसे अपने पाठक मित्रों के लिये प्रस्तुत करेंगे। ऋषि दयानन्द के शिष्यों ने वैदिक
धर्म का प्रचार व प्रसार अहिंसक तरीके से बिना छल व प्रलोभन से किया है। अन्य मतों की तरह लोगों को अविद्या नहीं
परोसी। कहा जाता है कि सत्य के मार्ग पर चलना तेज धार वाली तलवार पर चलने के समान कठिन होता है। शायद यही
कारण है कि वैदिक धर्म का आशातीत प्रचार व स्वीकारोक्ति समाज में देखने को नहीं मिली। वर्तमान में आर्यसमाज के
संगठन में अनेक दुर्बलतायें आ गयी हैं। हमारे नेता आपस में लड़ रहे हैं। शायद यह भी प्रचार एवं प्रसार में शिथिलता का प्रमुख
कारण है। ईश्वर सब वैदिक धर्मी ऋषिभक्तों को सद्बुद्धि प्रदान करें जिससे यह सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग करने
में प्रवृत्त होकर संगठन को सशक्त बनाने में अग्रसर हों। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य
पताः 196 चुक्खूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः09412985121

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